'400 पार भाजपा की नहीं, देश की जरूरत', बोले अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष; RSS और CAA-NRC पर भी रखे विचार, पढ़ें खास बातचीत
Umer Ahmed Ilyasi Exclusive Interview अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमैर अहमद इलियासी खुलकर भाजपा और आरएसस का समर्थन करते आए हैं। जागरण नेटवर्क से हुई खास बातचीत में भी उन्होंने मुसलमानों के हित के लिए भाजपा सरकार को जरूरी बताते हुए कहा कि 400 पार भाजपा की नहीं देश की जरूरत है। पढ़ें आरएसएस सीएए एनआरसी से लेकर विभिन्न मुद्दों पर क्या है उनकी राय।
वदूद साजिद, नई दिल्ली। अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमैर अहमद इलियासी अपने समय के मशहूर इमाम स्वर्गीय मौलाना जमील अहमद इलियासी के सपुत्र हैं, लेकिन वह तब सुर्खियों में आए जब अपने पिता के स्वर्गवास होने के बाद उन्होंने कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित मस्जिद के इमाम का पद संभाला और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने संबंधों को जाहिर किया।
सर्वधर्म सद्भाव को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते हुए वह श्री राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत उनसे मिलने उनकी मस्जिद में पहुंचे थे। दैनिक जागरण के सहयोगी उर्दू दैनिक इंकलाब के संपादक वदूद साजिद ने उनसे कई ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत की। वह साफगोई से कहते हैं कि हम (मुसलमान) अपनी कमियों पर बात नहीं करते, लेकिन हमें मोदी, भाजपा व आरएसएस में खूब कमियां नजर आ जाती हैं।
प्रश्न - आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्यों पसंद करते हैं?
उत्तर - श्री नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे केवल देश के लिए सोचते हैं। वे इस देश के प्रत्येक नागरिक को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं। उन्हें दिन-रात एक ही चिंता रहती है कि हमारा देश कैसे आगे बढ़े, हमारा देश विश्वगुरु कैसे बने। बस यही एक सबसे बड़ा कारण हैप्रश्न - क्या आपको इसी प्रकार भाजपा भी पसंद है?
उत्तर - एक संगठित राजनीतिक दल के रूप में भाजपा को भी पसंद करता हूं। मुसलमान भाजपा को वोट दें या न दें, लेकिन जब कोई मुसलमान इस पार्टी की सरकार के मंत्री के पास जाता है, तो वह खुशी से उसका काम करता है। इस पार्टी की एक विचारधारा है। इसी तरह, आरएसएस विश्व का सबसे बड़ा संगठित और नियमबद्ध संगठन है। यह संगठन अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है। यह एक राष्ट्रवादी और देशभक्त संगठन है। इसके बारे में 20-30 साल पहले मुसलमानों की जो राय थी, अब वह बदल रही है। हमारे देश की एक संस्कृति और सभ्यता है और यह संगठन इस संस्कृति और सभ्यता को बचाना चाहता है।
मैंने आरएसएस को बहुत करीब से देखा है। मोहन भागवत उसके तीसरे सरसंघचालक हैं, जिनसे मेरे संबंध हैं। मेरे पिता स्वर्गीय मौलाना जमील अहमद इलियासी का भूतपूर्व सरसंघचालक सुदर्शन जी से गहरा संबंध था। वे भी कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित हमारी मस्जिद में आते रहते थे। भागवत जी ने भी इस सिलसिले को बनाए रखा। वह मेरे अनुरोध पर दिल्ली के एक मदरसे में भी गए थे। मैं एक बात साफ-साफ कह देना चाहता हूं कि राजनीतिक रूप से उन्हें आपकी (मुसलमानों की) जरूरत नहीं है, लेकिन वे सोचते हैं कि सभी भारतीय हैं और देश के विकास का लाभ हर भारतीय को मिलना चाहिए।
प्रश्न - आप भागवत जी को मदरसे में ले गए थे, लेकिन आजकल मदरसों पर विपदा आई हुई है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है?उत्तर - जो लोग बिना रजिस्ट्रेशन और बिना आडिट के मदरसे चलाते हैं, उन पर तो विपदा आएगी ही। न पंजीकरण कराएंगे और ना ही दान का हिसाब रखेंगे। इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा में ऐसे मदरसे खोल कर दिखाओ। जब सरकार आपसे कक्षाओं, खेल के मैदान, बच्चों के भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में पूछती है, तो आप कहते हैं कि मदरसों को परेशान किया जा रहा है। मदरसों में बच्चों की हालत देखिए। कितने वीडियो आ रहे हैं। यह खबर तो आ जाती हैं कि योगी और मोदी मदरसों को परेशान कर रहे हैं, लेकिन कभी मदरसों की हालत पर भी तो गौर करो।
आप ऐसे स्कूल बनाएं जहां धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाए। खबरें आती हैं कि अमुक रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने बिहार के इतने सारे बच्चों को पकड़ लिया। क्या बिहार में मदरसों की कमी है जो वहां से बच्चों को बसों में भरकर उप्र के मदरसों में ले जाया जा रहा है। आखिर इतनी दूर के मदरसों में छोटे बच्चों को प्रवेश दिलाने का क्या मतलब है? क्या मदरसे उच्च मानकों पर नहीं बनाए जाने चाहिए? बात यह है कि हम अपनी खामियां नहीं देखते।
प्रश्न - क्या आपके प्रयासों से मुसलमानों के प्रति संघ में कोई बदलाव आया है ?उत्तर - 30-40 वर्षों से कुछ राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को यह कहकर आरएसएस से डरा कर रखा कि वे उनकी छाया से भी दूर रहें। मैं उनके कार्यालयों और कार्यक्रमों में गया हूं और विभिन्न अवसरों पर उनकी विशेष बैठकों में भाग लिया है। उस दौरान नमाज का समय हुआ तो वहीं नमाज भी पढ़ी है। मुझे याद है कि एक बार मैं एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने पहुंचा था। उसी दौरान शाम की नमाज का समय समाप्त होने वाला था। मैंने प्रधानमंत्री से अनुमति मांगी। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने अजान दी और हमने सामूहिक रूप से वहां नमाज पढ़ी। क्या संघ या भाजपा ने कभी आपको अजान देने या नमाज पढ़ने से रोका?
मुझे व्यवहार और वचन के मामले में आरएसएस जितना ईमानदार कोई दूसरा संगठन नहीं मिला। आरएसएस के कार्यकर्ताओं को मंत्री या प्रधानमंत्री बनने का कोई लालच नहीं है। उनकी एक ही इच्छा है और एक ही लक्ष्य है कि देश को एकजुट रखा जाए और देश प्रगति की ओर बढ़ता रहे। भाजपा सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, जिसकी सरकार होती है, वह कभी झगड़ा नहीं चाहता। दूसरे दल सत्ता की चाहत में सरकार को बदनाम करना चाहते हैं। मैं मुसलमानों से आग्रह करता हूं कि वे बहकावे में न आएं।
प्रश्न - आपने कहा कि भाजपा को मुसलमानों की जरूरत नहीं है। उनकी इच्छा 400 सीटें जीतने की है। क्या यह लक्ष्य मुसलमानों के वोट के बिना पूरी हो सकती है?उत्तर - मतदान करना हर नागरिक का निजी मामला है और यह उसकी निजी पसंद है। लोकसभा चुनाव में मतदाता व्यक्तित्व के साथ-साथ यह भी देखता है कि प्रधानमंत्री का चेहरा कौन है। आपने कहा कि भाजपा या प्रधानमंत्री 400 सीटें जीतने की इच्छा रखते हैं, लेकिन मैं कहता हूं कि यह उनकी इच्छा नहीं है, बल्कि यह देश की जरूरत है।
प्रश्न - लेकिन आप तो कहते हैं कि उन्हें मुसलमानों के वोट की जरूरत नहीं है?उत्तर - मैं यह भी तो कहता हूं कि मुसलमानों के वोट का एक मूल्य है। पिछली बार मुसलमानों ने अपना वोट खराब कर लिया था। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यह सरकार मुसलमानों के हक में अच्छी है। आयुष्मान योजना से मुसलमानों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट आई, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों के कल्याण के लिए की गई सिफारिशों पर कोई काम नहीं किया। यह काम भी मोदी सरकार में ही हुआ। आज सिविल सर्विसेज में 50 मुस्लिम युवा सफल हुए हैं।
प्रश्न - इसमें सरकार की क्या भूमिका है?उत्तर - मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुसलमानों में बदलाव आया है, चाहे डर से कहें या चाह से, बच्चों को शिक्षा दिलाने के रुझान में तेजी आई है।प्रश्न - सीएए, एनआरसी आदि का डर?उत्तर - इस संबंध में मुसलमानों को गुमराह किया गया। झूठ फैलाया गया। क्या कोई मुसलमानों को भारत से निकाल देगा? मैं भारत के पांच लाख इमामों के मुख्य इमाम के तौर पर मुसलमानों को गारंटी दे रहा हूं कि किसी भी मुसलमान को भारत से नहीं निकाला जाएगा लेकिन बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल के मुसलमान यहां क्यों रहें?प्रश्न - लिंचिंग, लव जिहाद, मस्जिदों के सामने हुड़दंगबाजी...?उत्तर - ये सब काम वो लोग कर रहे हैं, जो मोदी सरकार को बदनाम करना चाहते हैं। लोगों ने नकली बजरंग दल बनाकर ऐसे काम किए हैं। लिंचिंग को लेकर खुद प्रधानमंत्री ने तालकटोरा स्टेडियम में बेहद कड़ा बयान दिया था। जब आप जानते हैं कि हिंदू भाइयों की आस्था गाय से जुड़ी है, जब आप जानते हैं कि इस काम से परेशानी हो रही है तो ये काम क्यों कर रहे हैं। आप ट्रकों में धड़ल्ले से गायें भर कर क्यों ले जा रहे हैं? सवाल यह है कि आप किसी की धार्मिक आस्था को ठेस क्यों पहुंचाना चाहते हैं? आपके पास और कितने ही विकल्प हैं। बकरे, मुर्गे, भैंस और भेड़। आखिर गाय ही क्यों? मैं आप से पूछता हूं कि क्या 2014 से पहले दंगे और लिंचिंग की घटनाएं नहीं होती थीं? हर समाज में अच्छे लोगों की संख्या अधिक होती है, लेकिन कुछ लोगों की बुराई से समाज बुरा नहीं हो जाता।प्रश्न - प्रधानमंत्री के बांसवाड़ा में दिए बयान का बचाव कैसे करेंगे?उत्तर - जब चुनावी माहौल होता है तो अलग तरह की बात होती है, लेकिन भाजपा के घोषणा-पत्र में कोई मुस्लिम विरोधी शब्द कहीं हो तो बताइए? अगर यह सरकार मुसलमानों की इतनी बड़ी दुश्मन थी तो मुसलमानों के सबसे बड़े देश सऊदी अरब ने हमारे प्रधानमंत्री को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान कैसे दिया? इतना बड़ा सम्मान किसी अन्य प्रधानमंत्री को आज तक नहीं दिया गया। यूएई, ईरान और जार्डन ने भी उन्हें सम्मानित किया है।मैं पूरे विश्वास से कहता हूं कि सरकार तो उनकी (भाजपा की) ही आएगी। ऐसे में मुसलमान को सोचना चाहिए कि फिर वह कहां खड़ा है। जब आपके वोट के बिना भी उनकी सरकार आ रही है और प्रचंड बहुमत के साथ आ रही है तो फिर मुसलमानों को विचार करना चाहिए। दो बार गलती हो चुकी है अब यह गलती मत दोहराओ। मुसलमानों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, भाजपा और आरएसएस को मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। मैं मुसलमानों से कह रहा हूं कि वे विचार करें और केवल विचार करें। समय समझदारी की मांग करता है।प्रश्न - क्या राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा में आप उसी समझदारी के तहत गए थे?उत्तर - मुझे निमंत्रण मिला था और मैं यह सोचकर गया था कि यह हमारे देश के हित में है। इससे हमारी आपसी एकता और सहनशीलता मजबूत होगी। जो लोग मुझ पर अधर्मी होने का फतवा लगा रहे हैं, मैं उनसे कहूंगा कि यह मामला मेरे और अल्लाह के बीच का है। मैं वहां क्यों गया, इसका फैसला अल्लाह की ओर से था। क्या पता जिसे आप बुरा समझ रहे हैं, वह अल्लाह की नजर में बेहतर हो।प्रश्न - क्या उप्र में योगी सरकार ने मीट कारोबार से जुड़े हजारों लोगों को बेरोजगार नहीं कर दिया?उत्तर - हां, योगी ने सत्ता में आते ही कहा था कि मीट की दुकानें और बूचड़खाने बंद हो जाएंगे। हंगामा मच गया, लेकिन यह नहीं देखा कि उन्होंने इस काम को करने वालों को नियमानुसार काम करने को कहा। आज उप्र में इस कारोबार से जुड़े लोग नियमों के मुताबिक काम कर रहे हैं। आज वहां दुकानों में मांस खुले में लटका हुआ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि मांस को ढंककर रखना चाहिए। दुकान में शीशा और फ्रीज होना चाहिए। सख्ती हुई तो अब हर दुकानदार ने लाइसेंस ले लिया।जहां तक सड़कों पर नमाज पढ़ने का सवाल है तो आप यह काम करते क्यों हैं? क्या सड़कों पर नमाज पढ़ना उचित है? फिर आप कोई इजाजत भी नहीं लेते। पैगंबर की चेतावनी याद नहीं कि जो लोगों का रास्ता रोके उस पर अल्लाह की, पैगंबर की और पूरी दुनिया की लानत। दिल्ली में एक पाश कालोनी है, वहां नाले के उस पार एक झुग्गी बस्ती बसा ली गई। मंदिर के साथ एक मस्जिद भी बन गई। नाले को पाट कर मस्जिद को और बड़ा कर लिया गया। वहां हर शुक्रवार को बिना इजाजत लिए दोपहर एक से दो बजे तक कालोनी का रास्ता बंद कर दिया जाता था।आरडब्ल्यूए ने हाई कोर्ट में केस दायर कर दिया। न्यायालय के आदेश पर रास्ते में नमाज पर प्रतिबंध लग गया। अब शोर मचा रहे हैं। इसी प्रकार आगरा में एक शुद्ध हिंदू क्षेत्र में रहने वाले सबसे अमीर आदमी (मुस्लिम) ने मुझे आमंत्रित किया। उन्होंने वहां एक मस्जिद बनवाई। मीनार पर चार बड़े स्पीकर लगाए। अजान के समय स्पीकर पर अजान दी जाती, जबकि उस एक आदमी के अलावा मोहल्ले में रहने वाले सभी हिंदू हैं। मैंने उनसे पूछा, इससे क्या फायदा?अगर किसी विशुद्ध मुस्लिम इलाके में कोई मंदिर हो और पूरे दिन स्पीकर पर भजन होते रहें तो आप पर क्या बीतेगी क्या यह इबादत है? मेरे डांटने पर उन्होंने स्पीकर हटा दिए। मैंने भी अपनी मस्जिद से स्पीकर हटा दिए थे। जिनको नमाज पढ़नी है, उनके पास मोबाइल भी है, अलार्म भी है, घड़ी भी है। जिनको नहीं पढ़नी उनके सिर पर स्पीकर बजाते रहो वो नहीं पढ़ेंगे। हम अपनी कमियों के बारे में बात नहीं करते, लेकिन हमें मोदी, भाजपा और आरएसएस में खूब कमियां नजर आ जाती हैं।प्रश्न - अगर आप मुसलमानों से कहें कि वे प्रधानमंत्री के चेहरे पर भाजपा को वोट दें, तो इस बात के पक्ष में आपके पास क्या-क्या तर्क होंगे ?उत्तर - वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद से आज तक देश में कोई दंगा नहीं हुआ है। अनुच्छेद 370 हटने से पहले मैं कई बार कश्मीर गया हूं और लोगों के बीच रहा हूं। उनको समझा और पढ़ा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद मैं दो बार कश्मीर गया। हर विचारधारा और जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े सैकड़ों कश्मीरियों से मैंने अलग-अलग बात की। हर एक ने संतुष्टि जताई है। किसी एक ने भी नाराजगी नहीं जताई। तीन तलाक के मामले में स्थिति में सकारात्मक बदलाव को सभी ने स्वीकार किया। आप मुझे बताइए कि इसमें भाजपा का या प्रधानमंत्री का क्या फायदा? क्या इससे उन्हें मुस्लिम वोट मिलता है? तीन तलाक कानून से कितने घर उजड़ने से बच गए। क्या तीन तलाक के मामले में मुसलमानों का रवैया सही था? उनका नारा है 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। यह केवल एक नारा नहीं है। यह उनके अंदर की आत्मा है। वे इस मामले में ईमानदार हैं। इसमें कोई संदेह ही नहीं है कि हमारा देश आज एक महाशक्ति के रूप में उभरा है।