बिहार में ओवैसी ने अचानक चला नया पैंतरा, इन आठ सीटों पर कई दलों की बढ़ जाएंगी चिंता
Lok Sabha Election 2024 शह-मात के खेल में ओवैसी की पार्टी ने बिहार में नया पैंतरा चल दिया है। एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल कटिहार और अररिया में प्रत्याशी नहीं उतारा लेकिन अब शिवहर सीट से चुनाव मैदान में कूदी पड़ी है। इसके अलावा ओवैसी की पार्टी ने बिहार की आठ अन्य सीटों पर प्रत्याशी उतारने का एलान कर दिया है।
संदीप कुमार, भागलपुर। एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) का नया पैंतरा राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका रहा। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने पहले बिहार की 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया, लेकिन सुस्त पड़ी रही। चार चरण की 18 सीटों पर नामांकन खत्म हो गया।
लगा कि किशनगंज को छोड़कर पार्टी अब किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ने जा रही। दल ने ऐसे संकेत भी दिए। फिर अचानक पार्टी ने न सिर्फ अब शिवहर से प्रत्याशी उतार दिया है, बल्कि आठ और सीटों पर उम्मीदवार देने का एलान किया है।
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ओवैसी के फैसले से हैरानी
ओवैसी की रणनीति से हैरानी इसलिए हो रही कि राज्य में किशनगंज के बाद सर्वाधिक मुस्लिम मतदाताओं वाली सीट अररिया और कटिहार है। करीब 42 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों के बावजूद एआईएमआईएम ने यहां प्रत्याशी नहीं दिए। कटिहार में तो एआईएमआईएम ने आदिल हसन को प्रत्याशी तक घोषित कर दिया था, लेकिन नामांकन से चंद घंटों पूर्व पार्टी का फैसला आया कि यहां से वह चुनाव नहीं लड़ेगी।
यहां टूटा समर्थकों का दिल
अररिया में पूर्व सांसद तसलीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार बैठे थे। पिछली बार इस सीट से वह राजद के प्रत्याशी थे, लेकिन सरफराज का टिकट काटकर लालू ने उनके छोटे भाई शाहनवाज को लालटेन थमा दी।बागी बनने को तैयार सरफराज को उम्मीद थी कि शायद एआईएमआईएम से उनकी दाल गल जाए, लेकिन ओवैसी की पार्टी ने अररिया को भी ऐसे ही छोड़ दिया।
सरफराज और ओवैसी समर्थकों का दिल टूट गया। किशनगंज की तरह अररिया और कटिहार में बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या काफी अधिक है, ये ओवैसी की आक्रामकता को पसंद करते हैं।