सांसद से नाराजगी, लेकिन प्रधानमंत्री से आस, झंझारपुर के सियासी रण में क्या है जनता की राय? पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
Jhanjharpur Lok Sabha Election 2024 समृद्धि राजनीतिक इतिहास को समेटे हुए झंझारपुर की जनता को वर्तमान राजनीति से भी बेहद उम्मीदें हैं लेकिन जन प्रतिनिधियों से उन्हें निराशा हाथ लगी है। इस बीच विपक्ष के लिए भी संभावनाएं खुली हुई हैं। झंझारपुर लोकसभा सीट का चुनावी परिदृश्य समझने के लिए जानिए यहां का समीकरण और जनता की राय। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट...
बृजेश दुबे, मुजफ्फरपुर। Jhanjharpur Lok Sabha Election 2024: मैथिल संस्कृति, दरभंगा नरेश की विरासत, समृद्ध बाजार, उन्नत खेती, नेपाल सीमा से जुड़ाव और बाढ़ जनित पीड़ा वाले विधानसभा क्षेत्रों के समुच्चय झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास राजनीतिक समृद्धि से भी पूर्ण रहा है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य झंझावात भरा है।
यहां पर 13 में से 10 चुनाव में समाजवादी विचारधारा को पोषित करने वाले इस क्षेत्र के मतदाताओं का बड़ा वर्ग इसका अनुभव कर रहा है। जदयू प्रत्याशी और वर्तमान सांसद रामप्रीत मंडल को निष्क्रिय बता जनता नाराज है, लेकिन सशक्त राष्ट्र और विकास के नाम पर मोदी को देख रही है।
ये हैं मैदान में
सरकारी नौकरी के नाम पर ग्रामीण युवाओं को तेजस्वी भा रहे, लेकिन वीआईपी से महागठबंधन प्रत्याशी सुमन महासेठ की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी पृष्ठभूमि राजद के काडर वोट के एक हिस्से को सोचने के लिए विवश कर रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष बिंदु यादव के पिता और एमएलसी अंबिका यादव के पति पूर्व विधायक गुलाब यादव, जो राजद से टिकट न मिलने पर बसपा से मैदान में हैं, लोगों को सहज उपलब्ध हैं, लेकिन एक ही घर में सारे पद, यह सवाल उनका पीछा कर रहा है।इन सबके बीच सांसद के क्षेत्र में न निकलने का मुद्दा विपक्ष के पास बड़े हथियार की तरह है। यह मुद्दा सांसद के विरोधी मतों को तो एक कर रहा, लेकिन बिखराव को रोककर हार-जीत के बड़े अंतर को पाटने की चुनौती विपक्ष के सामने भी है।
सांसद को देखा नहीं
साहब... सांसद को पांच साल में कभी देखा ही नहीं। वह मिलते ही नहीं, क्या वोट दें। झंझारपुर-अंधराठाड़ी पथ के ब्राह्मण बहुल गांव महरैल में बेलौस होकर रामकुमार ठाकुर अपनी बात कह रहे थे कि अखिलेश ठाकुर बोल उठे- राष्ट्र की मजबूती का भी ध्यान रखना है। प्रत्याशी का विरोध और प्रधानमंत्री का समर्थन... सवाल पूरा भी नहीं हुआ कि अरुण झा बोल पड़े- सड़क भले ऊबड़खाबड़ है, लेकिन सामने दिख रही रेललाइन अब ब्राड गेज है। रैक प्वाइंट बन गया है। तीन सौ लोग रोजगार पा रहे हैं। और सरकारी नौकरी...आधे में ही मिहिर ठाकुर बोल उठे कि केवल सरकारी नौकरी ही रोजगार नहीं। रोजगार का अवसर मिलना चाहिए, वह मिला है। सांसद के न आने के दर्द के बीच हररी गांव में भाजपा से जुड़े कृष्णमोहन चौधरी भी कहते हैं कि मोदी देश का विकास कर रहे हैं।केवल महरैल ही नहीं, झंझारपुर से नेपाल की सीमा पर आखिरी भारतीय रेलवे स्टेशन लौकहा तक आमान परिवर्तन, झंझारपुर में कमलाबलान सड़क सह रेल पथ के बगल में नया रेल पुल, पीयर बांध, भपतियाही गांव में 50 करोड़ से बालिका छात्रावास की स्वीकृत योजना में लोगों को विकास और रोजगार दिखता है, लेकिन सांसद की अनुपस्थिति इसे धुंधला कर देती है।लौकहा विधानसभा की कार्मिक मध्य पंचायत कमलपुर में सरपंच जिया उल हक, उमेश यादव कहते हैं कि पूछिये सांसद आते हैं क्या? जनहित और विकास सरकार की जिम्मेदारी है। सरकारी नौकरियां तेजस्वी ने दी हैं। केंद्र ने तो भर्तियां बंद कर रखी हैं।
'देश मजबूत हुआ है'
बाबूबरही चौक पर हुई चर्चा में लालापट्टी गांव के जीवछ एवं महेंद्र यादव के लिए सिंचाई मुद्दा है, जबकि बिठौनी के जामुन यादव के लिए सांसद। कहते हैं- सांसद कभी नहीं आए। मोदी विकास का पैसा दे रहे और बिचौलिये डकार रहे हैं। भोला यादव कहते हैं कि क्या कभी सांसद, विधायक गांव आए। अपनी जमीन देकर गांव में स्कूल बनवाया है। माठ के परमेश्वर मंडल, शिबू मंडल, प्रभु मंडल कहते हैं कि सांसद खोज-खबर नहीं लेते, लेकिन मोदीजी का कोई विकल्प नहीं है। उनके नेतृत्व में देश मजबूत हुआ है। मिर्जावा के रौशन कहते हैं- महागठबंधन के प्रत्याशी आरएसएस से जुड़े रहे। भाजपा से एमएलसी का चुनाव लड़े। अल्पसंख्यक कितना विश्वास करेंगे। गुलाब यादव सबका ध्यान रखते हैं। गुलाब यादव के लिए उठी यह आवाज फुलपरास और झंझारपुर में जोर पकड़ लड़ाई को त्रिकोणीय कर देती है। ये भी पढ़ें- 'हम राम के पुजारी, भाजपा राम की व्यापारी', बिहार की सियासत पर क्या बोले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह मिया ढाला पर मिले सोहनजी झा कहते हैं कि गुलाब सहज सुलभ हैं। राकेश आनंद सवाल दागते हैं- क्या सारे पद एक ही घर में रहेंगे। जवाब जगदीश झा देते हैं कि गुलाब हमारे साथ, हम उनके साथ खड़े हैं। फुलपरास अनुमंडल मुख्यालय के बाजार में अर्जुन यादव और घूरन विश्वास कहते हैं कि विकास तेजस्वी की सरकार में हुआ है, एनडीए में नहीं।बिसात पर जातियों का पासा भी
झंझारपुर में 13 में से 11 बार पिछड़ा और अति पिछड़ा ही जीते हैं। 35 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग, 16-17 प्रतिशत ब्राह्मण, 17-18 प्रतिशत यादव और 15-16 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। रामप्रीत मंडल 2019 के चुनाव में करीब 3.22 लाख मतों से जीते थे। जातीय समीकरणों से निकला यह अंतर विपक्ष के लिए चुनौती है तो एनडीए के लिए इसे संभालना। ये भी पढ़ें- Raebareli Lok Sabha Seat: फिरोज से राहुल गांधी तक 'विरासत की सियासत', रायबरेली कब और कैसे बना गांधी परिवार के लिए खास?भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह की सभा के बाद शांत है। शाह की सभा को वैश्यों और ब्राह्मणों को साधने की भी कोशिश के रूप में देखा जा रहा। वहीं, जदयू ने भी मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। वहीं, वैश्य कार्ड खेलने वाली वीआईपी केवट और क्योट को एक बता निषाद मतों का आंकड़ा बढ़ाने में जुटी है तो जदयू अति पिछड़ा बताकर उन्हें अपने पाले में रखने की।मतदाता
- कुल : 19,86,640
- पुरुष : 10,36,772
- महिला : 10,06,229
- मंगलामुखी : 88
- युवा वोटर : 18,498