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Lok Sabha Election 2024: वायनाड में किसका पलड़ा भारी? राहुल और एनी की जंग में भाजपा ने खेला अहम दांव

Lok Sabha Election 2024 Wayanad पिछले चुनाव में केरल की वायनाड सीट से बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी इस बार भी अपना प्रदर्शन बरकरार रखना चाहेंगे। वहीं एलडीएफ ने उनके सामने एनी राजा को उतारकर एक मजबूत उम्मीदवार देने की कोशिश की है। इधर भाजपा ने भी इस सीट पर अहम दांव चला है। जानिए क्या है यहां का समीकरण।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 25 Apr 2024 11:44 AM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को वायनाड से मैदान में उतारा है।
नीलू रंजन, वायनाड। केरल की वायनाड सीट से 2019 में चार लाख 31 हजार वोटों से जीत हासिल करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए 2024 में जीत के इस अंतर को बरकरार रखने की चुनौती होगी। वामपंथी मोर्चे एलडीएफ ने सीपीआई महासचिव डी. राजा की पत्नी और पार्टी कार्यकारिणी की सदस्य एनी राजा को वायनाड में उतारकर राहुल गांधी के सामने मजबूत उम्मीदवार देने की कोशिश की है।

भाजपा ने भी अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को उतारकर वायनाड को गंभीरता से लेने का संकेत दिया है। 59 प्रतिशत अल्पसंख्यकों की आबादी वाले वायनाड में कांग्रेस का चुनाव प्रचार जोरों पर है और खुद राहुल गांधी दो रैली कर चुके हैं। लेकिन प्रचार अभियान में कांग्रेस और उसकी सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) का झंडा कहीं नजर नहीं आ रहा है। पूरे क्षेत्र में राहुल गांधी के फोटो के साथ बड़े-बड़े बैनर जरूर देखे जा सकते हैं।

2019 में खड़ा किया गया था विवाद

दरअसल पूरे केरल में 18 प्रतिशत और वायनाड में 13 प्रतिशत ईसाई जनसंख्या को देखते हुए कांग्रेस ने इस बार यूडीएफ में शामिल आईयूएमएल का झंडा कहीं भी नहीं लगाने का फैसला किया है। 2019 में राहुल गांधी की रैलियों में हरे रंग और चांद वाले आईयूएमएल के झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताकर इंटरनेट मीडिया पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई थी।

आईयूएमएल चार दशक से भी अधिक समय से यूडीएफ में है और केरल के मुस्लिम मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है। झंडा नहीं फहराये जाने से आईयूएमएल के समर्थक कहीं नाराज नहीं हो जाएं, इसीलिए कांग्रेस ने भी अपना झंडा नहीं लगाने का रणनीतिक फैसला लिया। वायनाड के अधिकांश लोग राहुल गांधी की जीत को लेकर आश्वस्त भी हैं। लेकिन सीपीआई नेता इस बार करीबी मुकाबले का दावा कर रहे हैं।

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भाजपा को वोट बढ़ने की उम्मीद

पिछले पांच साल तक कांग्रेस से साथ मिलकर इंडिया का हिस्सा रही सीपीआई को राहुल गांधी के खिलाफ मुद्दा तलाशने में परेशानी हो सकती है। 2019 में भाजपा ने सहयोगी भारत धर्म जन सेना के तुषार बेल्लापल्ली को राहुल के खिलाफ उतारा था। लेकिन तुषार को 78 हजार वोट ही मिले थे।

इस बार प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन के मैदान में होने से भाजपा को वोट बढ़ने की उम्मीद है। वायनाड में जमीन की तलाश कर रही भाजपा की नजर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वोटरों पर है। यहां अनुसूचित जाति की सात फीसदी और अनुसूचित जनजाति की नौ प्रतिशत से अधिक आबादी है।

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