इस लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण तक आते-आते पूर्वांचल में राजनीतिक हिसाब-किताब का तो फिलहाल यही हाल है। बनारस से दैनिक जागरण की रिपोर्ट...
सांसकृतिक राजधानी बनारस उत्तर प्रदेश के धुर पूरब में राजनीतिक समीकरणों को भी अच्छे से प्रभावित करता है। यहां से पंडित कमलापति त्रिपाठी, श्यामलाल यादव और डॉ. संपूर्णानंद जैसे नेताओं ने अपने कृत्यों से सुंदर उदाहरण समाज के सामने रखे।
वहीं, नरेन्द्र मोदी ने इसे शिखर तक पहुंचाया है। सन 2014 में बनारस से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने वाले नरेन्द्र मोदी ने अपना तीसरा लोकसभा चुनाव लड़ते-लड़ते काशी को पूरे पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र बना दिया है।
पूर्वांचल में मतदान की तिथियां आमतौर पर अंतिम के दो चरणों में पड़ती हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने के कारण स्वयं मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं का पूर्वांचल पर फोकस बन जाता है।
इसके चलते गोरखपुर, बांसगांव, सलेमपुर से लगायत चंदौली, घोसी और सोनभद्र तक की सीटों पर किन्हीं कारणों से बिगड़ रहे राजनीतिक समीकरणों को साध लेने का पर्याप्त अवसर मिल जाता है। सन 2014 और 2019 के चुनाव परिणाम स्वयं प्रत्यक्ष हैं कि बनारस से मोदी के लड़ने का राजनीतिक लाभ भाजपा को पूरे पूर्वांचल में मिल रहा है।
काशी और प्रधानमंत्री
बनारस से मोदी के चुनाव लड़ने के कारण पूर्वांचल के लोग स्वत: ही भाजपा की ओर आकर्षित हो जाते हैं। आप मीरजापुर, चंदौली, ज्ञानपुर से लेकर आजमगढ़, गाजीपुर या जौनपुर कहीं भी चले जाएं, शानदार सड़कों का जाल आपका मन मोह लेता है।इसके अलावा बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा समेत विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं में बीते दस वर्ष के दौरान लगभग 45 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इससे आम लोगों के जीवन में आए बदलावों का श्रेय भाजपा को मिलता है।
यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: 'अपने जाल में फंस चुकी भाजपा, जनता तय करेगी बिकाऊ नेता चाहिए या टिकाऊ' पढ़िए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का पूरा इंटरव्यूभाजपा, गंगा में जल परिवहन और वंदे भारत जैसी ट्रेनों को चलाने का लाभ गिनाती है, जिसे लोग मानते भी हैं, लेकिन सवाल भी उठाते हैं। बनारस में नदेसर निवासी बनारसी लाल बताते हैं कि ‘गंगा में जल परिवहन सेवा अनियमित है जबकि वीआईपी ट्रेनों के चक्कर में आम यात्रियों की सवारी गाड़ियां उपेक्षित कर दी गई हैं।’
लंका निवासी शिवहरि दुबे स्पष्ट कहते हैं, ‘यह गौरव की बात है हम सभी के लिए कि स्वयं प्रधानमंत्री हमारे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, यहां बैठकें करते हैं और निरीक्षण कर चीजों पर नजर रखते हैं। यही कारण है कि न केवल बनारस वरन पूरे पूर्वांचल में मोदी-योगी के कारण आम जनजीवन बेहद सरल और व्यवस्थित हुआ है।’
बात भरोसे की
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में चुनाव आमतौर पर ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द घूमता है जबकि धुर पूरब में जातियां इसे प्रभावित करने लगती हैं। ऐसे में समर्थकों का अपने नेता पर भरोसा बहुत मायने रखता है। बात मोदी पर भरोसे की करें तो एक छोटी-सी घटना याद आती है।
यह भी पढ़ें -Lok Sabha Election 2024: पंजाब की इस सीट पर धर्मसंकट में मतदाता, सभी आम जनता के नेता; किसको चुनें और किसको छोड़ेंसमीकरणों को थोड़ा और मनमाफिक करने के लिए भाजपा के लोग थोड़ा चिंतित थे, तभी मऊ के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज राय ने कहा कि मोदीजी सब संभाल लेंगे। यह बात 25 मई की थी और इसी शाम मोदी की गाजीपुर में जनसभा थी। उनकी सभा के बाद सभी की प्रतिक्रिया थी कि देखा मोदीजी ने सब संभाल लिया। वस्तुत: मोदी को लेकर यह भरोसा ऊपर से नीचे तक दिखता है।
लोगों में उम्मीद भरता है संसदीय कार्यालय
इसी क्रम में बनारस के रवींद्रपुरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय कार्यालय भी पूरे पूर्वांचल के लोगों में उम्मीद भरता है। मोदी के इस संसदीय कार्यालय के सह प्रभारी एनपी सिंह यहां की कार्यप्रणाली के बारे में बताते हैं कि यहां मंत्री, एमएलए और एमएलसी सप्ताह के अलग-अलग तय दिनों में सुबह 11 बजे से जन सुनवाई करते हैं।
यह भी पढ़ें - सीमा पर गरम है राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा, लेकिन शहर में नरम, पंजाब की इस सीट पर क्या कहते हैं मतदाता? पढ़िए रिपोर्टवह आगे बताते हैं कि पूर्वांचल भर से आने वाली जन शिकायतों को संबंधित विभाग के अधिकारियों को भेजा जाता है। कुछ शिकायतें दूसरे प्रदेशों से भी आती हैं तो उन्हें दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय के माध्यम से संबंधित प्रदेश को भेजा जाता है। एनपी सिंह बताते हैं कि सुनवाई कर रहे जनप्रतिनिधि संबंधित अधिकारियों को फोन भी करते हैं। इसकी पूरी रिपोर्ट प्रधानमंत्री के दिल्ली कार्यालय को भी भेजी जाती है।
अंतिम चरण एक जून को
सातवें और अंतिम चरण के लिए मतदान होना है। बात उत्तर प्रदेश की करें तो इस चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के साथ ही मीरजापुर, बलिया, गाजीपुर, गोरखपुर व चंदौली समेत कुल 13 सीटों पर 144 प्रत्याशियों की परीक्षा होने जा रही है।
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