100 वर्षीय बुजुर्ग का डाक से मतदान कराने के लिए अफसरों की टीम ने किया 107 किमी का सफर, घर को बनाया मतदान केंद्र
Lok Sabha Election 2024 लोकतंत्र सफल तभी होता है जब एक-एक व्यक्ति मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेता है। चुनाव आयोग यह बात भली-भांति समझता है इसलिए 100 वर्षीय बुजुर्ग के एक वोट के लिए आयोग की टीम कठिनाइयों को पार कर और दुर्गम रास्तों से गुजरकर उनका मतदान कराने पहुंची। पढ़ें लोकतंत्र की सुखद तस्वीर बयां करती ये रिपोर्ट. . . .
चुनाव डेस्क, नई दिल्ली।'लोकतंत्र में एक-एक वोट कीमती होता है', चुनाव आयोग भी इस बात को भलीभांति समझता है और इस दिशा में निरंतर जुटा रहता है। आयोग ने फिर एक बार साबित किया है कि वह हर एक वोट तक पहुंचने के लिए किसी भी मुश्किल परिस्थिति से गुजरने को तैयार है। बुधवार को आयोग के अफसरों की टीम 107 किलोमीटर का दुर्गम सफर तय करके 100 वर्षीय बुजुर्ग किष्टय्या मदारबोयना के घर उनका मतदान कराने के लिए पहुंची थी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किष्टय्या दक्षिण गढ़चिरोली के सिरोंचा के रहने वाले हैं। गौरतलब है कि यह इलाका नक्सल प्रभावित है और माओवादियों का गढ़ माना जाता है। आयोग की यह पहल इसलिए खास रही की पहली बार नक्सलियों के इस गढ़ में मतदान कराया गया।
107 किमी की यात्रा
किष्टय्या के घर तक पहुंचना आयोग के लिए आसान नहीं था। इसके लिए अफसरों की एक टीम को नक्सलियों से घिरे हुए क्षेत्र में 107 किलोमीटर की लंबी यात्रा करनी पड़ी। इसके बाद उनका मतदान कराने के लिए 45 मिनट के लिए उनके घर को मतदान केन्द्र में तब्दील कर दिया गया। यहां उन्होंने डाक मतपत्र के जरिए अपना वोट डाला।
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किष्टय्या की दृष्टि धुंधली हो चली है और उनके अंग भी कांपते हैं, लेकिन मतदान करने को लेकर उनका उत्साह लोगों के लिए प्रेरणादायक बन गया है। उन्होंने अपना वोट डालने के बाद आयोग के अधिकारियों को सीलबंद लिफाफा सौंपा। डाला गया यह डाक मतपत्र काउंटिंग के दिन खोला जाएगा।
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इनके लिए सुविधा
बता दें कि चुनाव आयोग ने दिव्यांगजनों, 85 वर्ष से अधिक उम्र, कोविड से प्रभावित एवं बूथ तक पहुंचने में अन्य असमर्थ लोगों के लिए डाक मतपत्र से वोट करने की सुविधा शुरू की है। इस योजना के जरिए आयोग सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी नागरिक वोट देने से वंचित न रह जाए।
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