Chhindwara lok sabha Seat: यहां कमल नहीं खिलता, चलता है 'नाथ का राज'; मोदी लहर में भी छिंदवाड़ा ने नहीं छोड़ा 'हाथ'
Chhindwara Lok Sabha Chunav 2024 updates देश के राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में आपके लिए अपनी लोकसभा सीट और अपने सांसद के बारे में जानना भी जरूरी है ताकि इस बार किसको जिताना है यह तय करने में कोई दुविधा न आए। पढ़िए आज हम आपके लिए लाए हैं छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भोपाल के सांसदों के बारे में पूरी जानकारी...
आशीष मिश्रा, छिंदवाड़ा/भोपाल। Chhindwara Lok Sabha Election 2024 latest news: जब भी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का जिक्र होता है, तो सबसे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है।
अगर राजनीतिक गढ़ की बात की जाए तो भी छिंदवाड़ा कांग्रेस के गढ़ के खांचे में पूरी तरह फिट बैठता है। इसके पीछे वजह भी है। बीते 44 साल में एक लोकसभा उपचुनाव छोड़कर इस सीट पर कमल नाथ का ही बोलबाला रहा है। कमल नाथ छिंदवाड़ा से नौ बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
अभी कौन है छिंदवाड़ा का सांसद?
अभी कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ यहां से सांसद हैं। कमल नाथ की पत्नी अलका नाथ भी छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। यहां की जनता ने कांग्रेस को कभी निराश नहीं किया। आपातकाल के बाद का चुनाव हो, राम मंदिर आंदोलन की लहर रही हो या मोदी लहर, छिंदवाड़ा ने कांग्रेस पर ही विश्वास जताया। एक बार जब कमल नाथ हारे भी तो अपनी ही चूक से हारे। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से तीन सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी सातों सीटें जीती थीं।सुंदरलाल पटवा से हार गए थे कमल नाथ
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव से पहले कमल नाथ हवाला केस में घिर गए थे। तब उन्होंने छिंदवाड़ा से पत्नी अलका नाथ को चुनाव लड़वाया। वे जीत भी गईं। कमल नाथ जैसे ही आरोपमुक्त हुए तो अलका नाथ ने इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1997 में उपचुनाव हुआ। कमल नाथ को टक्कर देने के लिए भाजपा ने दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा को मैदान में उतार दिया। संभवत: लोगों को भी उपचुनाव की स्थिति बनाना रास नहीं आया।
लोगों का विचार था कि जब अलका नाथ ही सांसद थीं, तो उपचुनाव कराए जाने की जरूरत ही नहीं थी। भाजपा ने भी इसी मुद्दे को भुनाया और जनता को एहसास दिलाया कि कमल नाथ ने छिंदवाड़ा को अपनी बपौती समझ रखा है। यह बात लोगों के मन में घर कर गई और कमल नाथ को हार का सामना करना पड़ा। अगले चुनाव वर्ष 1998 में कमल नाथ ने जनता के सामने अपनी गलती मानी। उन्होंने सुंदरलाल पटवा को हराकर शानदार जीत दर्ज की।
प्रहलाद पटेल भी नहीं भेद पाए थे गढ़
वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था। आपातकाल लगाने की वजह से कांग्रेस को जनता ने नकार दिया था, लेकिन छिंदवाड़ा से कांग्रेस को जीत मिली और गार्गी शंकर मिश्र सांसद चुने गए।छिंदवाड़ा के विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह को कमल नाथ के सामने चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में उमा भारती ने कमल नाथ के सामने प्रहलाद पटेल (फिलहाल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री) को उतारा, लेकिन वे भी कमल नाथ के गढ़ में सेंध नहीं लगा सके। इसके बाद जितने भी चुनाव हुए, कांग्रेस को ही जीत मिली।
मोदी लहर में भी कांग्रेस जीती
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीटें जीती थी। छिंदवाड़ा सीट से तब कमल नाथ ने चौधरी चंद्रभान सिंह को हरा दिया। वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमल नाथ मुख्यमंत्री बन गए। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र नकुल नाथ को टिकट मिला और वे 37 हजार से अधिक मतों से जीते। फिलहाल, नकुल नाथ पूरे प्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं।इंदिरा गांधी ने बताया था कमल नाथ को तीसरा बेटा
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के छिंदवाड़ा आने और चुनाव लड़ने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। वर्ष 1980 में जब लोकसभा चुनाव के लिए टिकट तय हो रहे थे तो छिंदवाड़ा में स्थानीय नेताओं ने गार्गी शंकर मिश्रा के चुनाव लड़ने का विरोध किया और बात दिल्ली तक गई। तब नए प्रत्याशी के तौर पर कमल नाथ का नाम तय किया गया। कमल नाथ 22 साल की उम्र में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। सियासी गलियारों में कमल नाथ व संजय गांधी की दोस्ती और गांधी परिवार से नजदीकी की चर्चा खूब हुआ करती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमल नाथ को तीसरा बेटा बताया था। छिंदवाड़ा में एक चुनावी सभा में इंदिरा ने कमल नाथ की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि ये सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं हैं, राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं, आप इन्हें चुनाव जितवाइए। जनता ने भी इंदिरा गांधी की अपील को स्वीकार किया। इसी चुनाव में कमल नाथ पहली बार सांसद बने।छिंदवाड़ा मॉडल की होती रही है चर्चा
छिंदवाड़ा के विकास मॉडल की अक्सर चर्चा होती रहती है। यहां स्किल डेवलपमेंट सेंटर कई वर्ष पहले से काम कर रहे हैं। स्किल डेवलपमेंट केंद्र के संचालक बताते हैं कि क्षेत्र में कई स्किल डेवलपमेंट सेंटर काम कर रहे हैं। एक केंद्र में करीब 150 छात्र प्रशिक्षण लेते हैं। फुटवियर डिजाइन, ड्राइविंग सेंटर, गारमेंट व कंप्यूटर इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों में प्रशिक्षण देकर नौकरी के हिसाब से युवाओं को तैयार किया जाता है। यहां पढ़ने वाले ज्यादातर विद्यार्थी गांवों से आते हैं। छिंदवाड़ा में उद्योग भी हैं। यहां हिंदुस्तान यूनीलीवर समूह की फैक्ट्री है। इसमें कपड़े धोने का साबुन और वाशिंग पाउडर तैयार होता है। रेमंड ग्रुप ने वर्ष 1991 में छिंदवाड़ा में अपना एक प्लांट लगाया था। इसके अलावा भी कई बड़े उद्योग समूहों के उपक्रम छिंदवाड़ा में हैं। यहां कोयले की खदानें और पर्यटन के लिहाज से प्रसिद्ध पेंच टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भी है। कांग्रेस एक समय छिंदवाड़ा मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू करने की बात भी करती थी।वर्ष 1952 से इन्होंने किया प्रतिनिधित्व
वर्ष | सांसद | पार्टी |
1952 | रायचंद भाई शाह | कांग्रेस |
1957 | भीकूलाल लक्ष्मीचंद | कांग्रेस |
1962 | नारायण राव मणिराम | कांग्रेस |
1967 | भीकूलाल लक्ष्मीचंद | कांग्रेस |
1971 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1977 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1980 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1980 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1984 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1989 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1991 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1996 | कमल नाथ | कांग्रेस |
1997 | अलका नाथ | कांग्रेस |
1998 | सुंदरलाल पटवा | भाजपा |
1999 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2004 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2009 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2014 | कमल नाथ | कांग्रेस |
2019 | नकुल नाथ | कांग्रेस |
2024 | -- | -- |
छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में कितनी विधानसभाएं?
छिंदवाड़ा, परासिया, सौंसर, पांढुर्णा, जुन्नारदेव, चौरई और अमरवाड़ा समेत सात विधानसभाएं शामिल हैं।
- कुल मतदाता 15,12,369
- पुरुष मतदाता -7,71,601
- महिला मतदाता- 7,40,740
- थर्ड जेंडर -28