'तू मुझे माफ कर मैं तुझे माफ करता हूं', सभापति बोले- इतना रोचक मत बनाइए, गरजते हुए सदन में बोलीं सुषमा- ईश्वर देश की रक्षा करें
Lok Sabha Election 2024 चुनावी किस्सों की सीरीज में आज हम आपके लिए लाए हैं साल 1996 में दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद रहीं सुषमा स्वराज का लोकसभा में दिया गया एक संबोधन। जब शोर हंगामे और विरोध के बीच अंबाला में जन्मी सुषमा स्वराज अपनी बात रखी और पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने सबको ध्यान सुनने की हिदायत दी थी...
अमित पोपली,झज्जर। साल 1996 में लोकसभा का चुनाव जीत 13 दिन की वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का राजनीतिक करियर बेहतरीन रहा। उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा शानदार पहलू उनकी वाकपटुता थी। वे हिन्दी को बहुत ही शुद्ध और उत्कृष्ठ अंदाज में बोला करती थीं।
अंबाला कैंट में जन्मी सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं हैं। पन्नों को पलट कर देखें तो वो तारीख थी 11 जून 1996, संसद चल रही थी। विश्वास मत पर चर्चा हो रही थी और यहां उसका विरोध करने के लिए अब सुषमा स्वराज खड़ी हुईं। तब वे दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र में भाजपा से सांसद थीं।
सुषमा स्वराज ने कहा, ''सवाल यह है कि यह किसी सांप्रदायिकता के नाम पर इकट्ठे नहीं हुए हैं। यह भी ओढ़ा हुआ बाना है। यह अपने गुनाहों के कारण इकट्ठे हुए है। एक दूसरे को बक्श देने की सौदेबाजी के कारण। यह अपने अपराधों के बेपर्दा होने के भय से इकट्ठे हुए हैं। यह सांप्रदायिकता के नाम पर हुई साझेदारी नहीं है। यह चारा कांड और हवाला कांड की साझेदारी है। तू मुझे माफ कर मैं तुझे माफ करता हूं...।
'न समझे वह अनाड़ी...'
चलते हुए शोर के बीच सोमनाथ चैटर्जी ने व्यवस्था से जुड़ा प्रश्न पूछते हुए कहा, ''मेरी हिन्दी पर अच्छी पकड़ नहीं। हिंदी समझ नहीं सकता। मुझे खेद है। मैं नहीं जानता कि सौदेबाजी किसके लिए कहा गया। इस पर सुषमा ने कहा-समझने वाले समझ गए, जो न समझे वह अनाड़ी, मैंने चारा कांड और हवाला कांड कहा था...।
भाषण को इतना रोचक मत बनाइए
इससे पहले जब उन्होंने बात शुरू की तो कहा, आज बिखरी हुई सरकार है और एकजुट विपक्ष है। क्या यह दृश्य अपने आप में जनादेश की अवहेलना की खुली कहानी नहीं कह रहा है? उनकी बातों के साथ शोर चलता रहा। सभापति बोल पड़े, आप अपने भाषण को इतना रोचक मत बनाइए। यह सुनकर सदन में हंसी की मानो लहर दौड़ गई।सुषमा बोलीं- हां, हम सांप्रदायिक हैं
आगे सुषमा ने कहा हां, ''हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि वंदे मातरम गाने की वकालत करते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की मांग करते हैं। हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम हिंदुस्तान में गोवंश के संवर्धन की वकालत करते हैं। सभापति जी, हां, हम सांप्रदायिक हैं क्योंकि हम हिंदुस्तान में समान नागरिक संहिता की बात करते हैं।''
चलते हुए भाषण में शोर चलता रहा, व्यवधान भी डाला, लेकिन, सुषमा रुकी नहीं। उन्होंने आगे कहा हम सांप्रदायिक हैं सभापति जी, क्योंकि कश्मीरी शरणार्थियों के दर्द को... ये सेक्युलर हैं, ये धर्मनिरपेक्ष है। ये दिल्ली की सड़कों पर तीन हजार सिखों का कत्लेआम करने वाले... सभापति जी, आप तो साक्षी हैं।