भाजपा-रालोद को लेकर नरेश टिकैत ने कही बड़ी बात, बोले- 17 अप्रैल को महापंचायत; इसमें लेंगे सामूहिक निर्णय
Lok Sabha Election 2024 भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने भाजपा और रालोद गठबंधन पर अफसोस भी जताया। 17 अप्रैल को सिसौली में एक महापंचायत बुलाई गई है। इसमें चुनाव के संबंध में सामूहिक निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने बीकेयू सदस्यों को तब तक चुप रहने को कहा है।
पीटीआई, मुजफ्फरनगर। किसान नेता नरेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने 2014 लोकसभा चुनाव में खुलेआम भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
टिकैत ने अफसोस जताते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने 2020-21 में दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने लंबे चले किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले 750 किसानों की 'शहादत' को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा में तानाशाही की बू आती है।
उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे
टिकैत ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि हमने 2014 में खुले तौर पर भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन वे हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने 'राम राज' की बात की थी... उन्होंने अपने मानकों के अनुसार अच्छा काम किया होगा लेकिन बहुत कुछ नजरअंदाज कर दिया गया।यह भी पढ़ें: कोई पहुंचा संसद तो कोई सियासी पिच पर पहुंचते ही हुआ क्लीन बोल्ड; पढ़ें राजनीति में कदम रखने वाले 10 क्रिकेटरों की कहानी
किसानों के मुद्दों को नजरअंदाज किया
राकेश टिकैत ने कहा कि भारत एक बड़ा देश है। हर समस्या का समाधान भी नहीं किया जा सकता है। मगर सरकार ने कई मुद्दों खासकर किसानों की समस्याओं को नजरअदांज किया है। भाजपा में तानाशाही की बू आती है। यह ऐसा है जैसे कोई जिद्दी व्यक्ति कुछ भी कहता है और केवल वही कार्य किया जाएगा। देश में इस तरह से काम नहीं होता है।कभी सरकार को झुकना पड़ता है और कभी लोगों को झुकना पड़ता है।जयंत चौधरी के फैसले से लोग हैरान
भाजपा के साथ राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के गठबंधन पर नरेश टिकैत ने कहा कि जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली पार्टी के अचानक फैसले ने क्षेत्र के लोगों को हैरान कर दिया और बीकेयू को खेद है।रालोद ने जिम्मेदार लोगों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया। अचानक फैसले से लोग स्तब्ध हैं। मुझसे इस बारे में सलाह-मशविरा नहीं किया गया। अगर आप मुझे छोड़ भी दें तो आसपास और भी बड़े लोग हैं, जिनसे बातचीत की जानी चाहिए थी।