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Lok Sabha Election 2024: गढ़ बचाने की चुनौती या कुछ और... क्यों अपने क्षेत्र तक सीमित मध्य प्रदेश के ये दिग्गज नेता?

Lok Sabha Election 2024 मध्य प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं की भूमिका इस चुनाव में सीमित दिख रही है। पिछले चुनावों में जहां उनकी सियासी धमक अन्य क्षेत्र तक महसूस की जा रही थी लेकिन इस बार सभी ने अपनी-अपनी सीटों पर फोकस कर रखा है। सभी के सामने गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं कई दिग्गज प्रत्यक्ष राजनीति से बाहर हैं।

By Ajay Kumar Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 08 Apr 2024 06:06 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश में बिसात वही, लेकिन मोहरों की बदली जगह।

जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव इस बार कई मायनों में दिलचस्प है। कई दिग्गज जो पिछले चुनाव में बेहद सक्रिय थे। अब उनकी भूमिका सीमित रह गई है। कई बड़े नेता तो सिर्फ अपने क्षेत्र में प्रचार करने तक सिमट चुके हैं। वहीं कई दिग्गज चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से सक्रिय नहीं है। आज बात उन्हीं नेताओं की जो अपने क्षेत्र तक सीमित रह चुके हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार भाजपा की टिकट पर गुना लोकसभा सीट से मैदान में हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में सिंधिया को भाजपा प्रत्याशी केपी यादव ने शिकस्त दी थी। उस चुनाव में सिंधिया कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष भी थे। इस चुनाव में अभी उनका फोकस गुना सीट पर है। उल्लेखनीय है कि कमल नाथ सरकार को गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका सबसे अहम थी।

शिवराज सिंह चौहान

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका में सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला। पहले उनकी भूमिका पूरे प्रदेश के चुनाव में होती थी मगर अब विदिशा तक ही सीमित है। भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। शिवराज सिंह स्टार प्रचारक हैं। मगर अभी विदिशा तक ही सीमित हैं।

नरेंद्र सिंह तोमर

ग्वालियर चंबल क्षेत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का सियासी प्रभाव है। मगर इस लोकसभा चुनाव में प्रत्यक्ष राजनीति में शामिल नहीं है। इससे पहले सभी चुनावों में नरेंद्र सिंह तोमर की भूमिका देखने को मिलती रही है। मौजूदा समय में वे मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हैं।

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प्रहलाद पटेल

केंद्रीय मंत्री रहे प्रहलाद पटेल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्हें क्लस्टर प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। पटेल पर्दे के पीछे से चुनावी समीकरण बनाने में जुटे हैं। वे अक्सर मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ उम्मीदवारों के नामांकन और जनसभा में दिखाई पड़ते हैं।

कैलाश विजयवर्गीय

मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका अब क्लस्टर प्रभारी तक सीमित रह गई है। इससे पहले 2019 में भाजपा ने उन्हें बंगाल प्रभारी बनाया था। इन दिनों विजयवर्गीय छिंदवाड़ा में सक्रिय हैं। वे संगठन और केंद्रीय नेताओं के कार्यक्रमों की तैयारी में व्यस्त हैं।

कमल नाथ

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का अब फोकस अपने दुर्ग छिंदवाड़ा को बचाने पर है। पहले के चुनाव में कमल नाथ की खूब चलती थी, खासकर टिकट बंटवारे में। इस बार उन्होंने टिकट आवंटन से दूरी बना रखी थी। छिंदवाड़ा से कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ दूसरी बार चुनावी समर में उतरे हैं।

दिग्विजय सिंह

2019 का लोकसभा चुनाव भोपाल से हारने वाले दिग्विजय सिंह इस बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। अब उनकी भूमिका भी राजगढ़ तक सीमित हो गई है। वे अपने क्षेत्र में ही प्रचार अभियान में जुटे हैं।

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