Election 2024: उत्तराखंड में हैट्रिक की तैयारी में भाजपा, पांचों सीटें फिर अपनी झोली में डालने के लिए बनाई है रणनीति
भाजपा के मजबूत होते जाने का अंदाजा इससे लग सकता है कि पार्टी किसी भी बड़े चुनाव में पराजित नहीं हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके पांचों प्रत्याशियों ने प्रतिद्वंद्वियों पर 2.33 से लेकर 3.39 लाख मतों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी। जिन पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की पैठ मजबूत मानी जाती रही वहां भी प्रमुख विपक्षी दल जीत के लिए तरस रही।
रविद्र बडवाल, देहरादून। उत्तराखंड में पिछले दो लोकसभा चुनाव में सभी पांचों सीटें अपनी झोली में डालने में सफल रही भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। वहीं, कांग्रेस पर लगातार तीसरे चुनाव में खाता खोलने का दबाव है। उसकी सबसे बड़ी बाधा मोदी मैजिक ही है।
जीत के लिए तरसती कांग्रेस
वर्ष 2014 के बाद से प्रदेश में भाजपा के मजबूत होते जाने का अंदाजा इससे लग सकता है कि पार्टी किसी भी बड़े चुनाव में पराजित नहीं हुई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके पांचों प्रत्याशियों ने प्रतिद्वंद्वियों पर 2.33 से लेकर 3.39 लाख मतों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी। हालत ये है कि जिन पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की पैठ मजबूत मानी जाती रही, वहां भी प्रमुख विपक्षी दल जीत के लिए तरस रही।
विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को प्रचंड जीत
प्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव के दौरान दो विधानसभा चुनाव भी हो चुके हैं। इन दोनों में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कुल 62.15 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें भाजपा को 55 प्रतिशत से अधिक तो कांग्रेस को 34 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल - ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार समेत सभी पांचों सीटों पर कांग्रेस प्रमुख प्रतिद्वंद्वी तो रही, लेकिन भाजपा को हरा नहीं सकी।लगातार बढ़ा जीत का आंकड़ा
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कुल 61.50 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2014 की तुलना में मतदान में 0.65 प्रतिशत की कमी आई, पर भाजपा प्रत्याशियों के जीत का आंकड़ा और बढ़ गया। अब वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही तय है। विपक्षी दलों में कांग्रेस से इतर कुछ प्रभाव बसपा का है।
कमजोर स्थिती में बसपा
बसपा फिलहाल भाजपा और कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती पेश करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। 2014 में बसपा को 4.7 प्रतिशत मत मिले थे। वर्तमान में भी पार्टी के पास हरिद्वार में विधानसभा की दो सीटें थीं। इनमें से एक विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण रिक्त है। 2004 में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाली सपा अब लंबे समय से लोकसभा चुनावों में किसी बड़ी चुनौती के रूप में स्वयं को स्थापित नहीं कर सकी है।भाजपा ब्रांड नरेन्द्र मोदी के रथ पर सवार
अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर ब्रांड नरेन्द्र मोदी के रथ पर सवार है। ऐसे में वर्तमान राजनीतिक वातावरण में प्रदेश में भी भाजपा कठिनाई महसूस करती दिखाई नहीं दे रही है। कांग्रेस का प्रयास है कि इस बार पार्टी का खाता जरूर खुले। इसके लिए लोकसभा क्षेत्रवार तैयारियां तेज की गई हैं। पार्टी हाईकमान भी इन तैयारियों पर सीधी नजर रख रहा है।