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देश में लोकसभा की एक ऐसी सीट, जिस पर 72 साल से जीत को तरस रही कांग्रेस; फेल हो गईं सभी रणनीति

Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल में से एक है और पहले चुनाव से आज तक उसका जनाधार लगभग सभी क्षेत्रों में बरकरार रहा है लेकिन एक लोकसभा सीट ऐसी भी रही है जिसमें आज तक कांग्रेस कभी जीत नहीं पाई है। पिछले चुनाव में भाजपा के सांसद भी यहां से चुनकर आए थे लेकिन कांग्रेस का खाता नहीं खुला है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Tue, 02 Apr 2024 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 08:13 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: साल 2009 तक इस सीट पर आरएसपी का कब्जा रहा।

चुनाव डेस्क, सिलीगुड़ी। आजाद भारत का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच हुआ। उस वक्त उत्तर बंगाल से केवल तीन लोकसभा सीटें थीं, जो धीरे-धीरे बढ़कर आज आठ हो गई हैं।

इनमें मात्र एक को छोड़ कर बाकी सभी के पहले सांसद कांग्रेसी थे। 1951 में कूचबिहार के पहले सांसद उपेंद्र नाथ बर्मन निर्वाचित हुए। 1952 में मालदा के पहले सांसद सुरेंद्र मोहन घोष और उसी वर्ष 1952 में ही बालुरघाट के पहले सांसद सुशील रंजन चट्टोपाध्याय बने।

दो हिस्सों में बंटी मालदा सीट

इधर, 2009 में मालदा लोकसभा सीट दो भागों में विभक्त हो गई। मालदा उत्तर की पहली सांसद मौसम बेनजीर नूर और मालदा दक्षिण के पहले सांसद अबू हाशेम खान चौधरी निर्वाचित हुए। इससे पूर्व 1957 में दार्जिलिंग के पहले सांसद थ्योडोर मेनन बने। फिर, 1962 में जलपाईगुड़ी के पहले सांसद नलिनी रंजन घोष और उसी वर्ष 1962 में ही रायगंज के पहले सांसद चपलाकांता भट्टाचार्जी हुए।

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उपरोक्त सभी के सभी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ही सांसद थे। इधर, 1977 में गठित अलीपुरद्वार लोकसभा सीट के पहले सांसद पिअस तिर्की निर्वाचित हुए, जो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाममोर्चा के घटक दल रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद थे। वह 1977 से 1991 तक लागातार पांच बार इस सीट से आरएसपी के ही सांसद रहे।

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2014 में जीती टीएमसी

उनके बाद 1996 से 2004 तक लगातार चार बार जोआकिम बाकला और एक बार 2009 में मनोहर तिर्की, दोनों ही आरएसपी के सांसद हुए। 2014 में दशरथ तिर्की की जीत के साथ यह सीट तृणमूल कांग्रेस की हो गई।

गत 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जान बारला यहां के सांसद निर्वाचित हुए। इस अलीपुरद्वार लोकसभा सीट से अब तक एक बार भी कांग्रेस को जीत नहीं मिली है।

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