विनोद सिंह, जगदलपुर। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़, बस्तर संसदीय क्षेत्र में सेंध लगाई थी। इससे पहले 20 वर्षों तक बीजेपी इस लोकसभा सीट से जीतती आ रही थी। लेकिन 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के दीपक बैज ने यहां से जीत दर्ज की थी। 42 वर्षीय दीपक इसस पहले चित्रकोट से 2 बार विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। सांसद के रूप में दीपक बैज के कार्यकाल को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं।
वह अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर संसद में मांगों और समस्याओं को रखने में तो मुखर रहे, लेकिन जमीनी स्तर पर परिणाम कम ही देखने को मिले हैं। बस्तर के लोगों की सबसे प्रमुख मांगों में, जगदलपुर से रायपुर तक रेलमार्ग बनना और राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के धमतरी-जगदलपुर ब्लॉक को फोरलेन में बदलना शामिल है।केन्द्र सरकार की अमृत भारत योजना के तहत जगदलपुर रेलवे स्टेशन के कायाकल्प का काम तो शुरू हो गया, लेकिन जगदलपुर-रावघाट रेललाइन निर्माण की स्थिति पर यहां के सांसद के पास जवाब नहीं है, न ही यहां की जनता को पता है कि यह कब तक बनकर तैयार हो जाएगा।
अब तक राजमार्ग को फोरलेन में परिवर्तित करने को लेकर भी स्वीकृति नहीं मिली है।
बस्तर क्षेत्र कई दशकों से नक्सली प्रभाव से जूझता आ रहा है, लेकिन जनता को इससे छुटकारा कब मिलेगा, इसे लेकर भी यहां के जनप्रतिनिधि और जनता के पास कोई अनुमान नहीं है।
केन्द्र पर लगाया उपेक्षा का आरोप
हांलाकि नगरनार स्टील प्लांट की स्थापना से क्षेत्र ने औद्योगीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। इसके अलावा इंद्रावती नदी में जल प्रवाह बनाए रखने के लिए भी जनप्रतिनिधियों की ओर से ठोस प्रयास की जरूरत है। सांसद
दीपक बैज केन्द्र की भाजपा सरकार पर छत्तीसगढ़ और बस्तर की उपेक्षा का आरोप भी लगाते हैं।
सांसद दीपक बैज कहते हैं कि उन्होंने बस्तर के विकास, यहां के लोगों के कल्याण तथा इनका जीवन स्तर सुधारने और मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि यहां से उड़ान सेवा बंद हो गई थी, जिसे लेकर उन्होंने लगातार केंद्र सरकार से अपील की और मंत्रियों एवं अधिकारियों से चर्चा की।
पीएम ने पूरी की मांग
दीपक बताते हैं कि लोगों के मन में नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर भी डर बना हुआ था, जिसके खिलाफ उन्होंने संसद से लेकर सड़क तक आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि, प्रधानमंत्री मोदी ने विनिवेशीकरण प्रक्रिया रोकने की मांग पूरी करते हुए पिछले साल अक्टूबर में घोषणा की है कि प्लांट का निजीकरण नहीं होगा।
क्या हैं दीपक बैज की प्राथमिकताएं
अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए सांसद दीपक बैज कहते हैं कि, ''बस्तर-रायपुर को रेलमार्ग से जोड़ने के लिए रावघाट-जगदलपुर रेललाइन निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के धमतरी-जगदलपुर के हिस्से को फोरलेन में बदलना, इंद्रावती नदी जलसंकट का समाधान कराना क्षेत्र की अहम जरूरतें हैं।''सांसद ने आगे कहा, “नक्सल प्रभावित होने के कारण बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्य पूरा कराने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन प्रशासन, सुरक्षा बलों के सहयोग के साथ तेजी से विकास कार्यों को अंजाम देने का काम कर रहा है। जो काम बचे हैं, उन्हें भी पूरी गंभीरता के साथ पूरे कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।”
सांसद आदर्श ग्राम में उल्लेखनीय कार्य
सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर भी दीपक बैज का काम उल्लेखनीय है। उन्होंने दंतेवाड़ा के कुआकोंडा विकासखंड में ग्राम हितावर और बस्तर जिले के तोकापाल विकासखंड के ग्राम सिंगनपुर को गोद लिया है। दोनों गांवो में उन्होंने कई ऐसे कार्य कराए हैं, जिससे यहां की सूरत बदली है। उन्होंने सिंगनपुर पंचायत के सिंगनपुर, सोनारपाल, तारागांव और चोंडीमेटावाड़ा गांवों में पक्की एवं कंक्रीट सड़कें बनवाई हैं। सोलर सड़क बत्ती की सुविधा उपलब्ध कराई है।
साथ ही गांवों में मूलभूत विकास कार्यों के तहत पोस्ट आफिस, प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल तक के 12 विद्यालय, 9 आंगनबाड़ी केन्द्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, पशु औषधालय, बाजार शेड, अमृत सरोवर समेत 6 से अधिक अन्य तालाब, इंद्रावती नदी में एनीकट, उचित मूल्य की राशन दुकानों समेत अन्य का निर्माण कराया है। हालांकि, गांवों में जलजीवन मिशन का काम अभी भी अधूरा नजर आता है।
क्या कहती है जनता
सांसद आदर्श ग्राम सिंगनपुर के रहने वाले राजू कश्यप बताते हैं, क्षेत्र के पढ़े-लिखे युवा बेरोजगार नहीं हैं। वह अपना कोई न कोई काम कर रहे हैं, जोकि अहम बदलाव है। उनके अनुसार क्षेत्र में किए गए विकास कार्य दिखाई देते हैं। वहीं, एक अन्य ग्रामीण सूर्या कश्यप बताते हैं कि पास में ही इंद्रावती नदी होने के बावजूद सिंचाई के साधनों का अभाव दिखता है। वह कहते हैं कि खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सांसद को इसकी चिंता करने की जरूरत है।
वहीं, सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप कहते हैं, “केंद्र सरकार की योजनाएं बस्तर के लोगों तक पहुंते, इसे लेकर सांसद को और प्रयास करने की आवश्यकता है। बस्तर-रायपुर रेललाइन शुरू किए बिना विकास कार्य अधूरा समझा जाएगा। अगर संसद में रेलमार्ग को लेकर लोगों की मांग पूरी नहीं की जा रही है, तो सांसद को जनता के साथ सड़क पर उतरना चाहिए।”
सांसद निधि की अधिकतम राशि का उपयोग
दीपक बैज का दावा है कि सांसद के रूप में उन्होंने स्थानीय निधि क्षेत्र विकास योजना का भरपूर इस्तेमाल किया है। दीपक के अनुसार निधि का लगभग 90 फीसदी उपयोग क्षेत्र के विकास कार्यो में किया जा चुका है, जिनमें मूलभूत सुविधाओं का विकास समेत शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पुल, सामुदायिक भवन, शेड आदि का निर्माण कार्य कराया जाना शामिल है। दीपक आगे कहते हैं कि निधि की बची हुई राशि के लिए भी प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं।
संसद में रहे उठाए क्षेत्र के मुद्दे
सांसद के रूप में दीपक संसद में क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुखर रहे। उन्होंने संसद में निम्नलिखित मांगें रखीं-
बस्तर-रायपुर को रेलमार्ग से जोड़ना: इसके लिए प्रस्तावित जगदलपुर-रावघाट रेललाइन परियोजना में आ रही समस्याओं को दूर कर निर्माण कार्य जल्द शुरू कराने को लेकर उनकी ओर से पांच बार संसद में सवाल उठाया जा चुका है। साथ ही रेलमंत्री से मिलकर इसे लेकर चर्चा भी की गई है।
राजमार्ग का फोरलेन में परिवर्तन: बस्तर को रायपुर से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग- 30 के धमतरी-जगदलपुर खंड को फोर लेन में परिवर्तित करने की मांग को लेकर भी दीपक बैज ने लगातार संसद में सवाल उठाए हैं। साथ ही विभागीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर भी इस विषय में चर्चा कर चुके हैं।
इंद्रावती नदी का जलसंकट: इसके लिए भी दीपक बैज ने संसद में मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार की मध्यस्थता के साथ छत्तीसगढ़-ओड़िशा के बीच बैठक कराने की मांग भी केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडु से की है।
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सवाल और बहस में रहे मुखर
दीपक बैज ने सांसद के रूप में क्षेत्र की समस्याएं संसद में अच्छे ढंग से रखीं। उन्होंने अब तक कुल 293 सवाल सदन में पूछे हैं। विभिन्न विषयों पर 37 बहस में भी भाग लिया है। इस मामले में उनका प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा है। संसद में उनकी उपस्थिति भी 87 फीसद रही है।
बता दें कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं- जिनमें कोंटा, सुकमा, बीजापुर, चित्रकोट, जगदलपुर, बस्तर, नारायणपुर और कोंडागांव शामिल हैं। वर्तमान में 3 में कांग्रेस एवं 5 में भाजपा के विधायक हैं। कोंटा, बीजापुर और बस्तर की सीट कांग्रेस के हिस्से में है, जबकि शेष पांच सीटें भाजपा के पास हैं। ये सभी सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्र में आती हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के समय दंतेवाड़ा को छोड़कर बस्तर संसदीय क्षेत्र की आठ में से सात सीटें कांग्रेस के पास थीं।
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