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चुनावी रण में सहानुभूति के भरोसे 'नाथ', भाजपा कर रही आदिवासी अपमान को हथियार बनाकर वार; किसे मिलेगी जीत और किसकी होगी हार?

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट प्रदेश की सर्वाधिक चर्चित सीट है। कांग्रेस या यूं कहें कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस गढ़ को भेदने के प्रयास में भाजपा वर्षों से जुटी है। कांग्रेस से दलबदल तो पूरे प्रदेश में हुआ है पर यहां कमल नाथ के ऐसे समर्थकों ने उनका साथ चुनाव के मौके पर छोड़ दिया जो उनकी ताकत थे और छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Wed, 17 Apr 2024 07:10 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: कमल नाथ सहानुभूति के भरोसे, भाजपा बना रही आदिवासी अपमान को मुद्दाा।
 वैभव श्रीधर, छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से एक है छिंदवाड़ा। प्रदेश की यही सीट सर्वाधिक चर्चा में है। कांग्रेस या यूं कहें कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस गढ़ को भेदने के प्रयास में भाजपा वर्षों से जुटी है। कांग्रेस से दल बदल तो पूरे प्रदेश में हुआ है, पर यहां कमल नाथ के ऐसे समर्थकों ने उनका साथ चुनाव के मौके पर छोड़ दिया, जो उनकी ताकत थे और छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस के मजबूत स्तंभ।

राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी कमलनाथ ने भाजपा की इस सेंधमारी को सहानुभूति कार्ड के रूप में खेल दिया है तो भाजपा भी पीछे रहने वाली नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी नकुल नाथ द्वारा आदिवासी विधायक कमलेश शाह को गद्दार बोला गया तो भाजपा ने इसे आदिवासी अपमान का मुद्दा बना दिया है।

वहीं, शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भुनाने का प्रयास किया जा रहा है।  भाजपा ने विवेक बंटी साहू को प्रत्याशी बनाया है, जो कमल नाथ से दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। साहू को जिताने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है।

मैदान में नकुल पर जंग पिता कर रहे 

छिंदवाड़ा से कांग्रेस के प्रत्याशी भले ही नकुल नाथ हों, पर चुनाव मैदान में उनके पिता कमल नाथ ही लड़ रहे हैं। प्रतिष्ठा भी उन्हीं की दांव पर है और भाजपा के निशाने पर भी वही हैं।  इसकी असली वजह यह है कि छिंदवाड़ा में पूरी मैदानी जमावट कमल नाथ की ही है।

क्‍या है छिंदवाड़ा में कांग्रेस की मजबूती का आधार?

आदिवासी क्षेत्र जुन्नारदेव, पांढुर्णा हो या फिर अमरवाड़ा, हर कोई कांग्रेस के नाम पर केवल कमल नाथ को जानता है। यही उनकी ताकत भी है, इसलिए भाजपा द्वारा कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल कराने का वैसा माहौल देखने को नहीं मिलता है, जिसकी संभवत: भाजपा नेताओं को उम्मीद थी।

छिंदवाड़ा में कांग्रेस की मजबूती का मुख्य आधार आदिवासी हैं। इसे ही ध्यान में रखते हुए अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। पांढुर्णा और जुन्नारदेव में कई कांग्रेसियों ने पाला बदला। भाजपा का जोर भी आदिवासी क्षेत्रों में है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के यहां दौरे हो चुके हैं।

आदिवासी अपमान को मुद्दा बनाकर घेराबंदी की जा रही है तो कमल नाथ के लिए अपनी छिंदवाड़ा विस सीट छोड़ने वाले पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना का साथ छोड़ना अवश्य बड़ा झटका है। छिंदवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्सेना का प्रभाव है। उन्हें भी अन्य नेताओं की तरह कमल नाथ नहीं, नकुल नाथ के व्यवहार से आपत्ति है।

 नकुल नाथ उन नेताओं से सामंजस्य नहीं बैठा पाए, जो असल में कमल नाथ की ताकत थे। भाजपा ने इसे ही अवसर बनाया और कांग्रेस केसामने चुनौती खड़ी कर दी है।

मोदी की गारंटी और राम लहर का आसरा

भाजपा की आस मोदी की गारंटी और राम लहर पर है, क्योंकि विकास का मुद्दा यहां अन्य क्षेत्रों के मुकाबले फीकापड़ जाता है। शहर हो या गांव, हर जगह भगवा झंडे देखने को मिल जाते हैं तो प्रचार रथों के माध्यम से ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ गीत के माध्यम से संदेश देने का काम किया जा रहा है। भाजपा ने कमल नाथ के परिवारवाद को भी चुनावी मुद्दा बनाया हुआ है।

क्‍या विकास की परिभाषा?

देखिए, केवल चौड़ी सड़कें और चौराहे ही विकास नहीं हैं। भले ही हम छिंदवाड़ा माडल की बात करते हैं, पर यहां रोजगार के अवसर नहीं हैं। कृषि प्रधान जिला होने के बाद भी इससे जुड़ा कोई बड़ा उद्योग नहीं है। पिछले 10 वर्ष में ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे यह कहा जा सके कि छिंदवाड़ा देश के साथ विकास की मुख्यधारा में जुड़ा है।

-पीयूष शर्मा, अधिवक्ता, छिंदवाड़ा

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जिस विकास की बात आज देश और प्रदेश में हो रही है, वह तो छिंदवाड़ा में 15 वर्ष पूर्व हो चुका है। रिंग रोड से लेकर अन्य सभी अधोसंरचना हमारे यहां है।मेडिकल कॉलेज से लेकर अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

-मयंक मिश्रा, इंजीनियर

कमलनाथ की अपील- आखिरी दम तक साथ निभाना

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ यह अच्छी तरह से जानते हैं कि भाजपा के लिए छिंदवाड़ा की सीट महत्वपूर्ण है, इसलिए वह लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ रहे हैं। हर सभा में दोहराते हैं कि आप से मेरा संबंध 44 वर्षपुराना है। आखिरी दम तक साथ निभाऊंगा, आप भी निभाना। इस दौरान वह बिना नाम लिए उन को कटघरे में खड़ा कर रहे, जो साथ छोड़कर चले गए।

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