Lok Sabha Election 2024: रवींद्रनाथ के आंगन में चुनावी माहौल गर्म; कमल खिलाने की कोशिश में भाजपा तो टीएमसी को हैट्रिक की आस
West Bengal Lok Sabha Election 2024 कभी बोलपुर से माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी लगातार सात बार सांसद चुने गए थे। पिछले चुनाव से सीपीएम तीसरे पायदान पर खिसक गई है। इस बार भी तृणमूल और भाजपा के बीच लड़ाई है। दो चुनावों से भाजपा का बढ़ता मत प्रतिशत उत्साहित करने वाला है लेकिन बोलपुर में कमल खिलने का अभी इंतजार है। पढ़िए रवींद्रनाथ टैगोर के शहर से ग्राउंड रिपोर्ट...
तापस बनर्जी, शांतिनिकेतन। आसनसोल और बर्धमान-दुर्गापुर जैसी हाई प्रोफाइल सीट के बाद कवि रवींद्रनाथ टैगोर के शहर शांति निकेतन -बोलपुर लोकसभा की ओर रुख करें तो, धनबाद से कोलकाता की ओर बढ़ रही जीटी रोड अब सिक्सलेन हाईवे है। सुगम हाईवे पर अच्छी रफ्तार से यात्रा सुखद रही। हाईवे पर कुछ जगह पुलों का काम चल रहा है जो विकास की अच्छी गति का गवाह है।
चाय की तलब लगी तो इलम बाजार को चंद पलों का पड़ाव बनाया। रेहड़ी पर चाय की चुस्कियों के बीच वहां बैठे बांग्ला भाषियों की बातें सुनी। अच्छी सड़क की ओर इशारा करते हुए बोले 'देखछेन तो, मोदीर राजे राम मोंदिर तोयरी होलो, रास्ता-घाट सब कौतो किछू पोरिवर्तन होच्छे...'। (देख रहे हैं न मोदी के राज में राम मंदिर बना। सड़कों की हालत सुधर रही है, कितना कुछ परिवर्तन हो रहा है...)।
कमल खिलने का इंतजार
कभी बोलपुर से माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी लगातार सात बार सांसद चुने गए थे। पिछले चुनाव से सीपीएम तीसरे पायदान पर खिसक गई है। पिछली बार की तरह इस बार भी तृणमूल और भाजपा के बीच लड़ाई है। दो चुनावों से भाजपा का बढ़ता मत प्रतिशत उत्साहित करनेवाला है, लेकिन बोलपुर में कमल खिलने का अभी इंतजार है।बोलपुर लोकभा क्षेत्र में ही विश्व विख्यात शांतिनिकेतन स्थित है। कविगुरु रवींद्र नाथ टैगोर की विरासत समेटे एक शहर। यहां की विश्वभारती यूनिवर्सिटी अपनी प्राचीन विरासत के कारण दुनियाभर में पहचान रखती है। यूं कहें कि टैगोर के बाद इस शहर की पहचान ही विश्वभारती यूनिवर्सिटी है। बोलपुर लोकसभा सीट के लिए 13 मई को मतदान होना है।
चुनाव प्रचार में वाटरों के रिझाने भाजपा और तृणमूल दोनों के स्टार प्रचारक धुआंधार चुनावी सभाएं कर रहे हैं। नए उद्योग स्थापित कर रोजगार के साधन बढ़ाने, वंचित क्षेत्रों में पेयजल समस्या का समाधान करने समेत दूसरी सुविधाओं के वादे कर रहे हैं।
वोटर खामोश, आशंकित हैं प्रत्याशी
बोलपुर लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें केतुग्राम, मंगलकोट, आउसग्राम, नानूर, मयूरेश्वर व लाबपुर के साथ बोलपुर भी है। सातों विधानसभा सीटों पर तृणमूल का कब्जा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल के असीत कुमार माल को जीत हासिल हुई थी। उन्हें 699171 वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी दास रामदास 592769 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। जीत का अंतर 106402 था। इससे पहले 2014 के चुनाव में तृणमूल प्रत्याशी अनुपम हाजरा 630693 वोट लाकर जीते थे।
दूसरे स्थान पर सीपीएम उम्मीदवार रामचंद्र डोम थे, जिन्हें 394581 वोट मिले थे। तृणमूल की जीत का अंतर 236112 था। 2014 की तुलना में 2019 में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा था और दूसरे नंबर पर थी। इस बार भी यहां का चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा ही है। मतदाता खामोश हैं और खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं। वोटरों की खामोशी से प्रत्याशी आशंकित हैं। जीत को लेकर कोई पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। लगातार दो बार से जीत रही तृणमूल हैट्रिक लगाएगी या कमल फूल खिलेगा, देखना है।
भाजपा ने उम्मीदवार बदला
तृणमूल सांसद असीत कुमार दूसरी बार मैदान में हैं। भाजपा ने इस बार अपना प्रत्यासी बदल दिया है। महिला उम्मीदवार पिया साहा को टैगोर भूमि का उम्मीदवार बनाया है। सीपीएम उम्मीदवार श्यामली प्रधान हैं।ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: कन्नौज में बड़ा मुकाबला; अखिलेश बचा पाएंगे सियासी किला या भाजपा मारेगी बाजी? जानिए क्या कहती है जनताकोई भी जीते या हारे, हम लोगों का कुछ नहीं होगा
विश्वभारती कैंपस के आसपास और शहर के अन्य हिस्से के लोगों से चुनाव का माहौल पूछा तो बोले पिछली बार टीएमसी जीती थी। इस बार भी ऐसा ही लगता है। पर परिवर्तन भी जरूरी है। उनका कहना था कोई भी जीते या हारे, हमलोगों का कुछ नहीं होगा। नेताओं ने चुनाव में पहले भी वादे किए थे जो पूरे नहीं हुए। अब फिर वादों की झड़ी लगा रहे हैं। पर हमें इतना मलूम है कि चुनाव जीतने के बाद कोई पलट कर नहीं देखता।लोकसभा के अब तक विजयी उम्मीदवार
- 1967 - एके चंदा (कांग्रेस)
- 1971 - सारादीश राय (सीपीएम)
- 1977 - सारादीश राय (सीपीएम)
- 1980 - सारादीश राय (सीपीएम)
- 1984 - सारादीश राय (सीपीएम)
- 1985 (उपचुनाव) - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 1989 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 1991 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 1996 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 1998 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 1999 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 2004 - सोमनाथ चटर्जी (सीपीएम)
- 2009 - डॉ. रामचंद्र डोम (सीपीएम)
- 2014 - अनुपम हाजरा (तृणमूल कांग्रेस)
- 2019 - असीत कुमार (तृणमूल कांग्रेस)