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मोदी सरकार-2 में उत्तर प्रदेश से एक भी नया चेहरा नहीं, अधूरी रह गई कई की शपथ लेने की आस

मोदी सरकार-2 में उत्तर प्रदेश से एक भी नया चेहरा शामिल नहीं किया गया है जबकि मोदी सरकार-एक के कई मंत्रियों को इस बार मौका भी नहीं मिला है। इनमें अनुप्रिया पटेल का नाम सबसे ऊपर है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 31 May 2019 06:15 PM (IST)
मोदी सरकार-2 में उत्तर प्रदेश से एक भी नया चेहरा नहीं, अधूरी रह गई कई की शपथ लेने की आस
लखनऊ [आनन्द राय]। मोदी सरकार-2 में उत्तर प्रदेश से एक भी नया चेहरा शामिल नहीं किया गया है, जबकि मोदी सरकार-एक के कई मंत्रियों को इस बार मौका भी नहीं मिला है। इनमें मीरजापुर की सांसद व सहयोगी अपना दल (एस) की संरक्षक अनुप्रिया पटेल का नाम सबसे ऊपर है। 

केंद्र सरकार में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व बाकी सभी राज्यों से अधिक है। सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में जाने से पहले तक केंद्र सरकार में मोदी समेत उप्र से 15 लोग शामिल थे, जबकि इस बार संख्या घट गई है। अबकी मोदी और राजनाथ समेत उप्र से कुल दस लोग केंद्र सरकार में उप्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हालांकि, इनमें मुख्तार अब्बास नकवी झारखंड से, जबकि पंजाब के रहने वाले हरदीप पुरी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं।

अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर लोकसभा में पहुंची स्मृति ईरानी को सरकार में फिर शामिल किया गया है। चंदौली के सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय पहले भी मोदी सरकार में मंत्री रह चुके हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2017 में मोदी सरकार से पांडेय और संजीव बालियान को संगठन में भेजा गया था।

इस बार मुजफ्फरनगर में रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को पराजित कर बालियान ने बड़ा रिकार्ड बनाया और इसीलिए उन्हें भी मोदी सरकार में फिर मौका दिया गया है। बरेली के सांसद संतोष गंगवार, गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह और फतेहपुर की सांसद साध्वी निरंजन ज्योति दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल की गई हैं। इस बार कई सांसदों को निराशा हाथ लगी और उनकी शपथ लेने की आस अधूरी रह गई।

मेनका गांधी को मिल सकता नया दायित्व

मोदी सरकार में इस बार मेनका गांधी को शामिल नहीं किया गया है। वह पीलीभीत के बजाय इस बार सुलतानपुर से चुनाव जीतीं। आठ बार की सांसद मेनका गांधी के बारे में चर्चा चल रही है कि उन्हें लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व दिया जा सकता है। संकेत हैं कि अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में शामिल न करने के एवज में उनके पति और सहयोगी अपना दल एस के अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को राज्य सरकार में मंत्री बनाकर संतुलन बनाया जा सकता है।

चुनाव जीतने के बाद भी महेश और सत्यपाल को मौका नहीं

मोदी सरकार में मंत्री रहे गौतमबुद्धनगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा और बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह को इस बार चुनाव जीतने के बाद भी मौका नहीं मिला। गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बावजूद मनोज सिन्हा को लेकर चर्चा गर्म थी कि उन्हें फिर मौका मिल सकता है लेकिन, वह भी सूची में शामिल नहीं किये गये। पिछली बार मोदी मंत्रिमंडल में रहे उप्र से कलराज मिश्र, उमा भारती और कृष्णा राज इस बार चुनाव न लडऩे की वजह से मंत्रिमंडल से बाहर हैं तो राज्यसभा सदस्य शिवप्रताप शुक्ल को भी मौका नहीं मिल सका।

जातीय और क्षेत्रीय संतुलन भी

मोदी सरकार में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन भी बनाया गया है। क्षत्रिय समाज से राजनाथ के अलावा जनरल वीके सिंह हैं तो ब्राह्मण चेहरे के रूप में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय। स्मृति ईरानी पारसी जबकि नकवी मुस्लिम और हरदीप पुरी सिख समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुर्मी समाज के संतोष गंगवार सबसे बड़े पिछड़े चेहरे हैं जबकि साध्वी निरंजन ज्योति महामंडलेश्वर होने के साथ ही निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रदेश में जाटों के सबसे बड़े नेता अजित सिंह को हराने के बाद संजीव बालियान बड़े जाट नेता के रूप में उभरे हैं।

अपना दल अध्यक्ष ने कहा- हम एनडीए के साथ

एनडीए के सहयोगी अपना दल (एस) की सांसद अनुप्रिया पटेल को मोदी सरकार-टू में शामिल न किये जाने पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। मोदी सरकार-एक में राज्यमंत्री रहीं अनुप्रिया के इस बार कैबिनेट मंत्री बनने के कयास लग रहे थे लेकिन, उन्हें शपथ का अवसर ही नहीं मिला। इस बारे में जब उनकी पार्टी के अध्यक्ष और उनके पति आशीष सिंह पटेल से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि हम एनडीए के साथ हैं और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से उन्होंने इन्कार कर दिया।

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