Lok Sabha Election 2024 दार्जिलिंग सीट को लेकर हंगामा हो रहा है। दरअसल हाम्रो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड ने हाल ही में कांग्रेस में शामिल विनय तामांग के साथ ‘खेला’ कर दिया है। विनय तामांग ने जिस मुनीष तामांग की उम्मीदवारी का विरोध किया था कांग्रेस ने उसी मुनीष तामांग को दार्जिलिंग संसदीय सीट से अपना टिकट पकड़ा दिया है। इससे विनय तामांग काफी भड़के हुए हैं।
विपिन राय, सिलीगुड़ी। दार्जिलिंग पहाड़ पर हाम्रो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड ने हाल ही में कांग्रेस में शामिल विनय तामांग के साथ ‘खेला’ कर दिया है। विनय तामांग ने जिस मुनीष तामांग की उम्मीदवारी का विरोध किया था, कांग्रेस ने उसी मुनीष तामांग को दार्जिलिंग संसदीय सीट से अपना टिकट पकड़ा दिया है। इससे विनय तामांग काफी भड़के हुए हैं। उन्होंने बागी तेवर अपना लिया है।
कभी गोरखालैंड आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक रहे बिमल गुरुंग के साथ राजनीति करने वाले विनय तामांग कुछ महीने पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनकी कोशिश थी कि दार्जिलिंग संसदीय सीट से कांग्रेस अपना उम्मीदवार दे। हालांकि, उन्होंने अजय एडवर्ड या फिर मुनीष तामांग की उम्मीदवारी का विरोध किया था, लेकिन उनकी एक नहीं चली।
हाम्रो पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत मणिपुर से की थी, तब अजय एडवर्ड उनसे मिलने के लिए मणिपुर गए थे। अजय एडवर्ड इस दौरान राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल भी रहे। उन्होंने सीधे कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया, लेकिन अपने करीबी मुनीष तामांग को पार्टी का टिकट देने की बात कही।
मुनीष तामांग को मिला टिकट
मंगलवार को कांग्रेस ने जो सूची जारी की है, उसमें दार्जिलिंग संसदीय सीट से मुनीष तामांग को टिकट दिया गया है। विनय तामांग को पहले से ही इस बात की आशंका थी। इसी कारण वह मुनीष तामांग या फिर अजय एडवर्ड की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे, लेकिन उनकी एक नहीं चली। आज टिकट की घोषणा होते ही उन्होंने बागी तेवर अपना लिया है।
'पहाड़ के लोगों को स्वीकार नहीं पैराशूट प्रत्याशी'
विनय तामांग ने कहा है कि पैराशूट उम्मीदवार को पहाड़ के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। यहां के स्थानीय नेताओं को टिकट मिलना चाहिए था। अजय एडवर्ड के ऊपर भड़कते हुए उन्होंने कहा कि हाम्रो पार्टी के अध्यक्ष ने कांग्रेस नेताओं का कई बार अपमान किया। उसके बाद भी कांग्रेस हाईकमान ने उनकी सुनी और मुनीष तामांग को टिकट दे दिया।
कहा- कांग्रेस हाईकमान का फैसला सही नहीं
विनय तामांग ने कांग्रेस हाईकमान पर भी जोरदार हमला बोला। कहा कि यह कांग्रेस हाईकमान का सही निर्णय नहीं है। कांग्रेस हाई कमान को तीन से चार नेताओं ने मिस गाइड किया है। उन्होंने आने वाले दिनों में इन नेताओं के नाम की जानकारी देने की बात भी कही।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए हाम्रो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड ने कहा कि वह डॉ. मुनीष तामांग को बधाई देना चाहते हैं। मुनीष तामांग ने गोरखा जाति के लिए काफी काम किया है। पहाड़ पर उनकी एक अलग पहचान है। इसके साथ ही उन्होंने माकपा एवं अन्य सहयोगी दलों के साथ-साथ आईएनडीआईए गठबंधन का भी समर्थन के लिए शुक्रिया कहा।
अजय एडवर्ड बोले- राहुल गांधी से की मुलाकात
अजय एडवर्ड ने राहुल गांधी से अपनी मुलाकात के बारे में कहा कि वह मणिपुर जाकर राहुल गांधी से मिले थे और दार्जिलिंग पहाड़ की समस्याओं को लेकर उनसे बात की थी। उन्होंने कहा था कि पिछले 15 साल से दार्जिलिंग से भाजपा की जीत हो रही है, लेकिन भाजपा ने पहाड़ के लोगों के लिए कुछ नहीं किया। पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन हुआ और भाजपा के नेता देखने तक नहीं आए। तृणमूल कांग्रेस ने भी दमन की नीति चलाई।
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राजीव गांधी का भी किया जिक्र
उन्हें याद है कि 1986 में जब आंदोलन हुआ था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने स्वयं सुभाष घीसिंग से बातचीत की थी और पहाड़ की समस्या का समाधान किया था। विनय तामांग के बयान पर उन्होंने कहा कि उनका पूरा सम्मान करते हैं। वह कांग्रेस के लीडर हैं और उन पर कोई टिप्पणी करने का हक उनको नहीं है। वह पहाड़ के विकास के लिए विनय तामांग के साथ मिलकर काम करेंगे।
1952 से लेकर अब तक के सभी लोकसभा चुनावों की जानकारी के लिए यहां क्लिक करेंइसके साथ ही दार्जिलिंग संसदीय सीट से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा से निर्वतमान सांसद राजू बिष्ट और तृणमूल कांग्रेस से पूर्व नौकरशाह पहले से ही मैदान में डटे हुए हैं।
... कभी ममता के करीबी थे विनय तामांग
पहले विनय तामांग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी थे। विनय अपने राजनीतिक चीफ बिमल गुरुंग से अलग होकर ममता के साथ हाथ मिला चुके थे। उस दौरान ममता बनर्जी सरकार ने गोरखालैंड आंदोलन को पूरी तरह से कुचल दिया था। ममता बनर्जी ने इसके लिए कई उपाय किए। कड़ाई भी की और विकास के साथ गोरखाओं में बंटवारा भी किया। बिमल के करीबियों को अपने पाले में किया।
साल 2016 में अलग-अलग गोरखा जातियों के लिए विकास बोर्ड बनाए। कालिम्पोंग को जिला बनाया। गोरखा समुदाय की शांता छेत्री राज्यसभा भेजी गईं। इससे ममता को चुनावी लाभ तो नहीं हुआ हां पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन खत्म हो गया। वहां अभी पूरी तरह से शांति है।
अधिकांश मौकों पर गोरखा को ही उम्मीदवारी
लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र की अपनी एक अलग महत्ता है। यह संसदीय क्षेत्र एक ओर जहां भौगोलिक दृष्टिकोण से कुछ खास है वहीं दूसरी और सामरिक दृष्टिकोण से भी इसका महत्व पूरे देश में सबसे अधिक है।
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भौगोलिक दृष्टिकोण की बात करें तो इस संसदीय क्षेत्र को दो भागों में बांटा जा सकता है। आधा पर्वतीय क्षेत्र और आधा समतल का इलाका। दोनों जगह न केवल रहने वाले अलग-अलग हैं,बल्कि इनकी सभ्यता एवं संस्कृति पूरी तरह से अलग है। पर्वतीय क्षेत्र के अधिकांश मतदाता नेपाली भाषी हैं। यह गोरखा हैं। जबकि समतल क्षेत्र में बांग्ला भाषा-भाषियों के साथ हिंदी भाषा मतदाताओं की संख्या भी काफी अधिक है।
कांग्रेस के पहले गोरखा महासचिव की जीत यहीं से
इस सीट पर कांग्रेस ने कुल पांच बार कब्जा किया है। 1957 और 1962 में कांग्रेस उम्मीदवार थ्योडर मनाइन ने यहां से जीत हासिल की थी। थ्योडर मनाइन पहले गोरखा थे जो कांग्रेस के महासचिव रहे। उनको पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दार्जिलिंग संसदीय सीट से चुनाव लड़वाया और वह दो बार चुनाव जीतने में सफल रहे।
यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: क्या भाजपा को मिल गया मुलायम-लालू के सियासी वंशवाद का तोड़? कितना सफल होगा दांव?साल 1967 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मैत्रयी बसु जीतीं। वह कांग्रेस की विधायक भी थीं। 1977 में कांग्रेस के कृष्ण बहादुर छेत्री चुनाव जीतने में सफल रहे। जबकि 1989 और 1991 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट समर्थित कांग्रेस के इंद्रजीत चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
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