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पंजाब से हर साल डेढ़ लाख युवा जाते हैं विदेश; 30 हजार करोड़ रुपये का लगता है चूना; इसे क्‍यों नहीं रोक पा रहीं सरकारें?

Lok Sabha Election 2024 पंजाब में पलायन बड़ा मुद्दा है। खासकर प्रतिभा के पलायन पर खूब चर्चा होती है। विदेश में बसने का शौक इस कदर है कि कई गांवों में युवाओं की संख्या गिनी-चुनी है। हर चुनाव में यह मुद्दा उठता है। सभी दल पलायन को रोकने की बात करते हैं लेकिन नतीजा शून्य होता है। पलायन के साथ-साथ भारी भरकम रकम भी विदेश जा रही है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 11 Apr 2024 12:22 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: पंजाब में पलायन बड़ा मुद्दा।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब के युवाओं का विदेश से मोह कोई नया नहीं है, लेकिन पिछले पांच-छह सालों में यह जिस प्रकार से बढ़ गया है उसने राज्य के लिए बड़ी चुनौती जरूर खड़ी कर दी है। हर साल सवा लाख से डेढ़ लाख तक युवाओं के जिस प्रकार से विदेश में जाकर पढ़ने का प्रचलन बढ़ा है, उसने एक बड़ी चिंता जरूर खड़ी कर दी है। युवाओं के विदेश जाने से केवल प्रतिभा का पलायन ही नहीं हो रहा, बल्कि करोड़ों रुपये भी विदेश में जा रहे हैं जिसका असर राज्य की आर्थिकी पर भी हो रहा है।

पुरखों की जमीन कौन संभालेगा

सबसे पहली घटना फतेहगढ़ साहिब के जगतार सिंह की है जिनका इकलौता बेटा पंजाब में पोस्ट ग्रेजुएशन करके राजनीतिक शरण के तौर अमेरिका में चला गया है। उसके पिता के पास यहां अच्छी खासी जमीन है। वह वहां पर कोई बहुत बड़ा बिजनेस नहीं कर रहा है बल्कि किसी के पास ड्राइविंग की नौकरी कर रहा है। पीछे माता-पिता अकेले रह गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि पुरखों की इतनी जमीन को उनके बाद कौन संभालेगा।

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गांव में बचा अकेला युवा

दूसरी घटना, जालंधर में रविंदर ग्रोवर अपना एक छोटा सा टीवी चैनल चलाते हैं। उनके यहां एक लड़का काम करता है जिसे हर रोज पता नहीं कितने फोन आते हैं कि शाम को घर आते हुए वह उनके लिए फलां चीज ला दे या सब्जी ला दे या कुछ भी और। पूछने पर वह बताता है कि उसके गांव में वह अकेला ही युवा रह गया है। आस पड़ोस या पूरे गांव के लोग काम के लिए उसे ही फोन करते हैं।

अब दूसरे इलाकों में बढ़ रहा ट्रेंड

पंजाब के दोआबा क्षेत्र के बाद अब यह ट्रेंड मालवा में भी बढ़ रहा है। ये घटनाएं पंजाब के युवाओं के विदेश में जाने के मोह को बताती हैं। हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां यह दावा करती हैं कि विदेश में युवाओं के पलायन को रोका जाएगा और यहां पर इंडस्ट्री लाकर उन्हें रोजगार दिया जाएगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन लोगों के पास पहले से ही रोजगार है, वे क्यों विदेश का मोह पाले हैं। क्या दिक्कत कहीं और है? क्या वे सिस्टम से क्षुब्ध हैं या बात कुछ और है।

इतनी धनराशि जा रही दूसरों देश

एक अनुमान के अनुसार पंजाब से हर साल 1.50 लाख बच्चे विदेश में जाते हैं और औसतन हर बच्चे के विदेश जाने में 20 लाख रुपये खर्च होते हैं। यानी 30 हजार करोड़ रुपये पंजाब से निकलकर दूसरे देशों में पहुंच रहे हैं। ग्लोबल गुरु इमिग्रेशन सेंटर के आलमजोत सिंह का कहना है कि यह आंकड़ा उन बच्चों का है जिनके वीजा मंजूर हो रहे हैं। वीजा अप्लाई करने वालों में यह गिनती केवल 20 फीसद है। 80 फीसद बच्चे जो 13 हजार रुपये दूतावास फीस के रूप में अदा करते हैं और इंटरव्यू में ही बाहर हो जाते हैं, उनका आंकड़ा भी कम नहीं है।

उलटी बहने लगी गंगा

आज से दस साल पहले आरबीआई ने एक आंकड़ा जारी किया था इसमें कहा गया था कि विदेश से हर साल 25 हजार करोड़ रुपये युवा अपने अभिभावकों को भेजते हैं, लेकिन अब गंगा उलटी बहने लगी है। चूंकि पंजाब में ज्यादातर घरों में एक-एक बच्चा ही है इसलिए अभिभावक भी कुछ समय बाद अपने बच्चों के पास ही विदेश में चले जाते हैं। इस कारण जो पैसा पहले उनके बच्चे अभिभावकों के पास भेजते थे अब उसमें काफी कमी आ गई है। इसके अलावा आइलेट सेंटरों में टेस्ट आदि की तैयारी में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, इसका कोई हिसाब नहीं है।

ये काम करते हैं लोग

आइलेट में अच्छे बैंड लेने वाली लड़कियों का सारा खर्च लड़के वाले उठाने को तैयार हैं ताकि लड़की उनके लड़के से शादी करके उसे भी अपने साथ ले जाए। इसीलिए ज्यादातर ऐसे लोग वहां किसी प्रतिष्ठित कंपनियों में काम नहीं करते, बल्कि ड्राइविंग, खेतों में सब्जियां तोड़कर उसकी पैकिंग करना जैसे काम करते हैं।

कई देशों ने नियमों को किया कड़ा

कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी पढ़ाई के नाम पर उनके देश में आकर रोजगार तलाशने वाले बच्चों के लिए नियमों को कड़ा कर दिया है। कनाडा ने तो यहां तक कहा है कि केवल ग्रेजुएट ही उनके देश में आएं। अपने साथ पत्नी आदि को वे नहीं ला सकेंगे।

सरकारों ने की ये कोशिशें

ऐसा नहीं है कि किसी सरकार ने युवाओं को विदेश में जाने से रोकने के लिए काम नहीं किया लेकिन जितने भी प्रयास किए हैं वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं कि युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर हों तो ब्रेन ड्रेन को रोका जा सकता है। हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि युवा यहां से जाएंगे नहीं बल्कि दूसरे देशों से नौकरी करने के लिए यहां आएंगे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जड़ों से जुड़ो कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह था कि विदेश गए परिवारों की तीसरी पीढ़ी अब पंजाब लौटना नहीं चाहती। उन्हें कैसे जोड़ा जाए और उनके वापस आने का रास्ता तलाशा जाए, यही इस कार्यक्रम का उद्देश्य था।

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