Lok Sabha Election 2024: बुलंद दरवाजे से बटेश्वर की कथा; राज, राम और एक वोट कटवा! किसके साथ है फतेहपुर सीकरी का वोटर?
Fatehpur Sikri Lok Sabha Election 2024 फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट भाजपा के लिए सम्मान का प्रश्न बन गई है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा भी मजबूती के साथ मैदान में हैं। लेकिन यहां पर हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की एक अलग तस्वीर बनती हुई नजर आ रही है। पढ़िए बुलंद दरवाजे की नगरी से खास ग्राउंड रिपोर्ट. . .
अवधेश माहेश्वरी, फतेहपुर सीकरी। बुलंद दरवाजा एकतरफ तो दूसरी ओर यमुना तट पर विराज रहे बटेश्वर नाथ। फतेहपुर सीकरी संसदीय क्षेत्र का नक्शा देखें तो, यह सुदूर तक फैला संसदीय क्षेत्र एक छोर दयालबाग यमुना किनारे को छूता है, तो दूसरे छोर को बाह में चंबल छूती है। सीकरी की दिशा अलग है। सच कहें तो भौगोलिक रूप से बहुत दुरूह।
लोकसभा चुनाव की तस्वीर देखें तो मतदाता कैसी तस्वीर बनाने का मन बना चुका है, समझना उतना आसान नहीं। इस क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं में कम से कम चार तरह के रंग भरने का मन है। हां, भाजपा के लिए यहां जीत हासिल करना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि पार्टी ने सारी ताकत अंतिम पांच दिन में यहां लगा दी है। वहीं कांग्रेस के फौजी का दम भी कम नहीं है।
पिछली बार खिला था कमल
सीकरी संसदीय सीट से आगरा ग्रामीण, फतेहाबाद, बाह, खेरागढ़ और सीकरी विधानसभा सीट लगती हैं। पिछली बार भाजपा के राजकुमार चाहर ने 4.96 लाख वोटों से जीते थे। वह फिर कमल चुनाव चिह्न लाए हैं। कांग्रेस-सपा गठबंधन का हाथ पूर्व सैनिक रामनाथ सिकरवार संग है। बसपा के हाथी पर रामनिवास शर्मा हैं।यदि चुनाव में एक सप्ताह पूर्व की बात करें तो चाहर मुश्किल में थे। लग रहा था कि दिल्ली का रास्ता कांग्रेस के नजदीक हो रहा है। परंतु मतदान के अंतिम दौर तक बहुत मंथन हो गया है, जिसमें भाजपा को अमृत मिल गया है। रुनकता के प्लाईवुड की दुकान पर बैठे रायभा के बबलू कहते हैं कि पार्टी संग प्रत्याशी बड़ा मुद्दा हो गया है। आखिर चाहर ने यह तो सोचा होता कि दोबारा चुनाव में भी जाना है।
क्या कहते हैं वोटर?
वहीं बैठे कथावाचक भोलेराम कहते हैं कि भाजपा ने रामेश्वर को बाहर करने में इतनी देरी क्यों कर दी? वोट पर कहते हैं कि रामनाथ की जाति में वह सबसे मजबूत हैं लेकिन उनके लिए मुद्दा हिंदुत्व है। कुकथला के पास ताशों की महफिल सजी है। वहां बाबूलाल कहते हैं कि जाट वोटों में बंटवारा है। यह आगे जाटों के लिए ही मुश्किल भरा होगा, क्योंकि कोई और जीता तो आगे भी दावेदारी रहेगी।वह भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पर कहते हैं कि क्षेत्र में आलू प्रसंस्करण केंद्र बनवाया लेकिन प्रचार क्यों नहीं कर सके। वह अब गंगाजल लाने की बात कर रहे हैं लेकिन तब से कहां थे। ऐसे में रामेश्वर को जाटों में दम मिला। अब वोट तो बहुत कटेगा। हाथी को लेकर कहते हैं कि प्रत्याशी रामनिवास के व्यक्तिगत संबंध सीकरी में बहुत हैं। यही उनकी मजबूती का आधार है।आगे बढ़ने पर अभुआपुरा में सोनू पंडित कहते हैं कि सबका अपना-अपना बंटवारा है। उनके लिए तो मोदी-योगी ही नाम हैं। टीटू पंडित कहते हैं कि आप समझ सकते हैं कि पहले एक ही बिरादरी के दारोगा दिखते थे। अब गांव में चलो तो कई दूसरी जातियों के भी दारोगा हैं। योगी ने परीक्षाएं बिना गड़बड़ी कराई हैं, तो मौका मिला है।