हार के बावजूद सियासी रण में मजबूती से डटे रहे हरदा, प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा
लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस नेवरिष्ठ नेता हरीश रावत को नैनीताल लोकसभा सीट से मैदान में उतार दिया है। वह इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ेंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 25 Mar 2019 09:19 AM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस नेवरिष्ठ नेता हरीश रावत को नैनीताल लोकसभा सीट से मैदान में उतार दिया है। वह इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ेंगे। उनके सियासी कद और सांगठनिक पकड़ के चलते पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। वह ऐसे कद्दावर नेता है, जो हार के बावजूद सियासी रण में मजबूती से डटे रहे। राज्य की राजनीति में उनका बड़ा नाम है। वह वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्य भी हैं। वह क्षेत्र में अलग-अलग आयोजनों में शामिल होने से लेकर स्थानीय मुद्दों पर भी बेबाकी से टिप्पणी करते रहते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में अहम जिम्मेदारी निभाते हैं। फिर भी स्थानीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति का एहसास कराते रहे हैं। उनके समर्थकों की भी इच्छा थी कि वह नैनीताल संसदीय सीट से ही चुनाव लड़ें।
पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग से बटोरी सुर्खियांसीएम रहने और उसके बाद भी हरीश रावत पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग करते रहे। आम, भुट्टा व नीबू पार्टी ही नहीं उनके खिचड़ी भोज कार्यक्रम ने भी खूब सुर्खियां बटोरी। मडुवा, माल्टा व झिंगोरा उत्पादों का भी उन्होंने जमकर प्रचारित किया। इस तरह के आयोजनों से वह खुद को आमजन से जुड़ा हुआ महसूस कराते रहे।
हरिद्वार से भी चुनाव लडऩे की थी चर्चा कांग्रेस में ही चर्चा थी कि उन्होंने नैनीताल सीट से आवेदन नहीं किया। पर्यवेक्षक ने हरिद्वार सीट पर उनका नाम सूची में प्रथम स्थान पर था। माना गया कि वहां पर सपा व बसपा का गठबंधन होने से रावत ने नैनीताल सीट से लडऩा उचित समझा।
जीवन परिचय जन्म - 27 अप्रैल, 1947
जन्म स्थान- मोहनरी गांव, अल्मोड़ाशिक्षा- बीए, एलएलबी
पिता- स्वर्गीय राजेंद्र सिंहमाता- देवकी देवी
पत्नी- रेणुका रावतराजनीतिक जीवन
हरीश रावत छात्र जीवन से ही भारतीय युवक कांग्रेस से जुड़ गए। 1973 में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के प्रमुख चुने गए। ब्लाक स्तर से राजनीति की शुरुआत की। ब्लॉक प्रमुख बने। इसके बाद जिलाध्यक्ष समेत संगठन के कई पदों पर रहे। पहली बार केंद्र की राजनीति में 1980 में शामिल हुए, जब वह अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद वह इसी क्षेत्र से 1984 व 1989 में भी सांसद बने। 1991, 96 और 99 में हार गए। 1992 में उन्हें सेवा दल का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। केंद्र में राजग सरकार के समय 2001 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। उनके अध्यक्ष रहते हुए 2002 में कांगे्रस ने बहुमत से सरकार बनाई। तब वह मुख्यमंत्री के दावेदार थे, लेकिन सीएम एनडी तिवारी बना दिए गए। 2002 में उन्हें राज्य सभा सदस्य बनाया गया। वर्ष 2009 में रावत ने हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की और केंद्रीय मंत्री बने। 2012 में कांग्रेस के प्रदेश में फिर से सत्ता संभालने के बाद वह सीएम की दौड़ में थे, लेकिन तब विजय बहुगुणा को कमान मिल गई। दो फरवरी 2014 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2017 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़े और दोनों से हार गए थे।खिलाड़ी भी रहे हैं रावत
हरदा छात्र जीवन से ही राजनीति के साथ ही खेलों में सक्रिय रहे। फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी और एथलेटिक्स में शामिल होने के लिए वह चीन, नेपाल, थाईलैंड आदि देशों में गए ।यह भी पढ़ें : हरदा ने विधायकों को एकजुट कर हाईकमान के समक्ष किया शक्ति प्रदर्शन, धरा रह गया विरोध
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