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Lok Sabha Election 2024: कौन-सी शिवसेना से हो? विरासत बनाम विचार की जंग फिर भी परेशान! 20 को मुंबई करेगी फैसला कौन है 'गद्दार'

Lok Sabha Election 2024 महाराष्ट्र की सियासत में असली शिवसेना को लेकर छिड़ी जंग अब तेज हो चली है। उद्धव गुट बागी एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ बताकर मराठीभाषियों की सहानुभूति एवं वोट हासिल करना चाहता है तो शिंदे गुट स्व. बालासाहब ठाकरे की वैचारिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा कर रहा है। अब इस बात का फैसला मुंबईवासी ही करेंगे कि ‘गद्दार’ कौन है!

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Tue, 14 May 2024 12:16 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: मुंबई और ठाणे की पांच सीटों पर उद्धव और शिंदे गुट का सीधा मुकाबला है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। हाल ही में शिवसेना (उद्धव गुट) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने मुंबई के उपनगर घाटकोपर में अपनी पार्टी का प्रचार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर हमला बोल दिया। उन्होंने दीवार फिल्म के एक डायलाग की तर्ज पर मुख्यमंत्री के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे का नाम लेते हुए कहा - श्रीकांत शिंदे को अपने माथे पर लिखवाना चाहिए कि, ‘मेरा बाप गद्दार है’।

उन्होंने जून 2022 में शिवसेना के विभाजन की याद दिलाते हुए मुख्यमंत्री से सवाल किया कि ‘आप कौन हैं एकनाथ शिंदे ? आप क्या हैं एकनाथ शिंदे ? आप एक गद्दार के अलावा कुछ नहीं हैं’। प्रियंका चतुर्वेदी पहली नेता नहीं हैं एकनाथ शिंदे एवं उनके साथियों को गद्दार कहने वाली। उन्हीं की पार्टी के उनसे बड़े नेता संजय राउत, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे शिवसेना से बगावत करने वाली टीम शिंदे को लगातार गद्दार कहते रहे हैं। 

‘50 खोखे (करोड़), ओके ओके’

‘50 खोखे (करोड़), ओके ओके’ कहकर चिढ़ाते और अपमानित करते रहे हैं। अब चुनाव के दिनों में यह सिलसिला और तेज हो गया है, क्योंकि शिवसेना (उद्धव गुट) को लगता है कि शिवसेना (शिंदे गुट) को गद्दार सिद्ध करके ही मुंबई और ठाणे के मराठी मानुष की सहानुभूति हासिल की जा सकती है। खासतौर से मुंबई और ठाणे की उन पांच सीटों पर, जहां उसका सीधा मुकाबला शिवसेना शिंदे गुट से हो रहा है।

करीब दो साल पहले शिवसेना में हुए विभाजन के बाद से ही शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा दो अलग-अलग विचार प्रचारित किए जा रहे हैं। उद्धव गुट बागी एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ बताकर मराठीभाषियों की सहानुभूति एवं वोट हासिल करना चाहता है, तो शिंदे गुट स्व. बालासाहब ठाकरे की वैचारिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा कर रहा है। जैसे-जैसे मुंबई और ठाणे में मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, दोनों गुटों के एक-दूसरे पर हमले भी तेज होते जा रहे हैं।

विचारधारा पर दावा

बगावत के कुछ दिन बाद तक ठाकरे परिवार पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करने से बचने वाले एकनाथ शिंदे ने 2022 की दशहरा रैली से ही उद्धव पर खुलकर हमला बोलना शुरू कर दिया था। वह 2019 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाते हुए कहते हैं कि वह चुनाव तब की अविभाजित शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन करके लड़ा और चुनाव परिणाम आते ही सिर्फ मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे अपनी 25 साल पुरानी वैचारिक सहयोगी भाजपा से गद्दारी करके कांग्रेस और राकांपा की गोद में जा बैठे। इसलिए गद्दार वह हैं, ना कि हम।

शिंदे यह भी बार-बार याद दिलाते हैं कि बालासाहब ठाकरे ने जिन विचारों को लेकर शिवसेना की स्थापना की और हिंदुत्व के जिन विचारों के साथ आगे बढ़ते रहे, उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की उस विचारधारा को तिलांजलि दे दी है। उनके असली विचारों को लेकर तो हम ही आगे बढ़ रहे हैं।

संयोग से शिंदे के इस दावे को उनके पक्ष में आए चुनाव आयोग एवं विधानसभा अध्यक्ष के फैसलों ने भी पुष्टि ही की है। इन दोनों फैसलों में शिवसेना के नाम एवं चुनाव चिह्न पर शिंदे गुट को ही अधिकार प्रदान किया गया है।

'नकली शिवसेना'

अब तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी महाराष्ट्र की रैलियों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को ‘नकली शिवसेना’ कहकर संबोधित करते सुनाई देते हैं, जबकि प्रदेश भाजपा के नेता शिवसेना में विभाजन के बाद से ही यह कहकर खुद को इस विवाद से अलग रखते आए हैं कि शिवसेना में हुई बगावत से उनका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने तो बगावत के बाद एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनवाने की पहल की थी।

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अब जिस प्रकार दोनों शिवसेनाओं के नेता एक-दूसरे को गद्दार बता रहे हैं, उसी प्रकार इन नेताओं के समर्थक एवं शिवसैनिक भी वैचारिक तौर पर बंटे दिखाई दे रहे हैं। जो लोग 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे के कांग्रेस और राकांपा के साथ जाकर सरकार बनाने को गलत मानते हैं, ऐसा वैचारिक आधार रखने वाले लोग आज शिंदे के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं, लेकिन जिनकी आस्था हर हाल में ‘ठाकरे परिवार’ के साथ है, वे उद्धव के साथ दिख रहे हैं।

मुंबई करेगी फैसला!

हालांकि, इनमें भी कुछ लोग अनिर्णय की स्थिति में हैं। इनको प्रभावित करने की जिम्मेदारी मनसे प्रमुख राज ठाकरे की है, जो राजग संग हैं। हालांकि, इस बात का फैसला तो 20 मई को मुंबईवासी ही करेंगे कि ‘गद्दार’ कौन है!

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