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Bastar Lok Sabha Seat: महिला मतदाताओं का दबदबा; पर सियासत में नहीं मिला मौका, भाजपा-कांग्रेस क्यों नहीं देती टिकट?

छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर अधिक संख्या होने के बावजूद महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दल दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। अभी तक इस सीट पर सिर्फ छह बार ही महिलाओं को टिकट मिली है और सभी को हार का सामना करना पड़ा। खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक किसी भी महिला उम्मीदवार को यहां से नहीं उतारा है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 21 Mar 2024 01:56 PM (IST)
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महिला मतदाता अधिक पर चुनाव लड़ने में रुचि नहीं, भाजपा-कांग्रेस ने भी नहीं दिया टिकट।

विनोद सिंह, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर महिलाओं की संख्या अधिक है। मगर भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े राजनीतिक दल यहां महिला प्रत्याशियों के प्रति उदासीन हैं। यही वजह है कि आज भी यहां की राजनीति में पुरुषों का दबदबा है। बस्तर लोकसभा सीट से अब तक सिर्फ छह महिलाओं ने चुनाव लड़ा और सभी को हार का सामना करना पड़ा।

सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने महिला प्रत्याशी को इस लोकसभा सीट से टिकट दिया था। बस्तर में एक हजार पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या 1080 है। मौजूदा समय में 52.38 फीसदी महिला मतदाता और 47.77 फीसदी पुरुष मतदाताओं की संख्या है।

कांग्रेस और भाजपा ने महिला उम्मीदवारों को नहीं दिया मौका

बस्तर लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। इस सीट पर कांग्रेस-भाजपा ने कभी महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने का साहस नहीं दिखा पाईं। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी को भी यहां से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला।

कांग्रेस और भाजपा ने आज तक यहां से किसी भी महिला उम्मीदवार को नहीं उतारा है। यहां नक्सल आंदोलन से भी महिला सशक्तीकरण को झटका लगा है। महिला प्रत्याशियों को अभी तक इस सीट पर हार का सामना करने को मिला है। एक यह भी वजह हो सकती है कि कांग्रेस और भाजपा यहां से महिला को टिकट देने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है।

ऐसा नहीं है कि बस्तर की राजनीति में महिला नेता नहीं हैं। मगर पार्टियों में चुनाव में उन्हें उतारने का साहस नहीं है। हर दल में महिला नेताओं की फौज जरूर है। आज भी यहां की राजनीति में पुरुषों का ही दबदबा है। उधर, नक्सल संगठन कई मोर्चों पर महिलाओं को नेतृत्व भी सौंप चुके हैं। मगर बस्तर में राजनीति को अब भी इससे परहेज है।

अब तक इन दलों ने महिलाओं को चुनाव में उतारा

  • 1952 से 2019 तक 18 लोकसभा चुनाव में सिर्फ छह महिला उम्मीदवारों को टिकट मिली, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली
  • 1989 में सबसे पहली बार बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी को उतारा
  • 1996 में तिवारी कांग्रेस और 2004 में समाजवादी पार्टी ने महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला
  • 2014 में आम आदमी पार्टी और सीपीआई ने महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया

            बस्तर लोकसभा सीट से अब तक चुनाव लड़ चुकीं ये महिलाएं

साल
प्रत्याशी का नाम
दल
1989 लक्ष्मीदेवी पुजारी बसपा
1996 गंगा पोटाई तिवारी कांग्रेस
2004 शकुंतला देवी सपा
2004 दासीबाई निर्दलीय
2014 विमला सोरी सीपीआई
2014 सोनी सोरी आप

  

विधानसभा चुनाव में महिलाओं को मिला मौका

बस्तर में महिलाओं को विधासभा चुनाव में मौका जरूर मिला। यहां से कांग्रेस ने फूलोदेवी नेताम को पहली बार राज्यसभा भेजा। वहीं 1957 में प्रतिभा देवी के रूप में संभाग को पहली महिला विधायक मिली। प्रतिभा ने कांकेर सीट से चुनाव जीता था। 75 साल में बस्तर संभाग में 10 महिलाएं विधानसभा पहुंच चुकी हैं। 1977 में मंगली झाडूराम रावटे दूसरी महिला विधायक बनीं। 1980 में भानुप्रपातपुर सीट से विधायक बनने वाली गंगा पोटाई संभाग की तीसरी महिला थीं।

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