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Lok Sabha Election 2024: 33 साल बाद गढ़ बचाने के लिए संघर्ष कर रहे दिग्विजय, कितनी कठिन है चुनौती?

Lok Sabha Election 2024 इस लोकसभा चुनाव में जहां कई पुराने कांग्रेसियों ने लड़ने से इंकार कर दिया है वहीं दिग्विजय सिंह ने जुझारूपन दिखाते हुए मध्य प्रदेश की राजगढ़ सीट से मैदान में उतरने का फैसला किया। इस सीट से उनका पुराना नाता है। लेकिन इस बार चुनावी परिस्थितियां उनके लिए आसान नहीं हैं। जानिए क्या हैं उनके सामने चुनौतियां...।

By Dhananajay Pratap Singh Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 04 May 2024 02:11 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: दिग्विजय सिंह 33 साल बाद राजगढ़ में अपना सियासी किला बचाने के लिए मैदान में हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह अपने राजनीतिक भविष्य की सबसे कठिन परीक्षा से गुजर रहे हैं। राजगढ़ लोस सीट पर जीत उनके सियासी ग्राफ में जान फूंक सकती है, वहीं प्रतिकूल नतीजे डगर मुश्किल कर सकते हैं।

दरअसल, सात दिसंबर 1993 से सात दिसंबर 2003 तक मप्र के सीएम रहने के बाद करीब 20 वर्ष के दौर में दिग्विजय के खाते में उपलब्धि कम, असफलताएं ज्यादा रही हैं। लंबे समय तक चुनावी राजनीति से दूरी रखते हुए वह राज्यसभा सदस्य बने रहे। वापसी के लिए 2019 का लोस चुनाव भोपाल में हार का सबब बना। ऐसे में राजगढ़ से दिग्विजय को बड़ी उम्मीदें हैं।

विवादों से दूरी

दिग्विजय अपने विवादास्पद बोल पर पूरी तरह लगाम लगाए हैं और सनातन के प्रति अपने झुकाव को जताने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सभा के समापन पर वे भारत माता की जय बोलना भूलते नहीं हैं। कांग्रेस के प्रति निष्ठा भी मतदाताओं के एक वर्ग के लिए कारगर है, ऐसे में दिग्विजय याद दिलाते हैं कि उन्हें चुनावी मैदान में उतरने में रुचि नहीं थी, पर पार्टी के आदेश को शिरोधार्य किया है।

दिग्विजय सिंह 33 साल बाद राजगढ़ में अपना सियासी किला बचाने के लिए मैदान में तो हैं, पर उनका मुकाबला हैट-ट्रिक की तमन्ना रखने वाले भाजपा के रोडमल नागर से है। दिग्विजय अपने 50 वर्ष पुराने रिश्ते और सहानुभूति को आजमा रहे हैं, नागर पर क्षेत्र की उपेक्षा के आरोप लगा रहे हैं।

कड़ा है संघर्ष

राजगढ़ सीट पर दिग्विजय की राह आसान नहीं है। राघौगढ़ और चाचौड़ा विस क्षेत्र में तो कांग्रेस का माहौल एकतरफा है, पर राजगढ़ जिले की तरफ बढ़ते समय प्रभाव में कमी आती जाती है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस का कोई बड़ा नेता यहां नहीं पहुंचा है। इधर, सांसद नागर के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव, शिवराज सिंह चौहान सहित कई दिग्गजों ने सभा कर ली है।

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ये हैं मुद्दे

राघौगढ़ किले के ठीक सामने रहने वाली पांचवीं पास राजकुमारी प्रजापति कहती हैं कि रोजगार नहीं हैं, जब गेहूं कटाई होती है तो 150 रुपये मिलते हैं, बाकी समय खाली बैठो। वोट देने के बारे में मौन हैं, पर सरोज जाटव कहती हैं कि अब राजा-महाराजा का समय चला गया। डोगर गांव की लीला बाई सफाई व बिजली की समस्या पर नाराज होती हैं।

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