बारातियों ने किया खेला! बिहार में लालू के चंगुल में फंसी कांग्रेस, अब रिश्ता टूटेगा या राजद के सामने घुटने टेकेगा 'दूल्हा'?
Lok Sabha Election 2024 बिहार में सीट बंटबारे के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद का रिश्ता आईसीयू में पहुंच गया है। लालू यादव एक के बाद एक लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों के नाम का एलान करते जा रहे हैं जबकि कांग्रेस ने सब कुछ हालात पर छोड़ दिया है। राहुल गांधी खफा हैं। राजद से बात भी दूसरे नेता कर रहे हैं।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। सीट बंटवारे के मुद्दे पर बिहार में कांग्रेस और राजद का रिश्ता आईसीयू में पहुंच गया है। लालू प्रसाद धड़ाधड़ सिंबल बांट रहे हैं और कांग्रेस मुंह बाये खड़ी है। राहुल गांधी खफा हैं। सब कुछ हालात पर छोड़ दिया है। राजद से बात भी दूसरे नेता कर रहे हैं। खुद हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
अब दो बातों का इंतजार है। गठबंधन तोड़ने का या राजद के सामने घुटने टेकने का। लालू ने अपनी ओर से संबंध की इतिश्री कर दी है। इससे नीतीश कुमार को दरकिनार कर भाजपा से मुकाबला करने के लिए लालू पर भरोसा जताने वाली कांग्रेस हतप्रभ है।
पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक के दौरान राहुल गांधी को दूल्हा और खुद बाराती बनने का वादा करने वाले लालू प्रसाद से कांग्रेस को एक-एक सीट की याचना करनी पड़ रही है। फिर भी कोई भाव नहीं। उल्टे राजद उन सीटों पर भी प्रत्याशी उतारते जा रहा है, जिस पर कांग्रेस को मजबूत माना जाता है।
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निखिल कुमार की औरंगाबाद सीट छीन ली गई है। अब पूर्णिया-कटिहार की बारी है। पूर्णिया से टिकट के दावेदार पप्पू यादव ने अपने दल के कांग्रेस में विलय से पहले लालू-तेजस्वी से सहमति ली थी। फिर भी खाली हैं। तारिक अनवर को कटिहार के लिए तरसाया जा रहा है।
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कांग्रेस के साथ राजद ने ऐसा सुलूक पहली बार नहीं किया है। दोस्ती बरकरार रही तो आखिरी बार भी नहीं होगा। विदेशी मूल के मुद्दे पर सोनिया गांधी का आगे बढ़कर साथ देने वाले लालू ने यूपीए सरकार में केंद्र में पांच वर्ष मंत्री रहने के बावजूद 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार में दरवाजा दिखा दिया था।गठबंधन तोड़कर रामविलास पासवान की पार्टी के साथ सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए थे। कांग्रेस अकेली रह गई थी। दो वर्ष पहले बिहार में उपचुनाव में भी राजद ने कांग्रेस को दरकिनार कर दिया था।