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Chhattisgarh News: विधानसभा चुनाव से टूटा हौंसला, लोकसभा में प्रत्याशी नहीं उतारेगी AAP! गठबंधन का करेगी प्रचार

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) का प्रदर्शन हाईकमान के उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। पार्टी ने 53 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था। मगर सिर्फ पांच को ही पांच हजार से अधिक मत मिले थे। वहीं नौ प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मत मिले थे। इस प्रदर्शन से पार्टी के हौंसलों को बड़ा झटका लगा है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Wed, 20 Mar 2024 05:06 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में आईएनडीआईए का प्रचार करेगी आप।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। अब तक की स्थिति को देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है। पार्टी के पदाधिकारी भी इस बात को मान रहे हैं कि कार्यकर्ता आईएनडीआईए गठबंधन के प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करेंगे।

आप के चुनावी समर में न उतरने के पीछे की वजह आईएनडीआईए गठबंधन को बताया जा रहा है। हालांकि, हकीकत कुछ और ही है। राजनीति से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि आप को अब तक कोई ऐसा बड़ा चेहरा नही मिल पाया है, जो प्रदेश में पार्टी का नेतृत्व कर सके। विधानसभा चुनाव से पहले तक पार्टी जोश में थी।

विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई आप

पार्टी के बड़े नेताओं में शामिल प्रदेश प्रभारी गोपाल राय से लेकर अलका लांबा तक ने भाजपा के खिलाफ माहौल होने और कांग्रेस की बजाय आप को विकल्प मानते हुए प्रदेश में सरकार बनाने का दावा किया था, लेकिन, चुनाव परिणाम में पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन इसमें से केवल पांच को ही पांच हजार से अधिक वोट मिले।

नौ प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मिले थे मत

आप की राज्य इकाई के प्रमुख कोमल हुपेंडी को भी हार का सामना करना पड़ा था। वे भानुप्रतापपुर सीट से लगातार दूसरी बार हार का सामना करते हुए तीसरे स्थान पर रहे। नौ उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले थे।

सात पदाधिकारी भी दे चुके त्यागपत्र

विधानसभा चुनाव में मिली हार से पार्टी उबरी भी नहीं थी कि 16 जनवरी को प्रदेशाध्यक्ष कोमल हुपेंडी समेत सात पदाधिकारियों ने पद से त्यागपत्र दे दिया। कोमल हुपेंडी ने शीर्ष नेतृत्व पर लगातार उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि प्रदेश में पार्टी से जुड़े कोई भी निर्णय लेने से पहले उनसे चर्चा नहीं की जाती थी। कोमल हुपेंडी के इस्तीफे के बाद पार्टी अब तक प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति तक नहीं कर पाई।

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