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Lok Sabha Election 2024: ममता के गढ़ में कमल खिलाने को बेताब भाजपा, TMC से माला राय तो माकपा ने नसीरुद्दीन शाह की भतीजी को उतारा

Lok Sabha Election 2024 कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस का दबदबा रहा है। मगर इस बार भाजपा यहां कमल खिलाने को बेताब है। दो लोकसभा चुनाव से यहां भारतीय जनता पर्टी का जनाधार बढ़ा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सांसद माला राय को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने सांसद देबश्री चौधरी को उतारा है। माकपा ने सायरा शाह को टिकट दिया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 28 May 2024 04:40 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: ममता के गढ़ में कमल खिलाने को बेताब भाजपा।
चुनाव डेस्क, सिलीगुड़ी। लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें व अंतिम चरण में आगामी एक जून को बंगाल के नौ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होने जा रहा है। उनमें एक कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र बहुत ही अहम क्षेत्र है। एक तो यह राज्य की राजधानी का क्षेत्र है। वहीं, यह बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की संसदीय राजनीति का गढ़ माना जाता है। एक, दो नहीं बल्कि लगातार छह बार वह यहां की सांसद रह चुकी हैं।

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कब-कब ममता ने लोकसभा चुनाव जीता

1991-96, 1996-98, 1998-99, 1999-2004, 2004-09 और 2009-2011 तक, लगातार छह बार ममता बनर्जी कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होती रहीं। मगर, 2009 से 2014 की लोकसभा के कार्यकाल के बीच में ही 2011 में सांसद पद से इस्तीफा देकर वह दिल्ली से वापस कोलकाता लौट आईं, क्योंकि, 2011 में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इतिहास रच दिया था।

34 वर्षों से सत्ता में काबिज माकपा को सत्ता से हटाया था

वर्ष 1977 से 2011 तक, लगातार 34 वर्षों तक काबिज माकपा नीत वाममोर्चा को पश्चिम बंगाल की सत्ता से बेदखल कर दिया था व खुद काबिज हो गई थी और अब तक काबिज ही है। उस समय यानी 2011 में ममता जब सांसद पद से इस्तीफा देकर यहां बंगाल आईं तो बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लीं। हालांकि, उस समय वह निर्वाचित विधायक नहीं थीं।

भवानीपुर से ममता ने जीता था विधानसभा चुनाव

खैर, नियमानुसार मुख्यमंत्री पद पर छह महीने से अधिक समय के लिए बने रहने के लिए उन्हें अगले छह महीने के अंदर बंगाल भर में कहीं न कहीं से विधायक निर्वाचित होना जरूरी था। तब, भवानीपुर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सुब्रत बख्शी ने इस्तीफा दे दिया। वह सीट खाली हुई और उसका उपचुनाव हुआ। उसमें ममता बनर्जी भारी मतों से विजयी हुईं।

तीन बार ली सीएम पद की शपथ

2011 में, 2016 में और 2021 में, कुल मिला कर लगातार तीन बार वह बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लीं। अभी भी बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। 2011 में सांसद पद से ममता बनर्जी के इस्तीफा दे देने के चलते जो कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट खाली हुई तो उसी वर्ष उसका उपचुनाव हुआ। उसमें तृणमूल कांग्रेस की ओर से पार्टी के महासचिव वही सुब्रत बख्शी खड़े हुए और सांसद निर्वाचित हुए जिन्होंने ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बने रहने हेतु विधायक निर्वाचित होने के लिए भवानीपुर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है संसदीय क्षेत्र

वही सुब्रत बख्शी तृणमूल कांग्रेस के ही टिकट पर दोबारा 2014 में भी इसी सीट से सांसद निर्वाचित हुए। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से कोलकाता नगर निगम की चेयरपर्सन माला राय को टिकट दिया और वह सांसद निर्वाचित हुईं। उन्हीं को दोबारा इस लोकसभा चुनाव 2024 में भी इसी सीट से तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। उनके जवाब में भाजपा ने उत्तर बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के रायगंज की अपनी सांसद व केंद्र की द्वितीय मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री देवश्री चौधरी को खड़ा किया है।

भूमिपुत्र बनाम बाहरी का मुद्दा हुआ हावी

उत्तर बंगाल के दक्षिण दिनाजुपर जिला के बालुरघाट मूल की देवश्री चौधरी उत्तर बंगाल के ही उत्तर दिनाजपुर जिला के रायगंज लोकसभा क्षेत्र से दोबारा इस बार सांसद उम्मीदवार नहीं हुईं क्योंकि एक तो उनके खिलाफ क्षेत्र में न आने और कुछ काम न करने का लोगों में रोष था दूसरे भूमिपुत्र बनाम बाहरी का मुद्दा भी हावी हो गया था। इसीलिए वह कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र चली गईं।

माकपा ने सायरा शाह को उतारा

इस सीट से कांग्रेस और माकपा नीत वाममोर्चा गठबंधन ने माकपा की ओर से सायरा शाह हलीम को मैदान में उतारा है। वह बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की भतीजी हैं। वर्ष 2022 के बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के बाबुल सुप्रीयो के विरुद्ध माकपा की ओर से चुनाव लड़कर हार के बावजूद वह सुर्खियों में आई थीं। इसलिए कि वह दूसरे स्थान पर रही थीं और भाजपा की केया घोष को तीसरे स्थान पर कर दिया था।

क्या है राजनीतिक समीकरण ?

कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो तृणमूल कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आता है, क्योंकि, इसके अंतर्गत सभी सात विधानसभा क्षेत्रों कस्बा, बेहाला पूर्व, बेहाला पश्चिम, कोलकाता पोर्ट, भवानीपुर, रासबिहारी व बालीगंज सब पर तृणमूल कांग्रेस का ही कब्जा है।

2019 में भाजपा ने चंद्र कुमार बोस को उतारा था

2019 के लोकसभा चुनाव में तो भाजपा ने महान स्वतंत्रता सेनानी नेता जी सुभाषचंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस को खड़ा किया था लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस की माला राय के आगे डेढ़ लाख से भी अधिक वोटों से हार गए। वहीं, बाद में उन्होंने भाजपा से भी इस्तीफा दे दिया। उससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल के अपने दिग्गज नेता तथागत राय को इस सीट से खड़ा किया था लेकिन वह भी तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी से सवा लाख से अधिक वोटों से पराजित हो गए।

दूसरे नंबर पर रही भाजपा

2011 के लोकसभा उपचुनाव में माकपा ने इस सीट से अपने प्रभावशाली युवा नेता ऋतब्रत बनर्जी को खड़ा किया था लेकिन वह तृणमूल के सुब्रत बख्शी से सवा दो लाख से अधिक वोटों से मात खाए। इन सबके बावजूद, बीते 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव को देखें तो कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट भले ही तृणमूल कांग्रेस जीती है लेकिन भाजपा दोनों बार दूसरे नंबर पर रही है।

भाजपा कमल खिलाने को बेताब

भाजपा का मतदान प्रतिशत भी काफी बढ़ा है। ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में इस सीट पर मुख्य मुकाबला तृणमूल बनाम भाजपा ही है लेकिन कांग्रेस व माकपा नीत वाममोर्चा गठबंधन को कमतर नहीं आंका जा सकता है। वैसे, ममता बनर्जी के गढ़ कोलकाता दक्षिण में अपना कमल खिलाने को भाजपा भी कम बेताब नहीं है। अब आगे क्या होगा? यह तो आगामी एक जून को सातवें व अंतिम चरण के मतदान द्वारा तय होगा जिसका पता चार जून को देशभर के जनादेश के साथ लगेगा।

कौन-कौन हैं चुनावी मैदान में

लोकसभा चुनाव-2024 में कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट से, तृणमूल कांग्रेस ने इसी सीट की अपनी सांसद माला राय को दोबारा उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने उत्तर बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट की निवासी और उत्तर दिनाजपुर के रायगंज की सांसद देबश्री चौधरी को खड़ा किया है। वहीं, कांग्रेस और माकपा नीत वाममोर्चा गठबंधन ने माकपा की ओर से सायरा शाह हलीम को मैदान में उतारा है। कुल मिला कर 17 उम्मीदवार ताल ठोके रहे हैं।

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