प्रचंड तपिश और गर्म थपेड़ों के बीच सात चरणों को भेदता हुआ चुनावी रथ गंतव्य तक पहुंच गया। इस बार चुनावी महापर्व में मुद्दों का उजियारा नहीं था, लेकिन हर चरण के साथ चुनावी गियर बदलता रहा। बयानों के तीरों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश से उठी बयार को पूर्वांचल तक पहुंचने से पहले चक्रवात में बदल दिया।राम मंदिर का संकल्प पूरा होने के बाद जीत की आश्वस्त मुद्रा में दिख रही भाजपा में चरण दर चरण बेचैनी बढ़ती गई तो राहुल-अखिलेश के चेहरे पर वक्त पर न जागने की टीस झलकती रही। एनडीए के सबसे बड़े सारथी नरेन्द्र मोदी ने हर चरण में तरकश से नया तीर निकाला।
मोदी ने विपक्ष के ‘संविधान पर संकट’ और ‘आरक्षण खत्म करने वाले’ नैरेटिव की काट में माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर हमला का नैरेटिव सेट कर कांग्रेस गठबंधन को मजबूती से घेरा। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, राहुल गांधी और मायावती के बीच बयानों के तीर से रणक्षेत्र का पारा चढ़ा रहा।
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चौधरी चरण सिंह की साधना से आरंभ
नई दिल्ली में सरकार बनाने का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरता है। भाजपा ने 2014 में यूपी की 80 में से 71 और 2019 में 62 सीटों पर जीत दर्ज कर दिल्ली की डगर आसान की। इसकी पटकथा पश्चिम उप्र के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, कैराना एवं सहारनपुर से लिखी गई। मिशन-2024 को भेदने के लिए भी भाजपा ने यही राह पकड़ी।22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 25 जनवरी को बुलंदशहर में पहली जनसभा की, जबकि आचार संहिता लगने के बाद 31 मार्च को पहली चुनावी रैली मेरठ में की। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के बाद उन्हें समर्पित यह पहली सभा थी, जहां 15 वर्ष बाद भाजपा से हाथ मिलाने वाले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को मंच की अगली पंक्ति में बैठाया गया। मोदी ने भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई का संदेश दिया।
...राहुल-अखिलेश फिल्म दोबारा ‘रिलीज’
पीएम मोदी ने दूसरी जनसभा छह अप्रैल को सहारनपुर में की, जहां उन्होंने ‘अबकी बार 400 पार’ की तान के साथ ही ‘कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप’ बताकर और राहुल गांधी द्वारा ‘शक्ति नष्ट करने’ पर हमला बोलते हुए नारी स्वाभिमान से जोड़कर राष्ट्रीय राजनीति का पारा चढ़ाया। पश्चिम उप्र में इस बार ध्रुवीकरण की धार पर जातीय गोलबंदी हावी रही। मुस्लिम वोटरों के सामने सीमित विकल्प थे, इसलिए पश्चिम की राजनीति नई दिशा में बहती दिखाई पड़ी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम उप्र में अमरोहा और अलीगढ़ में भी सभाएं कीं, जहां से उन्होंने आईएनडीआई गठबंधन पर और राहुल-अखिलेश की जोड़ी को ‘फ्लॉप फिल्म को दोबारा रिलीज करने’ जैसा बताया। स्वभाव के विपरीत पश्चिम उप्र में किसानों के बीच कोई राजनीतिक लहर नहीं उठी।
योगी ने पाकिस्तान तो अखिलेश ने छेड़ा क्यूओ का तार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में 158 जनसभा और 15 प्रबुद्ध सम्मेलन कर हार्डकोर सियासत की धार को तेज रखा। योगी ने हर सभा में अयोध्या में प्रभु रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की बात कही। अयोध्या से लेकर ब्रज की होली तक का जिक्र किया। उन्होंने इस बार पाकिस्तान के बहाने विपक्ष पर कई बार निशाना साधा। कई सभाओं में कहा कि ‘भारत में पटाखा भी फूटता है तो पाकिस्तान बिना देर किए सफाई देता है’। ‘कांग्रेस के घोषणापत्र को औरंगजेब का जजिया कर’ कहा।
पश्चिम उप्र में कहा कि ‘जिनकी गर्मी शांत हो गई, उन्हें फिर न मौका दें’ व ‘विपक्ष अपराधियों की कब्र पर फातिहा पढ़े तो पढ़ने दें’, मेरे बुल्डोजर तैयार हैं... इन्हें पाकिस्तान भी भीख नहीं देगा’...जैसे कई बयान पारा चढ़ाते गए। वहीं आईएनडीआईए के राहुल गांधी ने हर सभा में संविधान की किताब दिखाते हुए इसे बदलने का डर दिखाते हुए वोटरों को साधने का प्रयास किया।राहुल ने मोदी पर निशाना साधते हुए ‘अडानी-अंबानी’ फैक्टर को चुनाव में जिंदा रखा। वहीं, अखिलेश यादव ने बनारस को क्यूटो कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खूब तंज कसा। कहा कि ‘आइएनडीआइए प्रदेश की 79 सीटें जीत रहा, सिर्फ क्यूटो यानी बनारस में लड़ाई है’। पूर्व सीएम मायावती ने मुजफ्फरनगर में कहा था कि ‘हम यहां से मुसलमान को टिकट देना चाहते थे, लेकिन डर की वजह से कोई तैयार नहीं हुआ’।
क्षत्रिय विरोध की लहर से बढ़ी धड़कनें
19 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव से पहले सात अप्रैल को सहारनपुर के ननौता में ठाकुर स्वाभिमान महाकुंभ हुआ, जिसमें निशाने पर भाजपा रही। किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह ने भाजपा को वोट न देने का प्रस्ताव रखा, जिसे समर्थन मिला और भाजपा की धड़कन बढ़ गई। 16 अप्रैल को मेरठ के सरधना के खेड़ा गांव में ठाकुरों की बड़ी पंचायत हुई। इसके बाद में गाजियाबाद, हापुड़ एवं नोएडा होते हुए नाराजगी का असर अलीगढ़ समेत पूर्वांचल तक पहुंचा।
सीएम योगी ने स्वयं जिम्मा संभाला और पश्चिम उप्र के क्षत्रिय बहुल क्षेत्रों में जनसभाएं कर ‘प्राण जाई पर वचन न जाई’ की याद दिलाते हुए समाज को भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया। इस बीच मुजफ्फरनगर के सांसद डॉ. संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच सीधी अदावत ने भाजपा की मुश्किलों को बढ़ाया, लेकिन ठाकुर समाज का आक्रोश दूसरे चरण 26 अप्रैल तक नियंत्रित होने लगा।
उधर, ठाकुरों में उबाल का राजनीतिक लाभ लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 13 अप्रैल को मुजफ्फरनगर के मीरापुर की सभा में कहा कि ‘हम क्षत्रियों का सम्मान करते हैं’। बात यहीं पर नहीं थमी। बसपा ने भी इसे लपका और 14 अप्रैल को पूर्व सीएम मायावती ने मुजफ्फरनगर की रैली में कहा कि ‘हमारे यहां क्षत्रियों का स्वाभिमान सुरक्षित रखा जाएगा, हमने उन्हें टिकट भी दिया है’। हालांकि, बसपा की चुनावी सभाओं में विपक्ष पर आक्रामक हमला बोल रहे आकाश आनंद को ‘परिपक्व होने तक चुनाव से बाहर’ करने का ऐलान कर सभी को चौंका दिया।
मंगलसूत्र से लेकर संविधान पर संकट तक
नरेंद्र मोदी ने दूसरे चरण से पहले कांग्रेस के घोषणापत्र, संपत्ति सर्वे और कर्नाटक सरकार पर ओबीसी में मुस्लिमों को आरक्षण देने को मुद्दा बनाते हुए कहा कि ‘ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे’ व ‘कांग्रेस सरकार आई तो वो मां-बहनों के गोल्ड का हिसाब लेंगे। आपकी संपत्तियों को लेकर ज्यादा बच्चे वालों और घुसपैठियों में बांट देगी’ जिसकी गरमाहट ने यूपी चुनाव की दिशा बदल दी।कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कहा कि ‘मेरी मां ने देश के लिए मंगलसूत्र गंवाया’ तो अन्य कांग्रेसियों ने इसे सांप्रदायिक विभाजन का प्रयास कहते हुए पूछा कि ‘मोदी क्या जानें मंगलसूत्र’। वह नए विषय छेड़कर हर चरण में चुनावी वातावरण बदलते रहे। उधर, आईएनडीआईए गठबंधन ने हर रैली में कहा कि मोदी सरकार आई तो संविधान बदल देगी। आरक्षण खत्म करेगी, जिसको लेकर दलितों एवं ओबीसी वर्ग में बढ़ती सुगबुगाहट ने भाजपा को बेचैन कर दिया।
यह भी पढ़ें -Lok Sabha Election 2024: अंगुली में स्याही, मुस्कुराता चेहरा और आंखों में उम्मीद, मजबूत लोकतंत्र की गवाही हैं ये सुखद तस्वीरेंपूर्वांचल में यह फैक्टर ज्यादा नजर आया। प्रदेश की 17 सुरक्षित सीटों के अलावा बरेली, अमेठी, रायबरेली, पीलीभीत, इटावा, कन्नौज, आंवला, मोहनलाल गंज, कानपुर, लखीमपुर, उन्नाव, बाराबंकी, फैजाबाद, बस्ती, डुमरियागंज, कैसरगंज, गोरखपुर, महराजगंज, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशांबी, मीरजापुर, फूलपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, घोसी, जौनपुर, गाजीपुर समेत कई अन्य सीटों पर बयानों से उपजी गरमाहट में समीकरण पिघलते देखे गए।केंद्रीय मंत्री व सहयोगी नेता अनुप्रिया पटेल, बीएल वर्मा, पंकज चौधरी, महेंद्र नाथ पांडे प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद, दारा सिंह चौहान जैसे सूरमाओं की कड़ी परीक्षा है।
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