पंजाब से हर साल डेढ़ लाख युवा जाते हैं विदेश; 30 हजार करोड़ रुपये का लगता है चूना; इसे क्यों नहीं रोक पा रहीं सरकारें?
Lok Sabha Election 2024 पंजाब में पलायन बड़ा मुद्दा है। खासकर प्रतिभा के पलायन पर खूब चर्चा होती है। विदेश में बसने का शौक इस कदर है कि कई गांवों में युवाओं की संख्या गिनी-चुनी है। हर चुनाव में यह मुद्दा उठता है। सभी दल पलायन को रोकने की बात करते हैं लेकिन नतीजा शून्य होता है। पलायन के साथ-साथ भारी भरकम रकम भी विदेश जा रही है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब के युवाओं का विदेश से मोह कोई नया नहीं है, लेकिन पिछले पांच-छह सालों में यह जिस प्रकार से बढ़ गया है उसने राज्य के लिए बड़ी चुनौती जरूर खड़ी कर दी है। हर साल सवा लाख से डेढ़ लाख तक युवाओं के जिस प्रकार से विदेश में जाकर पढ़ने का प्रचलन बढ़ा है, उसने एक बड़ी चिंता जरूर खड़ी कर दी है। युवाओं के विदेश जाने से केवल प्रतिभा का पलायन ही नहीं हो रहा, बल्कि करोड़ों रुपये भी विदेश में जा रहे हैं जिसका असर राज्य की आर्थिकी पर भी हो रहा है।
पुरखों की जमीन कौन संभालेगा
सबसे पहली घटना फतेहगढ़ साहिब के जगतार सिंह की है जिनका इकलौता बेटा पंजाब में पोस्ट ग्रेजुएशन करके राजनीतिक शरण के तौर अमेरिका में चला गया है। उसके पिता के पास यहां अच्छी खासी जमीन है। वह वहां पर कोई बहुत बड़ा बिजनेस नहीं कर रहा है बल्कि किसी के पास ड्राइविंग की नौकरी कर रहा है। पीछे माता-पिता अकेले रह गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि पुरखों की इतनी जमीन को उनके बाद कौन संभालेगा।
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गांव में बचा अकेला युवा
दूसरी घटना, जालंधर में रविंदर ग्रोवर अपना एक छोटा सा टीवी चैनल चलाते हैं। उनके यहां एक लड़का काम करता है जिसे हर रोज पता नहीं कितने फोन आते हैं कि शाम को घर आते हुए वह उनके लिए फलां चीज ला दे या सब्जी ला दे या कुछ भी और। पूछने पर वह बताता है कि उसके गांव में वह अकेला ही युवा रह गया है। आस पड़ोस या पूरे गांव के लोग काम के लिए उसे ही फोन करते हैं।
अब दूसरे इलाकों में बढ़ रहा ट्रेंड
पंजाब के दोआबा क्षेत्र के बाद अब यह ट्रेंड मालवा में भी बढ़ रहा है। ये घटनाएं पंजाब के युवाओं के विदेश में जाने के मोह को बताती हैं। हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां यह दावा करती हैं कि विदेश में युवाओं के पलायन को रोका जाएगा और यहां पर इंडस्ट्री लाकर उन्हें रोजगार दिया जाएगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन लोगों के पास पहले से ही रोजगार है, वे क्यों विदेश का मोह पाले हैं। क्या दिक्कत कहीं और है? क्या वे सिस्टम से क्षुब्ध हैं या बात कुछ और है।इतनी धनराशि जा रही दूसरों देश
एक अनुमान के अनुसार पंजाब से हर साल 1.50 लाख बच्चे विदेश में जाते हैं और औसतन हर बच्चे के विदेश जाने में 20 लाख रुपये खर्च होते हैं। यानी 30 हजार करोड़ रुपये पंजाब से निकलकर दूसरे देशों में पहुंच रहे हैं। ग्लोबल गुरु इमिग्रेशन सेंटर के आलमजोत सिंह का कहना है कि यह आंकड़ा उन बच्चों का है जिनके वीजा मंजूर हो रहे हैं। वीजा अप्लाई करने वालों में यह गिनती केवल 20 फीसद है। 80 फीसद बच्चे जो 13 हजार रुपये दूतावास फीस के रूप में अदा करते हैं और इंटरव्यू में ही बाहर हो जाते हैं, उनका आंकड़ा भी कम नहीं है।