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Lok Sabha Election 2024: हिमाचल में कांग्रेस को सांसदों से ज्यादा सरकार की चिंता, उपचुनाव पर अधिक फोकस

Lok Sabha Election 2024 हिमाचल प्रदेश में छह विधायकों के बागी होने से विधानसभा का गणित गड़बड़ा गया है। लोकसभा के साथ छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। यही वजह है कि उपचुनाव वाली सभी सीटों पर कांग्रेस का फोकस है। अगर इन सीटों पर पार्टी जीतती है तो उसका संकट टल सकता है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार सीटें हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 27 May 2024 10:23 AM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सरकार की चिंता।
रोहित नागपाल, जागरण, शिमला। हिमाचल प्रदेश में 2022 में बहुमत से सरकार बनाने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले राज्यसभा चुनाव में हार चुकी है। भाजपा के हर्ष महाजन विजयी रहे थे। छह विधायकों के पाला बदलने से निर्मित स्थितियों में राज्य सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में जितना ताप लोस चुनाव का है, उससे अधिक विस की छह सीटों पर हो रहे उपचुनाव का है। कांग्रेस के लिए सांसद से ज्यादा राज्य सरकार महत्वपूर्ण है।

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विस की 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के बाद 34 पर आ गई। इस झटके से उबरने के बाद कांग्रेस प्रयास कर रही है कि एकता का संदेश दिया जाए, पर ऐसा लग रहा है कि उसका ध्यान लोस चुनाव पर कम, विस के उपचुनाव पर अधिक है। वह कि राज्य सरकार को बचाने के लिए प्रयासरत है।

कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर गंभीरता नहीं दिखी

मंडी से निवर्तमान सांसद और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने पहले यह कहकर चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया था कि सांसद निधि बांटने से चुनाव नहीं जीता जाता। उनका आरोप था कि मंडी संसदीय क्षेत्र में कोई काम ही नहीं हुआ और कार्यकर्ता निराश बैठा है।

अब उनके बेटे व राज्य सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ही चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में भी कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुए। कांगड़ा में भी कांग्रेस ने आनंद शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। शिमला संसदीय क्षेत्र में भी विधायक पर दांव खेला गया।

नेताओं का अपने-अपने क्षेत्रों में ही फोकस

प्रतिभा सिंह अपने बेटे के ही प्रचार में डटी हैं। मंडी क्षेत्र में ही उनका अभी तक का कार्यक्रम रहा है। शिमला व कांगड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में मौजूद रही थीं। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री भी अपने-अपने इलाकों से बाहर प्रचार को नहीं निकल पा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ही प्रचार को जा रहे हैं।

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पांच दिन के लिए हिमाचल में है। मतदान से ठीक पहले शीर्ष नेतृत्व प्रचार को गति देगा। देखना होगा कि उनका कितना प्रभाव होगा। अगर प्रदेश कांग्रेस इस प्रचार में एकजुटता से काम कर ले तो निश्चित तौर पर इसका लाभ उसको मिल सकता है।

भाजपा की स्थिति है मजबूत

जहां तक लोस चुनाव की बात है 2014 व 2019 में चारों सीटों पर हार चुकी कांग्रेस की राह अब भी कठिन है। इसका सबसे बड़ा कारण राज्यसभा चुनाव के समय सामने आईं संगठन की कमियां व धरातल पर पकड़ का कमजोर होना है। दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा का संगठन सुनियोजित तरीके से अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए मेहनत कर रहा है। बड़ी बात यह भी है कि कोई फसाद नहीं हुआ।

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