Move to Jagran APP

हरियाणा में बिखराव के कगार पर दुष्यंत चौटाला की पार्टी; क्या अब एक साथ आएंगे इनेलो-जजपा?

Lok Sabha Election 2024 इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अलग होकर बनी दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (जजपा) अब बिखराव पर है। लगातार उसके नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं। जजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। हरियाणा में भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद लगता है कि जजपा पर ग्रहण लग गया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 10 Apr 2024 07:10 AM (IST)
Hero Image
लोकसभा चुनाव 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बिखराव पर दुष्यंत चौटाला की पार्टी।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के साथ साढ़े चार साल तक सरकार चलाने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) अब बिखराव की ओर बढ़ चली है। जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह, राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी और पूर्व विधायक सतविंदर राणा के पार्टी छोड़ने के बाद कई मौजूदा विधायक दल-बदल करने को तैयार बैठे हैं।

इनेलो से टूटकर बनी थी जजपा

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में टूट के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का जन्म हुआ था। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला जेजेपी के संस्थापक नेताओं में शामिल हैं, जबकि छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में इनेलो की बागडोर है।

जजपा ने आप के साथ लड़ा था लोकसभा चुनाव

इनेलो से अलग होने के बाद जेजेपी ने साल 2019 में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा था। जेजेपी ने सात और आम आदमी पार्टी ने तीन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन कांग्रेस, आप, जेजेपी और इनेलो के प्रत्याशियों को मात देते हुए भाजपा ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की थी।

विस चुनाव में जजपा को मिली थीं 10 सीटें

2019 में ही हुए विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भाजपा के साथ सरकार चलाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने। इन साढ़े चार साल के कार्यकाल में जेजेपी के आधा दर्जन विधायक न केवल भाजपा के रंग में रंगते चलते गए, बल्कि मौका मिलने पर किसी भी समय भगवा चोला धारण करने को तैयार बैठे हैं। कुछ विधायक कांग्रेस के साथ पींगें बढ़ा रहे हैं। उन्हें जहां फायदा नजर आएगा, उस दल में कूद जाएंगे।

किसी भी वक्त पाला बदल सकते ये नेता

भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जेजेपी में जबरदस्त तरीके से सेंधमारी की। इसका असर यह हुआ कि जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह समेत कई नेता दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ चुके हैं।

यह भी पढ़ें: कौन होते हैं स्‍पेशल ऑब्‍जर्वर, चुनाव में क्या होती है इनकी भूमिका; आयोग क्यों करता है तैनाती

जेजेपी के 10 विधायकों में शामिल पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, रामनिवास सुरजाखेड़ा, चौधरी ईश्वर सिंह और जोगी राम सिहाग किसी भी समय दल बदल कर सकते हैं। देवेंद्र बबली बहुत पहले से मनोहर लाल के भरोसे में हैं।

दुष्यंत ने लिखा- जब जंग अपनों से हो तो...

जेजेपी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाते पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला द्वारा अपनी पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने के सारे प्रयास फेल हो चुके हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन के सूत्रधार रहे कैप्टन मीनू बैनीवाल भी कल भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। इससे निराश, दुष्यंत चौटाला को अपने एक्स हैंडल पर लिखना पड़ा कि जब जंग अपनों से हो तो हार जाना अच्छा होता है।

क्या एक होंगे जजपा और इनेलो?

इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला और जेजेपी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाते दुष्यंत चौटाला के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों ही ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के दावेदार बनते हैं। बदली परिस्थितियों में जेजेपी अध्यक्ष अजय चौटाला ने संकेत दिए कि यदि इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला चाहें तो इनेलो व जेजेपी एक हो सकते हैं, लेकिन साढ़े चार साल तक सत्ता सुख भोगने के बाद जेजेपी को इनेलो के साथ जोड़ने के लिए अभय चौटाला तैयार नहीं हैं।

यह भी पढ़ें: हरियाणा में बदलने लगी माननीयों की निष्ठा; अब तक ये नेता बदल चुके पाला, सबसे ज्‍यादा किस पार्टी से हुई विदाई?