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चुनावी नाव: गंगा की लहरों संग सियासी चटखारे, मोदी की बात; राहुल का साथ

ऋषिकेश में गंगा किनारे आयोजित चुनावी नाव के दौरान गंगा की लहरों संग सियासी चटखारे लगे। किसी ने मोदी की बात की तो किसी ने राहुल का साथ दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 08 Apr 2019 08:27 PM (IST)
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चुनावी नाव: गंगा की लहरों संग सियासी चटखारे, मोदी की बात; राहुल का साथ
ऋषिकेश, हरीश तिवारी। मुनिकीरेती गंगा तट स्थित है शत्रुघ्न घाट। सुबह के 11 बजे हैं। करीब 70 लोग नाव के इंतजार में यहां खड़े हैं। कुछ ही देर में मंदाकिनी नाम की नाव भी घाट पर पहुंच गई। धीरे-धीरे सभी लोग नाव में बैठ गए हैं। नाव में बैठे लोगों का मन टटोलने के लिए मैं भी नाव में सवार हो चुका हूं। पास ही भगवा वस्त्र धारी कुछ युवकों का झुंड बैठा है। मैंने सवाल किया, 'भाई! कहां से आए हो।' उनका जवाब था, 'सितारगंज से।' मैंने फिर सवाल किया, 'आपके यहां भी तो 11 अप्रैल को मतदान होना है और आप यहां घूम रहे हो।' इस पर उन्होंने बड़ी बेरुखी में जवाब दिया, 'हमारा वोट नहीं है' और निगाहें दूसरी ओर फेर लीं। 

नाव में मुनिकीरेती निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग संत विभूति रूपानंद को भी मैंने यूं ही चुनाव की बात कह कर छेड़ दिया। वह कहने लगे, 'मैं और मेरे परिवार के लोग दादा-परदादा के जमाने से कांग्रेसी रहे हैं। जिस जमाने में घर में ढिबरी (लैम्प) और अनाज तक नहीं होता था, उस जमाने में इंदिरा गांधी ने गरीबों के लिए साधन उपलब्ध कराए। भाजपा और मोदी क्या किया, सिवाय नेहरू परिवार को गाली देने के।' सितारगंज के शक्ति फार्म से घूमने आए युवा, जो चुनावी चर्चा में बेरुखी दिखा रहे थे, उनमें से एक युवक अशोक को शायद स्वामी जी की बात अखर गई। वह बोला, 'हमारे इलाके में जो काम कांग्रेस न कर सकी, वह भाजपा ने पांच साल में करके दिखा दिए। अब तो गांव में भी पक्की सड़कें बन गई हैं। सिडकुल के लिए पुल का निर्माण भी हो रहा है।' 

स्वामी जी के बगल में एक बुजुर्ग और बैठे हैं। पूछने पर अपना नाम रिटायर्ड ङ्क्षप्रसिपल ऋषिकेश निवासी आचार्य देवेंद्र दत्त बड़थ्वाल बताया। उनकी बातों से साफ लग रहा है कि वह वर्तमान हालात से खफा हैं। कहने लगे, 'देश सोचने से नहीं, करने से चलता है। यह जिम्मेदारी हर आदमी की है। सरकारों में कोई फर्क नहीं पड़ा है। इतना जरूर है कि इस सरकार में घोटाले नजर नहीं आ रहे।' फिर बोले, सत्यवादी तो मोदी भी नहीं है, मगर औरों से बेहतर हैं। रही बात बेरोजगारी और अन्य समस्याओं की, तो वह इतनी जल्दी निपटने वाली नहीं हैं।' 

बातों ही बातों में सात मिनट यूं ही गुजर गए और अब नाव गीता भवन स्वर्गाश्रम घाट पर पहुंच चुकी है। सभी लोग नाव से उतर कर अपने गंतव्यों को चल दिए। करीब सवा 11 बजे स्वर्गाश्रम से यह नाव दूसरे यात्रियों को भरकर वापस लौटने लगी। 

इस बार जो लोग नाव में सवार हैं, वह सफर शुरू करते ही राजनीति चर्चा में मशगूल हो गए। इस ग्रुप के मुखिया अहमदाबाद (गुजरात) निवासी जयंतीभाई पंचाल मोदी के हाथों में देश को सुरक्षित बताते हैं। मैंने पूछा कि 'आप तो गुजरात के रहने वाले हैं, मोदी का पक्ष तो लेंगे ही।' शायद उन्हें मेरी बात बुरी लगी, मगर चेहरे पर इस तरह का भाव बिल्कुल नहीं आने दिया। बल्कि, तर्क के साथ बोले, 'गुजरात में मुख्यमंत्री रहते मोदी ने वहां बहुत काम किया। गुजरात की तर्ज पर देश का विकास उन्होंने ही किया है। ऐसा नहीं कि हम गुजरात को देखकर यह बात कह रहे हैं। 

हम राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी घूमे हैं। सभी जगह मोदी की चर्चा है। पाकिस्तान को करारा जवाब देने की बात हो या पूरे देश में विकास की, सब-कुछ तो मोदी ने ही किया।' इसी बीच पास में बैठी अहमदाबाद (गुजरात) निवासी रक्षा बहन चर्चा में शामिल हो गईं। कहने लगीं, 'मोदी फिर आएंगे, यह हम नहीं, पूरा देश कह रहा है। यह चुनाव सांसद नहीं, प्रधानमंत्री लड़ रहे हैं। पास बैठा एक युवक इस चर्चा में असहज नजर आ रहा है। 

मैंने पूछा, 'भैया क्या नाम है आपका और कहां के रहने वाले हो।' युवक ने अपना नाम कोलकाता निवासी तुहिन दास बताया। फिर बोले, 'पश्चिम बंगाल में भाजपा की हालत अच्छी नहीं है। वहां ममता बनर्जी का संगठन बहुत अच्छा है।' तभी तुहिन की बात बीच में काटते हुए नाव में सवार एक सज्जन 'मोदी-मोदी' बोलने लगे। मैंने भी चौंककर जब उनसे नाम पूछा, तो बोले- 'मैं मोदी हूं। पूरा नाम अल्पेश भाई मोदी है।' पश्चिम बंगाल की बात पर वह तुहिन दास को समझाने लगे कि ऐसा नहीं है। वहां भी भाजपा ने अच्छी मेहनत की है। तुहिन दास ने भी शायद माहौल को भांप लिया और बोले, 'चाहते तो हम भी यही हैं, मगर ऐसा हो नहीं रहा है।' 

इस बीच नाव मुनिकीरेती के शत्रुघ्न घाट पर पहुंच गई। आधी नाव हालांकि खाली हो गई थी, मगर राजनीतिक चर्चा में मशगूल गुजरात और कोलकाता के यह यात्री अपनी बात पूरी करने के बाद ही नाव से उतरे। इस बीच नाविक बुद्धि गाइन अपने एक साथी के साथ मोदी की योजनाओं को गिनाते हुए इस बात की गारंटी लेने लगा की सरकार तो मोदी ही बनाएंगे। नाव फिर सवारियों को भरकर अपने अगले फेरे पर चल पड़ी और मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपने दफ्तर की ओर। 

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