Madhya Pradesh: कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में जब पलट गया था पासा; भाजपा के इस दिग्गज ने दी थी कमलनाथ को शिकस्त
Lok Sabha Election 2024 मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है। पिछले कई सालों से इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ और उनके परिवार का ही कब्जा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर में भी कांग्रेस यह सीट बचाने में कामयाब रही थी। लेकिन एक बार ऐसा भी मौका आया है जब बीजेपी गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब रही है।
आशीष मिश्रा, छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र को परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट माना जाता है। कांग्रेस के इस किले के अभेद्य होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में देशभर में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन छिंदवाड़ा में कांग्रेस की जीत हुई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ना शुरू किया तो धीरे-धीरे इसे अपना गढ़ ही बना लिया। केवल एक बार इस गढ़ में भी सेंध लगी थी और कमल नाथ को हार का सामना करना पड़ा था। वरिष्ठ नेता रमेश पोफली बताते हैं कि वर्ष 1996 में कमल नाथ का नाम हवाला कांड में आया था। इसके बाद पार्टी ने कमल नाथ को इस साल के चुनाव में टिकट ने देकर उनकी पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा।
भारी मतों से जीतीं चुनाव
यह कमल नाथ का ही प्रभाव था कि अलका नाथ भारी मतों से चुनाव जीत गईं। हवाला कांड का मामला ठंडा पड़ने के बाद सांसद अलका नाथ ने इस्तीफा दे दिया। यह कमल नाथ के ही इशारे पर हुआ था। लगभग आठ महीने बाद अचानक निर्वाचित सांसद को इस तरह से पद से इस्तीफा दिलवाने से क्षेत्र में आम लोगों में नाराजगी थी।भाजपा ने भी महिला का अपमान बताकर पूरे जिले में अभियान चलाया था। मध्यावधि चुनाव जीतने के लिए भाजपा इस मुद्दे को भुनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी। भाजपा के दिग्गज सुंदरलाल पटवा ने कमल नाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए छिंदवाड़ा में डेरा डाल लिया था। उन्होंने लगभग हर विधानसभा क्षेत्र के 20 से 40 गांवों में पहुंचकर सभा ली। जिसमें उनके निशाने पर महिला का अपमान वाला मुद्दा होता था।
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भाजपा को मिली सफलता
जनता में नाराजगी की लहर को भांपते हुए उन्होंने इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा। उस समय मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार थी। जिस दिन उपचुनाव के लिए मतदान होना था उसके एक दिन पहले से छिंदवाड़ा जिले में चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। सुरक्षा व्यवस्था भी काफी कड़ी थी। सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने कमल नाथ की जीत सुनिश्चित करने के लिए हर जतन किए थे, लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो सुंदरलाल पटवा को 38 हजार वोटों से जीत हासिल हुई।
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