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चुनावी चौपाल: गंगा स्वच्छता को सरकार ने किया ठोस उपाय, विपक्ष ने बनाया मुद्दा

दैनिक जागरण की ओर से शुक्रवार को हरिद्वार जिले के चंडीघाट स्थित नमामि गंगे गंगा घाट पर आयोजित चुनावी चौपाल में अतिथियों और तीर्थयात्रियों ने अपने विचार रखे।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 30 Mar 2019 08:36 PM (IST)
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चुनावी चौपाल: गंगा स्वच्छता को सरकार ने किया ठोस उपाय, विपक्ष ने बनाया मुद्दा
हरिद्वार, जेएनएन। गंगा को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने के लिए भले ही 1985 में गंगा एक्शन प्लान में करोड़ों रुपये खर्च हुए, मगर जो कार्य और गंगा की सफाई की अपेक्षा थी वह पूरी नहीं हो सकी। मोक्षदायिनी गंगा को प्रदूषण मुक्त कर उसे वास्तव में अविरल और निर्मल गंगा बनाने के लिए हाल के चार पांच साल में नमामि गंगे के तहत केंद्र सरकार ने जो बीड़ा उठाया था, वह धरातल पर साकार होता नजर आ रहा है, गंगा स्वच्छता के लिए सरकार ने नमामि गंगे परियोजना को धरातल पर फलीभूत कर दिया।

आज जहां गंगा में गिरने वाले नाले नालियों और मानव मलमूत्र को रोकने के लिए एसटीपी, श्मशान घाट बनाकर गंगा के दामन को दृढ़ इच्छा से उज्जवल करने का काम द्रुत गति से  चल रहा है। भले ही विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बना रहा हो पर, केंद्र सरकार ने काम के जरिये गंगा की निर्मलता की ओर ठोस कदम बढ़ाया है। गंगाजल का अब भी प्रदूषित रहना चिंता का विषय जरूर है पर, यह भी साफ है कि जो कार्य हो रहे उनके पूरा होते ही यह समस्या अपने-आप समाप्त हो जाएगी। यह बात और विचार चंडीघाट स्थित नमामि गंगे गंगा घाट पर दैनिक जागरण की ओर से शुक्रवार को नमामि गंगे परियोजना विषयक आयोजित चुनावी चौपाल कार्यक्रम में अतिथियों और देश के विभिन्न हिस्सों से आए तीर्थयात्रियों ने रखी।

कलकल बहती गंगा के साक्षात दर्शन और आचमन के लिए गंगा तट पर जुटे लोगों ने यह माना कि केंद्र की वर्तमान सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से गंगोत्री से गंगासागर तक लंबी गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाया। इसके पहले राजीव गाधी के नेतृत्व वाली सरकार ने 1985 में भले ही गंगा एक्शन प्लान वन टू के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इसमें इच्छा शक्ति के अभाव के चलते अपेक्षित सफलता नहीं मिली। आज नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से न सिर्फ गंगा में प्रवाहित गंदगी को रोका जा रहा है।

अब गंगा स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी न रहकर जनांदोलन का हिस्सा बन गया है। पिछले दो दशक से हरिद्वार के चंडीघाट स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़े मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिला निवासी संजय चतुर्वेदी ने गंगा स्वच्छता के लिए चल रहे प्रयास की हकीकत को काफी करीब से देखा है। वह कहते हैं कि 1985 से शुरू हुए प्रयास 2014 तक चले, लेकिन असर नहीं दिखा। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपनी प्रत्याशिता घोषित होने के बाद कहा मुझे मां गंगा ने बुलाया है तभी से वह गंगा स्वच्छता के अपने विजन को साकार करने में दिन रात एक कर जुटे। पूर्व में उठे कदमों के सफल न होने का कारण वह बजट में 70 फीसद केंद्र और 30 फीसद राज्य सरकार के हिस्से को भी मानते हैं। क्योंकि कई प्रदेश सरकारों ने अपने हिस्से की राशि देने में आनाकानी की। लेकिन अब नमामि गंगे में पूरा हिस्सा केंद्र सरकार खुद उठा रही है। 

अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष उज्जवल पंडित ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता हरिद्वार को जोड़े बिना संभव ही नहीं है। यहां हर साल करोड़ों की संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। हरिद्वार हरि यानी भगवान तक पहुंचने का द्वार है। मानव कल्याण के लिए भगीरथ प्रयास से शिव की जटाओं से होकर धरती पर पितरों को मोक्ष देने उतरीं गंगा को आज भले ही कुछ दल मुद्दा बनाने में लगे हैं, जबकि हकीकत यह है कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी गंगा का स्पर्श कर अपने चुनावी अभियान में उतरीं। यह अब हुए कार्य का प्रतिफल ही है। 

बिजनौर उत्तर प्रदेश के गूढ़ा गांव से आए सीताराम मानते हैं केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना का असर गंगा स्वच्छता की दिशा में साफ दिख रहा है। इसका समर्थन नजीबाबाद के श्याम सिंह ने भी किया। हालांकि, लोगों ने इसमें और तेजी की अपेक्षा भी जताई। प्रेमपुर महादेव मंदिर बिजनौर उत्तर प्रदेश निवासी गौरव ने कहा पहले गंगा में स्नान करने से पहले सोचना पड़ता था लेकिन अब गंगा की निर्मलता से आस्था को सहारा मिला है। जौहर  सिंह पाल गूढा नजीबाबाद निवासी हैं। वह बताते हैं कि पांच साल में पहले से अधिक काम हुआ है। 

बोली जनता

  • संजय चतुर्वेदी (फैजाबाद उत्तर प्रदेश, हाल निवासी दिव्य प्रेम सेवा मिशन, चंडीघाट) का कहना है कि गंगा की स्वच्छता और निर्मलता को नमामि गंगे परियोजना में किए गए कायरें का असर आज साफ दिख रहा है। आज लोग गंगा की शुद्धता के लिए उसे साफ रखने के आंदोलन के सहभागी बनकर खुद अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसके लिए पहले के कार्य केवल वास्तविक कम कागजी अधिक रहे।
  • उज्जवल पंडित (अध्यक्ष अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित महासभा) का कहना है कि हरिद्वार में नमामि गंगे में कई बड़े काम हुए हैं। चंडीघाट रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना के तहत आज गंगा किनारे भव्य और अलौलिक आकर्षण वाला घाट बना है तो कस्साबान नाले से गंगा में जाने वाले पशुवध अवशेषों को रोकने को नाले की टैङ्क्षपग से गंगा मैली होने से बच रही है। अब लोगों की आस्था को सरकार के कदमों से गंगा के निश्चित ही अविरल और निर्मल होने का सफर पूरा होगा यह भरोसा बढ़ा है।
  • बिजेंद्र, निवासी ( विश्‍वनाथ मंदिर चौक, वाराणसी, उत्तर प्रदेश) का कहना है कि गंगा स्वच्छता के लिए चालीस साल से अधिक चार साल में काम हुआ है। काशी से लेकर प्रयाग तक और हरिद्वार में भी नमामि गंगे के कार्य का असर साफ दिख रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस शहर के विश्र्वनाथ मंदिर चौक के रहने के चलते गंगा की पहले ही हालत और अब की हालत करीब से भी देखा है। गंगा जल की शुद्धता और सफाई दोनों आस्था से जुड़ा है। गंगा की अविरलता के लिए किए कायरें का असर प्रयागराज में हुए कुंभ से देश विदेश तक पहुंचा है। 
  • बलवंत सिंह (निवासी, चंडीघाट हरिद्वार) का कहना है कि केंद्र सरकार ने तो गंगा स्वच्छता की दिशा में ठोस कार्य कर दिखा दिया। लेकिन विपक्ष इसे केवल अपने फायदे के लिए मुद्दा बनाने तक सिमट कर रह गया। जब पूर्व की सरकारों ने अपने समय में गंगा को साफ रखने के लिए कार्य कर नहीं दिखा पए तो आलोचना का अधिकार भी उन्हें नहीं होना चाहिए। 
  • अर्पित कुमार (निवासी गोरखपुर उत्तर प्रदेश, हाल निवासी दिव्य प्रेमसेवा मिशन चंडीघाट) का कहना है कि गंगा स्वच्छता के लिए पहले के उठे उपायों में प्रतिबद्धता और दृढ़ इच्छा की कमी थी। आज गंगा सफाई का कार्य केवल सरकारी स्तर नहीं जनता के कंधे पर भी आ गया है। आमजन जहां गंगा स्वच्छता के लिए स्वयं काम में शामिल हो रहे हैं वहीं गंगा को गंदा करने वालों को सीख भी दे रहे हैं।
  • संतोष सिंह (निवासी भागीरथीनगर हरिद्वार)  का कहना है कि‍ गंगा स्वच्छता के लिए हाल के काम हुए हैं। हालांकि इसमें और तेजी की जरूरत है। आज लोग गंगा स्वच्छता के प्रति केवल सरकार के भरोसे नहीं हैं। वह खुद जागरुकता अभियानों से प्रभावित होकर अपना हाथ बढ़ा रहे हैं। 
  • डा जितेंद्र सिंह, (महोबा, उत्तर प्रदेश  हाल निवासी चंडीघाट) का कहना है कि पहले बगैर किसी ठोस कार्ययोजना के प्रस्ताव गंगा सफाई के लिए बने और इस पर करोड़ों रुपये खर्च भी हुए। लेकिन इसका प्रतिफल गंगा स्वच्छता के रूप में नहीं दिखी।नमामि गंगे में अब दृढ़ संकल्प और सुनियोजित योजना के साथ काम चरणबद्धता के साथ आगे बढ़ा है। इससे लोगों में भरोसा बढ़ा है। 
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