Lok Sabha Election 2024: 'जन्मभूमि' में धूप, 'कर्मभूमि' पर मुलायम की छांव, क्या सपा के इस किले को ध्वस्त कर पाएगी भाजपा?
UP Lok Sabha Election 2024 मोदी लहर में कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी और सपा की मजबूती वाली कन्नौज से रामपुर और आजमगढ़ तक को भाजपा कब्जा चुकी है लेकिन सपा के सबसे पुराने किले मैनपुरी की मियाद कितनी बची है यह इस बार चुनावी हवा बता रही है। जानिए क्या हैं यहां पर स्थानीय लोगों के मुद्दे। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट...
जितेंद्र शर्मा, इटावा। राम मंदिर आंदोलन के शिखर पुरुष रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का क्षेत्र एटा और आंदोलन की विपरीत धारा से जुड़े रहे मुलायम सिंह की कर्मभूमि मैनपुरी। एटा से मैनपुरी जाएं तो इन दोनों क्षेत्रों की सीमा पर है एटा का अलीगंज। इन दो दिग्गज सियासी पुरखों की परछाईं के साथ मुद्दे कैसे दिखते-छिपते हैं, यह फर्क इस कस्बे में दिखता है।
यहां छोटा सा बाजार राम ध्वजा से अटा पड़ा था, टेम्पो और ई-रिक्शा पर भी पताकाएं और जनसभाओं में भी 'कल्याण के राम' नारे की गूंज। मगर, कुछ फर्लांग चलकर जैसे ही मुलायम सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्र में प्रवेश करें तो बहुत कुछ बदल जाता है। राम नवमीं जोरशोर से मनाए जाने के प्रतीक वह ध्वज तो हैं, लेकिन यहां आस्था का भाव मौन हो जाता है।
सैफई में छांव, इटावा में कड़ी धूप
समाजवादी पार्टी के पुराने किले मैनपुरी में मोदी की गारंटी और योगी की कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों की गूंज शुरू तो हुई है, लेकिन अभी इतनी नहीं कि जाति की गर्जना को दबा सके। यही वजह है कि सैफई परिवार यहां मुलायम की छांव में सुकून महसूस कर रहा है, जबकि जन्मभूमि इटावा में 'कड़ी धूप' फिर पसीने छुड़ा रही है।मोदी लहर में कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी और सपा की मजबूती वाली कन्नौज से रामपुर और आजमगढ़ तक को भाजपा कब्जा चुकी है, लेकिन सपा के सबसे पुराने किले मैनपुरी की 'मियाद' कितनी बची है, यह इस बार चुनावी हवा बता रही है। भाजपा ने प्रत्याशी जयवीर सिंह के समर्थन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की जनसभा करवाकर और कई पुराने यादव नेताओं को तोड़कर रणनीति को धार जरूर दी है, लेकिन खास तौर पर सजातीय वोटबैंक पर अब तक बंधी सपा संस्थापक के पुराने रिश्तों की डोर पर प्रत्यक्ष कोई असर नहीं दिखता।
परिवार से जुड़ाव
यादव बहुल गांव नगला दौलत के कैप्टन जसकरन सिंह यादव और राम अवतार सिंह यादव जिस तरह से एक झटके में महंगाई, बेरोजगारी और अग्निवीर योजना से जुड़ी पीड़ा बयां करते हैं, उससे साफ है कि उनके मुंह के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बोल हैं। सैफई परिवार को एकजुट करने में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की सराहना का संदेश है कि बिरादरी का मजबूत जुड़ाव परिवार से है।युवा बलराम सिंह बिना लाग-लपेट कहते हैं- 'यहां के लोगों पर 'नेताजी' के बहुत अहसान हैं, उन्हें कैसे भुला दें।' पुराने रिश्तों की इस नींव को जातीय आधार भी मजबूत सहारा दिए हुए है। परिसीमन में जिस तरह से यादव बहुल जसवंत नगर और करहल को मैनपुरी लोकसभा सीट में जोड़ दिया गया था, वहीं से सपा को निर्णायक बढ़त मिलती रही है। अगले परिसीमन के बाद होने वाला परिवर्तन काफी कुछ बदल सकता है।