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Lok Sabha Election 2024: देश की राजधानी ने 114 सांसद चुने; अटल और मनमोहन दिल्‍ली से नहीं तो कहां से जीतकर बने पीएम?

Lok Sabha Election 2024 इस साल देश में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हैं। दिल्ली सन 1912 से देश की राजधानी है। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन की तमाम प्रमुख हस्तियां यहीं रहती थीं तो आजादी के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्रपति केंद्र सरकार के मंत्री और सभी देशों के राजदूतों सहित अन्य वीवीआईपी भी यहीं से देश की सियासत संभालते रहे हैं लेकिन ...

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Mon, 11 Mar 2024 07:06 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: क्‍या दिल्‍ली से जीतकर कोई पीएम बना?

 संजीव गुप्ता, नई दिल्‍ली। इसे संयोग कहें या दिल्ली का दुर्भाग्य, देश की राजधानी होने के बावजूद इसने देश की सियासत को वजीर तो कई दिए, लेकिन बादशाह एक भी नहीं दे सकी। कहने को तो कई बादशाह ऐसे भी रहे, जिन्होंने दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ा। जीत भी गए, लेकिन बादशाह की कुर्सी तक पहुंचने के लिए किसी अन्य राज्य का ही रुख करना पड़ा।

दिल्ली सन 1912 से देश की राजधानी है। स्वतंत्रता से पहले ब्रिटिश शासन की तमाम प्रमुख हस्तियां यहीं रहती थीं तो आजादी के बाद प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, केंद्र सरकार के मंत्री और सभी देशों के राजदूतों सहित अन्य वीवीआईपी भी यहीं से देश की सियासत संभालते रहे हैं। इसके बावजूद यहां से चुना गया कोई भी सांसद प्रधानमंत्री की कुर्सी तक कभी नहीं पहुंच पाया।

राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री से बड़ा दायित्व नहीं मिल सका

वर्ष 1952 से 2019 तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इसके साथ ही दो बार दिल्ली में उप चुनाव भी हो चुके हैं। वर्ष 1952 में दिल्ली से तीन सांसद चुने गए। वर्ष 1957 में चार जबकि वर्ष 1962 में पांच सांसद लोकसभा में पहुंचे थे। वर्ष 1967 से हर बार सात-सात सांसद चुने जाते रहे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, उप चुनावों को मिलाकर अभी तक दिल्ली से कुल 114 सांसदों को चुना जा चुका है। कमोबेश हर बार ही दिल्ली के लोकसभा क्षेत्रों से जीतकर आने वाले किसी न किसी सांसद को केंद्र सरकार में राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी भी मिलती रही है, लेकिन इससे बड़ा दायित्व कभी नहीं मिल सका।

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यूं तो कहने के लिए भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने नई दिल्ली एवं दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव तो कई बार लड़ा। चुनाव जीते भी, लेकिन यहां से मिली जीत उन्हें प्रधानमंत्री या उप प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा सकी। इन कुर्सियों तक वे तब ही पहुंचे, जब किसी अन्य राज्य से चुनाव जीते या राज्यसभा से चुने गए।

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने, तब वह लखनऊ से सांसद चुने गए थे। डॉ. मनमोहन सिंह 1 अक्‍टूबर 1991 से लगातार पांच बार असम से राज्‍यसभा के सदस्‍ये चुने गए। छठवीं बार राजस्‍थान की राज्‍यसभा के सदस्‍य बनाए गए। 

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दिल्ली से चुनाव जीता, पर PM की कुर्सी तक दूसरे राज्यों से ही पहुंचे

यह सही है कि दिल्ली से चुना गया कोई सांसद आज तक प्रधानमंत्री नहीं बन सका है। प्रधानमंत्री बनने वाले ज्यादातर सांसद उत्तर प्रदेश से रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि दिल्ली एक छोटा सा शहर है और देश की राजधानी भी है। यहां तो वैसे भी प्रधानमंत्री रहते ही हैं। संसद भी यहीं है, जबकि देश के प्रतिनिधित्व के तौर पर जिम्मेदारी के मामले में और भी बहुत से अहम कारकों का ध्यान रखना पड़ता है।

 -जयप्रकाश अग्रवाल, पूर्व सांसद एवं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष

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