Lok Sabha Election 2024: यहां आगे 'राम, बाद में वाम' से जमी भाजपा, दो से 18 सीटों तक पहुंची; क्या है इस बार की रणनीति?
Lok Sabha Election 2024 पश्चिम बंगाल में इस बार वाममोर्चा के सामने अपने जनाधार को वापस पाने की चुनौती है। 2019 में भाजपा वाममोर्चा के वोटों में सेंध लगाने में सफल रही है। यही वजह थी कि पार्टी दो से 18 सीटों तक पहुंच गई। वाममोर्चा एक भी सीट नहीं जीत सका था। वाममोर्चा ने युवाओं श्रमिकों और महिलाओं पर पूरा फोकस किया है।
हृदयानंद गिरि, दुर्गापुर l पिछले आम चुनाव में एक नारा अधिक प्रचलित हुआ। यह था- आगे राम, बाद में वाम। इसका प्रभाव भी मतदाताओं पर पड़ा और वाममोर्चा के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने में भाजपा काफी हद तक सफल रही। परिणामस्वरूप यह पार्टी पिछले आम चुनाव में बंगाल में दो से बढ़कर 18 सीटों तक पहुंच गई।
भाजपा इस बार के आम चुनाव में 35 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। राज्य की जनता किसका कितना साथ देती है, यह तो चार जून को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन वामो इस बार कांग्रेस के साथ समझौता कर प्रतिष्ठा बचाने की जुगत में है।
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2019 में बढ़ीं नौ गुना सीट
दरअसल, वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर दार्जिलिंग से सुरेंद्र सिंह अहलूवालिया एवं आसनसोल से बाबुल सुप्रियो संसद पहुंचे थे। वर्ष 2019 के चुनाव में मोदी लहर में सीटों की संख्या में नौ गुना वृद्धि हुई। इसकी मुख्य वजह माकपा का वोट बैंक भाजपा के पक्ष में आ गया था। भाजपा इस बार मोदी सरकार की उपलब्धियों को भी जनता तक पहुंचा रही है।
पिछले चुनाव में वामो को नहीं मिली थी कोई सीट
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। इसमें तृणमूल कांग्रेस राज्य की 34 सीटों पर विजयी हुई थी। माकपा एवं भाजपा को दो-दो सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस चार सीट जीतने में कामयाब रही। वर्ष 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने बढ़त बनाई, लेकिन वाम मोचा को कोई सीट नहीं मिली।युवाओं, श्रमिकों और महिलाओं पर है पूरा फोकस
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) इस लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को उठा रही है और श्रमिकों की भी बात कर रही है। केंद्र सरकार की नीतियों को श्रमिक विरोधी बता कारखानों के निजीकरण के मुद्दे को उठा रही है।