Haryana Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव में हरियाणा का मुकाबला भी कांटे का रहने वाला है। मोदी की गारंटी और मनोहर लाल के विकास के मुद्दे को कांग्रेस ने जातीय समीकरणों से चुनौती देने की कोशिश की है। यहां एक माह पहले उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने वाली भाजपा को पिछला प्रदर्शन दोहराने के लिए काफी ताकत लगानी होगी।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस द्वारा आठ लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद अब चुनावी स्थिति लगभग साफ होने लगी है। कांग्रेस ने जातीय समीकरणों को साधते हुए सिर्फ करनाल सीट को छोड़कर बाकी लोकसभा सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। करनाल में भाजपा के टिकट पर पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस ने यहां युवा चेहरे के रूप में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को मैदान में उतारा है। मनोहर लाल के विरुद्ध पंचकूला में दो साल पहले पोस्टर लगाने के आरोप में पंचकूला की अदालत ने बुद्धिराजा को परसों ही भगोड़ा घोषित किया है। इसके बावजूद, करनाल में अनुभव (मनोहर लाल) और युवा जोश (बुद्धिराजा) के बीच चुनावी भिड़ंत होगी।
पिछले चुनाव में भाजपा का क्लीन स्वीप
भाजपा करीब एक माह पहले ही सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 10 की 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को देखकर लग रहा कि भाजपा के लिए सभी सीटें जीतने की राह आसान नहीं है। उसे सभी सीटों पर कमल के फूल खिलाने के लिए ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी।
प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में छह अंबाला, सिरसा, सोनीपत, रोहतक, फरीदाबाद और भिवानी ऐसी हैं, जिन पर भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच आमने-सामने की टक्कर होगी। चुनाव प्रचार के लिहाज से भाजपा मनोवैज्ञानिक रूप से कांग्रेस पर काफी बढ़त बना चुकी है। कांग्रेस ने करीब एक माह बाद तीन दिन पहले अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस पिछले दो चुनाव की तरह इस बार फिर तीसरा चुनाव बिना संगठन के लड़ने जा रही है।
जातीय समीकरण हावी
इस चुनाव में मोदी के 400 पार के नारे और उनकी गारंटी का असर भी नजर आ रहा है, लेकिन जातीय समीकरणों के हावी रहने से इन्कार नहीं किया जा सकता। हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां मुद्दों से अधिक जाति आधारित राजनीति को महत्व मिलता है। इसलिए मुकाबला मोदी की गारंटी, मनोहर लाल के विकास और कांग्रेस की जातीय राजनीति के बीच होगा।
यहां त्रिकोणीय मुकाबला
प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में एक कुरुक्षेत्र आईएनडीआईए गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी को दी गई है। यहां से आप के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। सुशील गुप्ता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पुरानी यारी है। भाजपा ने कुरुक्षेत्र में उद्योगपति एवं पूर्व सांसद नवीन जिंदल को चुनाव मैदान में उतारा है। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं। कुरुक्षेत्र सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला तय है।
गुरुग्राम पर फंसा पेंच
गुरुग्राम लोकसभा सीट पर अभी पेंच फंसा हुआ है। फिल्म अभिनेता राज बब्बर को चुनाव लड़वाने के हुड्डा के प्रयासों के चलते बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समधी पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव ने यहां अपनी दावेदारी ठोंक दी है। हालांकि कैप्टन ने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन वे राज बब्बर को गुरुग्राम में नहीं आने देना चाहते।
स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का नाम भी टिकट के लिए चल रहा है। गुरुग्राम में भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को टिकट दिया है। राव का दक्षिण हरियाणा में अच्छा प्रभाव है। कांग्रेस उन्हें टक्कर देने के लिए कोई मजबूत चेहरे की तलाश में है।
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फरीदाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व राजस्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के बीच कांटे की टक्कर होगी। अंबाला में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद मुलाना के विधायक बेटे वरुण मुलाना को कांग्रेस ने टिकट दिया है, जिनका मुकाबला पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी भाजपा उम्मीदवार बंतो कटारिया से होगा।
हरियाणा कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्षों में मुकाबला
सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर से होगा। खास बात यह है कि सैलजा व तंवर दोनों हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। सिरसा में सैलजा को हुड्डा गुट का कोई सहारा नहीं है, लेकिन वहां उनका अपना स्वयं का जनाधार है। सोनीपत में भाजपा ने राई के विधायक मोहन लाल बडौली को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने जींद जिले के रहने वाले सतपाल ब्रह्मचारी पर दांव खेला है, जिनके हरिद्वार में आश्रम हैं। यहां भी आमने-सामने की भिड़ंत है।
कांग्रेस ने लिया राज्यसभा सीट खोने का जोखिम
रोहतक में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा और भाजपा उम्मीदवार निवर्तमान सांसद डॉ. अरविंद शर्मा के बीच कांटे की टक्कर है। दीपेंद्र हुड्डा यदि चुनाव जीतते हैं तो कांग्रेस को राज्यसभा की सीट खोनी पड़ सकती है। डॉ. अरविंद शर्मा करनाल, सोनीपत और रोहतक से सांसद रह चुके हैं। सोनीपत से अरविंद शर्मा निर्दलीय भी सांसद रहे हैं।
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हिसार के रण में चतुष्कोणीय मुकाबला
हिसार के रण में जबरदस्त मुकाबला होने जा रहा है। यहां चतुष्कोणीय मुकाबला संभव है। पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के परिवार से तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और तीनों की पार्टियां अलग हैं। भाजपा ने ताऊ देवीलाल के छोटे बेटे बिजली मंत्री रणजीत चौटाला को टिकट दिया है, जबकि जेजेपी ने बाढडा की विधायक नैना सिंह चौटाला पर दांव खेला है। नैना चौटाला पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की माता हैं और जेजेपी प्रमुख अजय चौटाला की धर्मपत्नी हैं।इनेलो ने सुनैना चौटाला को चुनावी रण में उतारा है। सुनैना चौटाला इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला की भाभी तथा रवि चौटाला की धर्मपत्नी हैं। खास बात यह है कि नैना चौटाला व सुनैना चौटाला दोनों जेठानी-देवरानी हैं और रणजीत चौटाला उनके चाचा ससुर हैं। कांग्रेस ने यहां भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का टिकट काटकर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी को टिकट दिया है, जो इस मुकाबले को रोचक बनाने वाले हैं।
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