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Election 2024: उत्तर से ज्यादा दक्षिण में घमासान, भाजपा को 370 का लक्ष्य पाने और कांग्रेस को साख बचाने में कर सकता है मदद

पिछली बार भाजपा को दक्षिण में सिर्फ 29 सीटें ही मिली थी। कर्नाटक में 25 तेलंगाना में चार। इसका अर्थ है कि दक्षिण की एक सौ एक सीटें भाजपा की पकड़ से दूर रहीं। अबकी इसी मोर्चा को मजबूत करना है। प्रयास बढ़ा दिया गया है। बनारस- तमिल संगमम कार्यक्रम के आयोजन से माहौल बनाने में मदद मिली। नए संसद भवन में संगोल को प्रतिस्थापित करके भी।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Thu, 07 Mar 2024 07:49 AM (IST)
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भाजपा को 10 वर्ष के काम और मोदी मैजिक से उम्मीद है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। आगामी लोस चुनाव में भाजपा को 370 सीटों के लक्ष्य को पाने और कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाने के लिए उत्तर से ज्यादा दक्षिण भारत का गढ़ महत्वपूर्ण है। कारण - उत्तर में भाजपा ने शिखर को लगभग प्राप्त कर लिया है और कांग्रेस का आधार इतना कमजोर हो चुका है कि संघर्ष करके भी वह कुछ अतिरिक्त प्राप्त करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। इसलिए दोनों दलों की अपेक्षा दक्षिण पर टिक गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण के दौरे कर रहे हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केरल को ही ठिकाना बना रखा है। कर्नाटक व तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है और तमिलनाडु की सरकार में भागीदार है। भाजपा को 10 वर्ष के काम और मोदी मैजिक से उम्मीद है।

पटना में लालू ने उठाया सवाल, मोदी ने हैदराबाद में दिया जवाब

राजनीति में दक्षिण के महत्व को ऐसे समझा जा सकता है कि पटना में लालू प्रसाद जब मोदी परिवार पर सवाल उठाया तो पीएम ने जवाब देने के लिए हैदराबाद को चुना। पिछले दो महीने में पीएम मोदी ने दक्षिणी राज्यों के छह से ज्यादा दौरे किए हैं। एक दिन पहले एक कार्यक्रम में उन्होंने तेलंगाना को दक्षिण का गेटवे बताया था।

राहुल का ध्यान फिर वायनाड पर

राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा का पहला चरण दक्षिण से शुरू किया था कांग्रेस के दो बड़े नेता दक्षिण से ही किस्मत आजमाने जा रहे हैं। केरल के वायनाड से राहुल एवं तिरुवनंतपुरम से शशि थरूर का प्रत्याशी बनना तय है। राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार इस बार भी कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती देख रहे हैं।

वह कहते हैं कि 2019 में राहुल ने परंपरागत सीट अमेठी के अलावा केरल की ओर इसी अपेक्षा के साथ रुख किया था कि उत्तर में खराब होती स्थिति को दक्षिण का सहारा मिल सकेगा। इसका फायदा मिला। केरल की 20 में 15 सीटों पर कांग्रेस जीती, जो किसी एक राज्य में प्राप्त सीटों की संख्या के लिहाज से सबसे अधिक है। राहुल का ध्यान फिर वायनाड पर है।

तमिल संगमम व सेंगोल से साधने की कोशिश

पिछली बार भाजपा को दक्षिण में सिर्फ 29 सीटें ही मिली थी। कर्नाटक में 25, तेलंगाना में चार। इसका अर्थ है कि दक्षिण की एक सौ एक सीटें भाजपा की पकड़ से दूर रहीं। अबकी इसी मोर्चा को मजबूत करना है। प्रयास बढ़ा दिया गया है। बनारस- तमिल संगमम कार्यक्रम के आयोजन से माहौल बनाने में मदद मिली। नए संसद भवन में संगोल को प्रतिस्थापित करके भी।

ये है दक्षिण का गणित

दक्षिण के सबसे बड़े राज्य तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें है। दूसरा बड़ा राज्य कर्नाटक है, जहां 28, आंध्र प्रदेश में 25 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं। केरल में 20 व पुडुचेरी में एक दक्षिण की कुल 130 सीटें सत्ता दिलाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। 2004 के चुनाव में केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने व कांग्रेस को लाने में इन राज्यों की बड़ी भूमिका थी। यूपीए को तेलंगाना समेत संयुक्त आंध्र प्रदेश एवं तामिलनाडु की कुल 81 सीटों में से 68 पर जीत मिली थी।

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