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Lok Sabha Election 2024: अबकी बार 400 पार! BJP ने बनाई ये रणनीति; जीत के लिए इन राज्‍यों में बिछाई बिसात

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय जनता पार्टी खासी उत्साहित नजर आ रही है। बीजेपी ने अबकी बार 400 पार का नारा दिया है और उसे उम्मीद है कि इस बार पार्टी पिछले दो आम चुनावों से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। इसके लिए पार्टी ने हर राज्य को लेकर अलग-अलग बिसात बिछाई है। कई जगह से उसे सीटें बढ़ने की उम्मीद है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 11 Mar 2024 07:20 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: इस बार दक्षिण के राज्यों से बीजेपी को खासी उम्मीद है।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कर्नाटक समेत लगभग एक दर्जन राज्यों में अधिकांश सीटें जीतने वाली भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए 'अबकी बार 400 पार' का लक्ष्य तय कर लिया है। इस बड़े लक्ष्य वाला मुकाबला इसलिए भी रोमांचक होता नजर आ रहा है, क्योंकि पिछले प्रदर्शन के आधार पर विपक्षी खेमा भाजपा के लिए जिन राज्यों को 'आपदा' बता रहा है, भाजपा के रणनीतिकार वहीं सीटें बढ़ाए जाने की गुंजाइश को 'अवसर' के रूप में देख रहे हैं।

नई संभावनाओं वाले राज्यों में जिस तरह के राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बिठाने के प्रयास किए जा रहे हैं, उनके भरोसे भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में पार्टी इस बार बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। केरल में भी नए समीकरणों के साथ भाजपा आजादी के बाद पहली बार खाता खोलने की उम्मीद कर रही है।

उत्तर प्रदेश में 71 अकेले और दो सहयोगियों के साथ 73 सीटें जीतकर भाजपा ने 2014 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद भाजपा सहयोगी अपना दल (एस) के साथ 64 सीटें जीतने में सफल रही थी। यहां उसकी नौ सीटें कम हो गई थीं, जिन्हें बढ़ाने के जतन चल रहे हैं।

यूपी में 75 पार की उम्मीद

इस बार बसपा ने एकला चलो का नारा दिया है। 2017 में कांग्रेस और सपा का गठबंधन देख चुकी भाजपा इस बार भी इस गठजोड़ को कोई चुनौती मानकर नहीं चल रही है। वहीं, जयंत चौधरी और ओम प्रकाश राजभर के साथ आने से पश्चिम और पूर्वी उत्तरप्रदेश में कई सीटों के समीकरण भाजपा अपने पक्ष में मजबूत होते देख रही है। भाजपा के रणनीतिकार सहयोगियों के साथ इस बार 75 का आंकड़ा पार करने की उम्मीद कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में भी मिल सकती है 

इसी तरह से पश्चिम बंगाल में भाजपा इस बार 10 से 15 अधिक सीटें जीतने की उम्मीद लगाए है। ममता बनर्जी के विपक्षी गठबंधन से बाहर होकर सभी 42 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने से साफ हो गया है कि इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच होगा।

यदि माकपा और कांग्रेस का गठबंधन पिछली बार की तरह बना तो कुछ सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है, लेकिन संदेशखाली की घटना के बाद भाजपा के आक्रामक तेवर ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ माकपा व कांग्रेस के लिए ज्यादा जमीन पैर जमाने के लिए छोड़ी नहीं है।

यहां पिछली बार भाजपा को 18 और तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं, वहीं कांग्रेस दो सीटों पर सिमटी थी। भाजपा पहले से यहां 33 सीटों पर मजबूती से लड़ने और उनमें 25 से अधिक सीटे जीतने की रणनीति पर काम कर रही थी, लेकिन संदेशखाली की घटना और शाहजहां शेख के सीबीआइ की हिरासत में आने के बाद बदले माहौल को देखते हुए पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार का मानना है कि इस बार भाजपा यदि 32-33 सीटें भी जीत ले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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ओडिशा में बीजद से तालमेल

ओडिशा में भले ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी हो, लेकिन भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने साफ किया कि किसी न किसी रूप में बीजद और भाजपा का साथ आना तय है। लोकसभा की 21 सीटों वाले ओडिशा में भाजपा के पास अभी आठ, बीजद के पास 12 और कांग्रेस के पास एक सीट है। यदि बीजद और भाजपा साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो सभी 21 सीटें राजग के खाते में आ सकती हैं।

तेलंगाना में बीआरएस का ढलान

इसी तरह से तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीआरएस का ग्राफ तेजी से गिर रहा है और मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होने की उम्मीद है। बीआरएस के दो सांसद भाजपा में आ चुके हैं और पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया है।

पार्टी सूत्रों का दावा है कि बीआरएस के चार-पांच और सांसद संपर्क कर रहे हैं। वह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन भाजपा ने पार्टी के पुराने नेताओं में नाराजगी के डर से उन्हें चुनाव के पहले शामिल करने से इन्कार कर दिया है।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा चार, कांग्रेस तीन और बीआरएस 10 सीटें जीती थी। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि बीआरएस की काफी कम सीटें आएंगी, वहीं कांग्रेस व भाजपा की सीटों में बढ़ोतरी होगी। नई परिस्थितियों में भाजपा अपने दम पर तेलंगाना में आठ से 10 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।

आंध्रप्रदेश में तेदेपा का साथ

भाजपा और खासकर राजग के लिए ओडिशा के बाद सबसे बड़ा बूस्टर डोज आंध्रप्रदेश से मिल सकता है। 2019 में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) राजग से बाहर थी और लोकसभा की 25 सीटों वाले आंध्रप्रदेश में भाजपा खाता तक खोलने में विफल रही थी। इस बर तेदेपा राजग में आ चुकी है और भाजपा को छह सीटें गठबंधन में मिल रही हैं।

पिछली बार अकेले दम पर तेदेपा तीन सीट ही जीत पाई थी। इस बार राजग गठबंठन से वाइएसआर कांग्रेस को तगड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। भाजपा यहां गठबंधन के सहयोगियों के साथ 15 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।

तमिलनाडु से मोदी ने जोड़े तार

आंध्रप्रदेश की तरह भाजपा 2019 में तमिलनाडु और केरल में भी खाता खोलने में विफल रही थी। तमिलनाडु में 39 में से 38 सीटें द्रमुक और कांग्रेस के साथ उनके सहयोगियों को मिली थीं, जबकि 2014 में इसके ठीक उल्टा परिणाम आया था। तब भाजपा और एआइएडीएमके का गठबंधन सभी 39 सीटें जीतने में सफल रहा था।

डीएमके और एआइएडीएमके के बीच चुनाव दर चुनाव इस तरह प्रदर्शन लंबे समय से होता रहा है। तमिलनाडु की पुरानी परंपरा को देखते हुए इस बार एआइएडीएमके गठबंधन को ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन एआइएडीएमके ने राजग से नाता तोड़ लिया है।

जयललिता और के. करुणानिधि जैसी बड़ी शख्सियत के अभाव में होने जा रहे इस चुनाव में जमीनी मुद्दे हावी रहने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तमिलनाडु के लोगों के साथ दिल के तार जोड़ने और तमिल संस्कृति व विरासत को सहेजने की कोशिशों के साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्ना मलाई के जमीनी स्तर किए गए कामों को देखते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता तमिलनाडु से चौंकाने वाले नतीजे आने का दावा कर रहे हैं।

एआइएडीएमके पेन्निरसेल्वम गुट के साथ भाजपा समझौता करने की कोशिश कर रही है। वहीं, तमिल मनीला कांग्रेस राजग में आ चुकी है। भाजपा नेता अभी तक जीती जाने वाली सीटों के बारे में खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन इतना साफ है कि 2019 तक इस बार वह शून्य पर आउट नहीं होगी।

केरल में तीसरी ताकत का उभार

आइएनडीआइए में साथ-साथ और केरल में एक-दूसरे खिलाफ लड़ने वाले कांग्रेस व सीपीएम के बीच भाजपा तीसरी ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज नेताओं की संतानों को शामिल कराकर भाजपा ने वामपंथी गठबंठन के खिलाफ खाली विपक्ष के स्थान को भरने की कोशिश शुरू कर दी है। 

पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को शामिल कर भाजपा ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं।

मुस्लिम वोटों को साथ लेने की कांग्रेस और सीपीएम के बीच मची होड़ के बीच भाजपा ईसाई वोटों को साधने की कोशिश कर रही है। लोकसभा की कुल 20 सीटों वाले केरल में भाजपा चार-पांच सीटों पर गंभीरता से लड़ रही है और इस बार खाता खोलने की पूरी उम्मीद लगाए बैठी है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत से भी भाजपा को तीन-चार अतिरिक्त सीटें मिलने की उम्मीद है।

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