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40 वर्ष में पहली बार वोट मांगने घर-घर पहुंचीं मुख्तार अंसारी परिवार की महिलाएं, सपा के टिकट पर चुनावी रण में हैं अफजाल अंसारी

Lok sabha Election 2024 मुख्तार के गृह जिले और सर्वाधिक प्रभाव वाली इस सीट पर 40 साल के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार है जब उनके घर की महिलाएं परिवार के राजनीतिक वजूद या रसूख के लिए घर-घर जाकर वोट मांग रहीं। यहां सपा के टिकट पर अफजाल अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं। पारसनाथ राय बीजेपी से और डॉ. उमेश सिंह बसपा से चुनावी रण में हैं।

By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Fri, 31 May 2024 09:51 AM (IST)
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Lok sabha Election 2024: गाजीपुर सीट पर 40 वर्ष में पहली बार वोट मांगने घर-घर पहुंचीं अंसारी परिवार की महिलाएं
जितेन्द्र शुक्ल, गाजीपुर। उत्तर प्रदेश में गाजीपुर संसदीय क्षेत्र के सदर विधानसभा क्षेत्र का संकरा गांव, जहां दलित बस्ती में कुछ बुजुर्ग, कुछ प्रौढ़ महिलाओं के बीच पीला सलवार सूट पहने, सिर पर पीला दुपट्टा डाले बैठी एक युवती उन्हें भाजपा सरकार की कमियां बताती और एकजुट होकर वोट करने की अपील करती दिखती हैं।

यह युवती मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी की बेटी नूरिया अंसारी है। मुख्तार के गृह जिले और सर्वाधिक प्रभाव वाली इस सीट पर 40 साल के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब उनके घर की महिलाएं परिवार के राजनीतिक वजूद या रसूख के लिए अपनी ड्योढी से बाहर निकली हैं और घर-घर जाकर वोट मांग रहीं। गाजीपुर में लड़ाई माफिया मुख्तार अंसारी परिवार के ढहते रसूख और लोगों के उस विश्वास के बीच है, जो कहते हैं कि अब और नहीं।

वंचित वर्गों से मांगे जा रहे वोट

मुख्तार के जीवित रहते जो लोग दबाव में ‘जी हुजूरी’ करते थे और अब उसकी मौत के बाद उनका जिस तरह व्यवहार बदला है, इसका अहसास भी परिवार को है। तभी तो ये महिलाएं वंचित वर्ग के परिवारों के बीच ही ज्यादा जा रही हैं। भूमिहार, ठाकुर और ब्राह्मण परिवारों के बीच उनकी उपस्थिति नगण्य है।

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मोदी सरकार की योजनाओं पर उठा रहीं सवाल

पिता के लिए वोट मांगने पहुंचीं नूरिया वहां मौजूद महिलाओं को भाजपा की कमियां बताती हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार की गारंटी पर सवाल उठाती हैं। पूंजीवाद, सामंतवाद की बात करती हैं। उनके बच्चों के भविष्य की दुहाई देते हुए बताती हैं कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव उनके लिए ही लड़ रहे हैं। वह आवास योजना पर सवाल उठाती हैं। कहती हैं कि मोदी सरकार में महंगाई बढ़ी है।

सपा ने अफजाल अंसारी को दिया है टिकट

उन्हें बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट डालना है। यहां से सपा ने इस बार भी अफजाल अंसारी को ही टिकट दिया। वह 2019 में भी जीते थे। भाजपा ने चुनावी राजनीति में नए चेहरे स्कूल संचालक पारस नाथ राय को टिकट दिया है। सिधौना में एक दुकान में बैठे काशीनाथ यादव यह तो मानते हैं कि मुख्तार की मौत के बाद परिवार का दबदबा कम हुआ है, लेकिन माफिया शब्द पर वह कहते हैं कि यह तो देखने का अपना-अपना नजरिया है। कुछ के लिए मुख्तार मददगार रहा है तो कुछ लोग उसे माफिया बनाने में तुले रहते हैं। वह कहते हैं कि यहां का मुस्लिम और यादव अफजाल के साथ जा सकता है।

एमपी के सीएम मोहन यादव की सभाओं को लेकर टिप्पणी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभाओं को लेकर टिप्पणी की कि वह कब से यादवों के नेता हो गए। सब जानते हैं कि उन्हें क्यों लाया गया है। पियरी और महमूदपुर में रामशंकर बिंद आरक्षण को लेकर चिंतित दिखे। इस बार के चुनाव के मुद्दों पर बात चली तो बोले-डबल इंजन की सरकार है। लोगों को सुविधाएं मिली हैं, लेकिन पिछड़े वर्ग में आरक्षण का अब तक का सर्वाधिक लाभ तो केवल दो-तीन जातियों को ही मिल पाता है। बाकी तीन सौ जातियों के लोग परेशान हैं। सरकार को इस पर सोचना चाहिए।

'सरकार के काम से खुश हैं लोग', लोगों की राय

गाजीपुर में शिवनारायण कुशवाहा ने बताया कि अब रात में आना-जाना आसान हुआ है और लोग सरकार के काम से खुश हैं। गाजीपुर में हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले वेद प्रकाश आर्य कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी संगठन के तो व्यक्ति हैं, लेकिन मतदाताओं से ज्यादा परिचित नहीं हैं। भाजपा का अपना जनाधार है, जो उसे लड़ाई में मजबूत बना रहा है। बसपा ने इस बार डॉ. उमेश कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। उन्हें बिरादरी का कुछ समर्थन भी है, लेकिन बसपा के परंपरागत वोट पर इसका असर पड़ता दिख रहा है और वह दूसरे दलों में जा सकता है।

ओपी राजभर की पार्टी से है गठबंधन

पारस राय सादात में लंबे समय तक विद्यालय के प्रबंधन और संचालन से जुड़े रहे तो निजी विद्यालयों के बड़े नेटवर्क का लाभ उन्हें मिल सकता है। सादात क्षेत्र जो सैदपुर और औड़िहार से लगा हुआ है, जिसमें ठाकुर समुदाय की बहुलता है। इसमें स्थानीयता का लाभ भाजपा को मिल सकता है। भाजपा का इस बार ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन है। इस लोस क्षेत्र में राजभर की संख्या अच्छी खासी है, जिन पर ओमप्रकाश की मजबूत पकड़ है। पिछले विस चुनाव में इसका प्रदर्शन भी वह कर चुके हैं। भाजपा के वोट में इसे भी जोड़ दिया जाए तो लड़ाई रोचक दिख रही है। यही कारण है कि मुख्तार के बिना चुनाव लड़ रहे उनके भाई अफजाल के लिए रास्ता आसान नहीं है।

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