Election 2024: सहयोगियों को फिर साथ लेकर 'अबकी बार 400 पार' करने की जुगत में भाजपा, TDP की वापसी तय; अकाली दल से चल रही बात
सहयोगी दलों की ज्यादा संख्या बिहार और महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे में मुसीबत साबित हो रही है। बिहार में भाजपा के लिए जदयू के साथ-साथ लोजपा के दोनों खेमों उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को भी समायोजित करने की चुनौती है। पिछली बार 17 सीटें लड़कर 16 सीटें जीतने वाली जदयू 16 से कम पर मानने को तैयार नहीं है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। भाजपा राजग का कुनबा बढ़ाने के साथ अबकी बार, 400 पार का लक्ष्य हासिल करने की जुगत में जुट गई है। इस सिलसिले में एक-दो दिन में तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा) को राजग में वापसी करते हुए सीटों के बंटवारे का ऐलान किया जा सकता है।
इसके साथ ही भाजपा पंजाब में अकाली दल के साथ, तो तमिलनाडु में एआइडीएमके के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के घड़े और स्वर्गीय विजयकांत की पार्टी एमडीएमके के साथ सीटों के बंटवारे व गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। जीके वासन की तमिल मनीला कांग्रेस पहले ही राजग में शामिल हो चुकी है।
एआईएडीएमके का पनीरसेल्वम भाजपा के साथ
एआइएडीएमके ने भले पिछले साल सितंबर में राजग से नाता तोड़ लिया हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले एआइएडीएमके खेमे राजग के साथ जाने का स्पष्ट ऐलान कर दिया है। इसके अलावा भाजपा वहां छोटी-छोटी अन्य पार्टियों को जोड़कर जीत के लायक जनाधार बनाने की कोशिश कर रही है।इसमें विजयकांत की डीएमडीके और वासन की तमिल मनीला कांग्रेस मददगार हो सकती है। वहीं अभिनेता आर सनथ कुमार की पार्टी एआइएसएमके ने पहले ही राजग में जाने का ऐलान कर दिया है। वहीं कर्नाटक में जेडीएस के साथ सीटों का बंटवारा लगभग तय हो गया है और भाजपा वहां 28 में से 25 सीटों पर और जेडीएस तीन सीटों पर लड़ेगा।
बिहार और महाराष्ट्र
सहयोगी दलों की ज्यादा संख्या बिहार और महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे में मुसीबत साबित हो रही है। बिहार में भाजपा के लिए जदयू के साथ-साथ लोजपा के दोनों खेमों, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी को भी समायोजित करने की चुनौती है। पिछली बार 17 सीटें लड़कर 16 सीटें जीतने वाली जदयू 16 से कम पर मानने को तैयार नहीं है। वहीं लोजपा के दोनों खेमों में भी सीटों के लिए खींचतान चल रही है।ये भी पढ़ें:Election 2024: फजीहत के बावजूद आप के 'साथ' को मजबूर कांग्रेस, सोनिया-राहुल पर हमले के बाद भी विरोध नहीं कर सकते कांग्रेसी नेता
ऐसे में जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को समायोजित करने में भाजपा को अपनी सीटें कम करनी पड़ सकती है, जो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कतई नहीं चाहता है। लगभग यही स्थिति महाराष्ट्र में भी है। लोकसभा की 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा अकेले 32 से 35 सीटें पर लड़ना चाहती है। लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) और राकांपा (अजीत पवार गुट) अधिक सीटों की मांग पर अड़े हैं।
ऐसे में जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को समायोजित करने में भाजपा को अपनी सीटें कम करनी पड़ सकती है, जो भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कतई नहीं चाहता है। लगभग यही स्थिति महाराष्ट्र में भी है। लोकसभा की 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा अकेले 32 से 35 सीटें पर लड़ना चाहती है। लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) और राकांपा (अजीत पवार गुट) अधिक सीटों की मांग पर अड़े हैं।