Lok Sabha Election: पहले प्रचार के नहीं थे ज्यादा माध्यम, नेताओं को आना पड़ता था लोगों के बीच; आज के हालात एकदम अलग
पहले ज्यादातर लोगों में एक ही पार्टी की चर्चा रहती थी बल्कि कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता भी लोगों के बीच आ जाते थे। पहले नेताओं को प्रचार प्रसार करने के लिए लोगों के बीच आना पड़ता था और प्रचार के ज्यादा माध्यम नहीं थे । लेकिन अब जमाना बदल गया है। मोबाइल टीवी व इंटरनेट का जमाना है कोई भी बात हो तो तुरंत लोगों के बीच पहुंच जाती है।
जागरण संवाददाता, हिसार। पहले जमाने के और अब के चुनाव में बड़ा अंतर आ गया है। समय बीतने के साथ ही चुनावी चाल और मुद्दे भी बदल जाते हैं। जब हरियाणा में पहले चुनाव के बाद लगातार 70 वर्षों में हुए चुनाव की बात करें तो पहले नेताओं को चुनाव में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती थी।
पहले जब चुनाव हुआ करते थे तो ज्यादातर लोग एक ही पार्टी को ज्यादा जानते थे और उसी के उम्मीदवार को वोट दे देते थे। विधानसभा व लोकसभा के चुनाव एक साथ ही हुआ करते थे और विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार तो लोगों के बीच आ जाते थे, लेकिन कई बार लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार लोगों के बीच भी नहीं आते थे।
पहले कम्युनिस्ट पार्टियों का था बोलबाला
पहले ज्यादातर लोगों में एक ही पार्टी की चर्चा रहती थी बल्कि कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता भी लोगों के बीच आ जाते थे। पहले नेताओं को प्रचार प्रसार करने के लिए लोगों के बीच आना पड़ता था और प्रचार के ज्यादा माध्यम नहीं थे । लेकिन अब जमाना बदल गया है। मोबाइल, टीवी व इंटरनेट का जमाना है, कोई भी बात हो तो तुरंत लोगों के बीच पहुंच जाती है।प्रचार प्रसार के माध्यमों का तेजी से प्रचलन बढ़ गया है
प्रचार प्रसार के माध्यमों का तेजी से प्रचलन बढ़ गया है और कुछ ही समय में पूरी दुनिया में बात पहुंच जाती है जबकि पहले जमाने में ऐसा नहीं था। उन्होंने बताया कि अब बहुत सारे राजनीति दल हैं और उनके नेता हमारे बीच आते हैं लेकिन लोकसभा क्षेत्र से बनने वाले नेता अब लोगों के बीच नजर नहीं आते हैं।