Lok Sabha Election 2024 बिहार में महागठबंधन की ओर से प्रत्याशियों के एलान के साथ ही चुनावी तस्वीर साफ हो चली है। मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही होगा लेकिन क्या बिहार में तीसरो कोण भी बनने की संभावना है और क्या यह नतीजों पर असर डाल सकता है? जानिए क्या कहता है सियासी समीकरण। पढ़ें रिपोर्ट -
अरुण अशेष, पटना। महागठबंधन में सीट बंटवारे के साथ ही बिहार में लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। 2019 और 2024 के बीच पांच साल का समय भले ही गुजर गया। मगर, चुनावी कोण यथावत है। मतलब इस बार भी राजग और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबले की संभावना है।
राजग के सामने पुराने परिणाम को बचाते हुए सभी 40 सीटों पर जीत की चुनौती है। महागठबंधन को साबित करना है कि सीट बंटवारे में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का निर्णय सही था, क्योंकि लालू पर मनलायक सीटें न देने का आरोप कांग्रेस का है तो राजद के कई बड़े नेताओं का कहना है कि उन्होंने टिकट बंटवारे में दमदार उम्मीदवारों को निराश किया।
हां, तीनों वाम दल प्रसन्न हैं, क्योंकि उन्हें पांच सीटें दी गई हैं। इनमें ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जिनपर कभी राजद की जीत हुई थी या उसका उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा था। फिलहाल महागठबंधन के विभिन्न दलों के बीच एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया गया है। दो लोकसभा चुनावों के बीच कुछ बदलाव भी हुए हैं।
तीसरा कोण बनाने का प्रयास
लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में बदलाव यह है कि तीसरा कोण बनाने का प्रयास इस बार अधिक गंभीर है। सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाके में सक्रिय एआईएमआईएम इस बार 15 प्रत्याशी उतारने जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी ने भी सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है।
शाहाबाद के बक्सर और सासाराम में बसपा का थोड़ा प्रभाव है। लेकिन, अब तक उसे किसी सीट पर सफलता नहीं मिल पाई है। बसपा को कुछ ऐसे पूर्व सांसद उम्मीदवार के रूप में उपलब्ध हो सकते हैं, जिन्हें बेटिकट कर दिया गया है।
पिछली बार एआईएमआईएम एकमात्र किशनगंज में तीसरा कोण बना पाई थी। इस बार उसने क्षेत्र का विस्तार किया है। 15 सीटों पर प्रत्याशी उतारने जा रही है। ऐसे में एक से अधिक क्षेत्रों में तीसरा कोण बना सकती है।
इन सीटों पर AIMIM ने उतारे प्रत्याशी
पार्टी ने सीमांचल की चार लोकसभा सीटों- किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया के अलावा दरभंगा, भागलपुर, काराकाट, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर, उजियारपुर, पाटलिपुत्र, समस्तीपुर, सीतमाढ़ी और वाल्मीकिनगर से भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इनमें से किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सीतमढ़ी और वाल्मीकिनगर से राजग की तरफ से जदयू के उम्मीदवार हैं।
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काराकाट से रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा और गया से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी चुनाव लड़ रहे हैं। बाकी सीटें भाजपा के पास हैं। तीसरा कोण बनाने में एआइएमआइएम को तभी सफलता मिल सकती है, जब राजद के मुस्लिम-यादव समीकरण में तकरार हो। ऐसा नहीं होने पर सभी क्षेत्रों में सीधा मुकाबला होगा।जाति आधारित गणना के बाद से माय समीकरण के मुस्लिम वाले हिस्से में यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि उन्हें भी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी मिले। उनकी जनसंख्या 17 प्रतिशत से अधिक है। एआइएमआइएम भी इस मांग पर जोर दे रहा है। महागठबंधन कह रहा कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बिखराव हुआ तो राजग को लाभ हो जाएगा।
तीसरा कोण इसी पर निर्भर करता है कि अल्पसंख्यक मतदाता महागठबंधन और एमआइएम में किसकी व्याख्या पर भरोसा करता है। क्योंकि महागठबंधन लगातार एमआइएम को भाजपा की बी टीम बता रहा है।
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2019 में कहां बना था तीसरा कोण
पिछले चुनाव में किशनगंज और बेगूसराय को छोड़कर कहीं प्रभावकारी तीसरा कोण नहीं बन पाया था। किशनगंज में कांग्रेस, जदयू और एआइएमआइएम के बीच तथा बेगूसराय में भाजपा, भाकपा और राजद के बीच वोटों का विभाजन हुआ था। अन्य सभी क्षेत्रों में तीसरा कोण बनाने का प्रयास 50 हजार से एक लाख वोटों के बीच सिमट गया।वाल्मीकिनगर में जदयू की जीत हुई। कांग्रेस को दूसरा और बसपा को तीसरा स्थान मिला था। मधेपुरा में जन अधिकार पार्टी के संस्थापक राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव को 97 हजार से कुछ अधिक वोट मिला। लेकिन, जीतने वाले उम्मीदवार को छह लाख 24 हजार वोट आया था। सिवान में जदयू, राजद और भाकपा माले के बीच त्रिकोणीय संघर्ष जरूर हुआ, लेकिन माले को एक लाख से कम वोट मिला।
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