1977 में इंदिरा गांधी ने घर आकर डाला था अचार, प्रोटोकाल छोड़ पहुंचीं थीं महिलाओं के बीच
वर्ष 1977 में बाबू गौरीशंकर सिंह के आवास जमगांव में आईं इंदिरा गांधी की एक झलक पाने के लिए लोग टूट पड़े थे।
सोनभद्र [मनीष श्रीवास्तव]। भारतीय राजनीति के इतिहास में इंदिरा गांधी को एक तेज तर्रार और त्वरित निर्णायक क्षमता के लिए आज भी याद किया जाता है। आयरन लेडी के नाम से चर्चित इंदिरा गांधी से जुड़ी कुछ यादें आज भी कस्बेवासियों के जेहन में है। वर्ष 1977 में बाबू गौरीशंकर सिंह के आवास जमगांव में आईं इंदिरा गांधी की एक झलक पाने के लिए लोग टूट पड़े थे। बड़ी संख्या में महिलाओं ने कतार में खड़े होकर उनका स्वागत किया था।
स्व. बाबू गौरीशंकर सिंह के पुत्र राजीव कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 1975 में इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में सन् 1977 में इंदिराजी का आगमन हुआ था। उस समय मैं 16 वर्ष का था। उनके साथ नारायणदत्त तिवारी व कमलापति त्रिपाठी भी थे। उनका मेरे आवास पर 15 मिनट का कार्यक्रम था। उस समय मीरजापुर से कार से यहां तक पहुंची थीं। जैसे ही आस-पास के गांवों में इंदिरा गांधी के आने की सूचना मिली, जो जिस अवस्था में था वह दौड़ पड़ा। बड़ी संख्या में महिलाएं उनसे मिलने पहुंची थीं।
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पिताजी ने सभी महिलाओं को सबसे आगे लाइन से खड़ा कराया। जब इंदिराजी का आगमन हुआ वह आम महिला की तरह उनके बीच में पहुंच गई। गले से लगा लिया। बच्चों को गोद में उठा लिया। उसके बाद चाय पीते-पीते धीरे से अंदर घर के आंगन में पहुंच गईं। उस समय फरवरी या मार्च का महीना था। घर में मिर्च का अचार बनाने की तैयारी हो रही थी। वहां जाकर बैठ गईं। अचार बनाने की विधि पूछने लगीं। कौन से मसाले डाले जाते हैं वगैरह...। खुद भी मिर्च में मसाला भर कर अचार बनाया। उनका कार्यक्रम महज 15 मिनट का था, लेकिन उन्होंने आवास पर डेढ़ घंटे का समय बिताया। घर के सदस्यों के साथ सादगी की मिसाल भी थीं। 1980 में एक बार पुन: प्रधानमंत्री बनीं।