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जब हरियाणा के तीनों लाल ने एक साथ बदली सियासी चाल, प्रदेश की राजनीति छोड़ पहुंचे थे संसद, रोचक है ये चुनावी किस्सा

हरियाणा के तीन लाल के जिक्र के बिना देश की राजनीति अधूरी है। हरियाणा में आज भी इनके किस्से गांवों के चौपालों पर सुनने को मिलते हैं। इनकी धमक पूरे प्रदेश में थी। मगर 1989 में तीनों लाल ने नई सियासी चाल चली। तीनों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर संसद की दहलीज पर कदम रखा। ताऊ देवीलाल ने रोहतक सीट से चुनाव लड़ा था।

By Balwan Sharma Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 31 Mar 2024 01:39 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: प्रदेश की राजनीति छोड़ 1989 में संसद पहुंचे थे हरियाणा के तीनों लाल।
बलवान शर्मा, नारनौल। हरियाणा की स्थापना के बाद से सत्ता के केंद्र बिंदु रहे तीनों लाल ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में एक नया इतिहास रचा था। इसमें तीनों सूबे के मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर निकलते हुए संसद पहुंच गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल को छोड़ ताऊ देवीलाल और भजनलाल ने अपने घरेलू लोकसभा क्षेत्र से बाहर निकलकर चुनाव लड़ा था।

ताऊ देवीलाल ने सिरसा के बजाय रोहतक से चुनाव लड़ा था और वह प्रदेश के सभी दसों सांसदों में से सर्वाधिक मत के अंतर से जीते थे। सर्वाधिक मतों के मामले में दूसरे नंबर पर चौ. बंसीलाल रहे थे तो तीसरे नंबर पर चौ. भजनलाल थे। ये दौर ताऊ देवीलाल का था। बेशक उनके अलावा दोनों लाल संसद में पहुंचे, पर ताऊ देवीलाल ने नया इतिहास रचा था और देश के उपप्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1989 से 1990 और 1990 से 1991 तक भारत के छठे उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।

जब भजनलाल ने साबित किया- मैदान मायने नहीं रखता

हुड्डा के गढ़ में जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले देवीलाल उस समय पूरे देश में ताऊ की उपाधि से भी सुविख्यात हुए थे। ताऊ देवीलाल का गृह क्षेत्र सिरसा उस समय सामान्य वर्ग में था। हालांकि वर्तमान में यह आरक्षित सीट है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ हिसार था, पर उन्होंने भी हिसार की बजाय फरीदाबाद से चुनावी ताल ठोकते हुए साबित किया था कि लाल के लिए मैदान कोई मायने नहीं रखता है।

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हरियाणा की राजनीति में तीन लाल का महत्व

हरियाणा की राजनीति में इन तीन लाल का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। इनकी अपनी-अपनी खासियत रही है। चौ. बंसीलाल हरियाणा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाए हुए हैं तो उनको हरियाणा के विकास का निर्माता भी कहा जाता रहा है। चौ. भजनलाल को राजनीति का पीएचडी माना जाता था और वह हरियाणा में राजनीतिक रूप से सबसे तेज-तर्रार माने जाते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार को संकट से बचाने में इन्होंने बड़ा योगदान दिया था।

ताऊ देवीलाल के हाथ थी चौधर

ताऊ देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंच बनाकर खुद का कद सबसे ऊंचा करने में कामयाबी हासिल की थी और उनको देश का किसान नेता भी कहा जाता था। खैर रोचक बात तो यही है कि 1989 में ये तीनों लाल देश की संसद में पहुंचे थे और उस समय की चौधर ताऊ देवीलाल के हाथ थी।

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