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क्या अमेठी से गांधी परिवार का मोहभंग? 25 साल बाद चुनावी मैदान में नहीं है कोई सदस्य, जानिए अब तक तक कौन-कौन रहा सांसद?

Amethi Lok Sabha Election 2024 सस्पेंस खत्म करते हुए कांग्रेस ने आखिरकार अमेठी से अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया लेकिन पार्टी ने राहुल की जगह केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाकर चौंका भी दिया। इसी के साथ अमेठी में 25 साल बाद बिना गांधी परिवार के चुनाव होने जा रहा है। जानिए अब तक क्या रहा है इस संसदीय क्षेत्र का इतिहास।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 03 May 2024 02:04 PM (IST)
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Amethi Lok Sabha Election: 2019 में स्मृति ईरानी ने अमेठी से गांधी परिवार के जीत का सिलसिला खत्म किया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेठी से गांधी परिवार का पुराना नाता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहां से परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार न बनाकर सबको चौंकाया है। इस बार पार्टी ने केएल शर्मा को यहां से प्रत्याशी बनाया है, जोकि गांधी परिवार के करीबी हैं और काफी सालों से अमेठी, रायबरेली में पार्टी की रणनीति संचालित कर रहे हैं।

केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद ये साफ हो गया कि गांधी परिवार से कोई भी अमेठी में चुनाव नहीं लड़ेगा। ऐसे में बीते 25 सालों में यह पहला मौका होगा, जब परिवार का कोई भी सदस्य अमेठी से चुनाव मैदान में नहीं है। इससे पहले संजय गांधी से लेकर राजीव गांधी, सोनिया और फिर राहुल गांधी यहां से सांसद रह चुके हैं।

गांधी परिवार का दबदबा

साल 1967 में अस्तित्व में आने के बाद से ही यह सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में गिनी जाने लगी और बाद में गांधी परिवार का पर्याय बन गई। शुरुआती दो चुनाव में कांग्रेस के विद्या धर बाजपेयी यहां से सांसद चुने गए थे। हालांकि 1977 में इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन तीन साल बाद ही उन्होंने रवींद्र को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया।

संजय गांधी की मृत्यु के बाद उनके भाई राजीव गांधी ने 1981 में हुए उपचुनाव में यहां से चुनाव लड़ा और 2 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। इसके बाद वह लगातार 1991 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे, लेकिन उसी वर्ष उग्रवादी समूहों की ओर से की गई उनकी हत्या के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। इसमें सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी सतीश शर्मा ने जीत हासिल की।

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1999 से लगातार कब्जा 

सतीश शर्मा ने 1996 में भी यहां से चुनाव जीता, लेकिन 1998 में उन्हें भाजपा के संजय सिंह के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। यह आखिरी मौका था, जब कोई गैर-गांधी अमेठी से चुनावी मैदान में था। 1999 में यहां से सोनिया गांधी के बड़े अंतर से जीत हासिल करने के बाद 2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीन बार सांसद चुने गए।

स्मृति ईरानी ने भेदा किला

कांग्रेस और गांधी परिवार के अमेठी के किले को 2019 में ध्वस्त किया स्मृति ईरानी ने, जब उन्होंने 55,000 से अधिक मतों के अंतर से राहुल गांधी को मात दी थी। इस बार कांग्रेस ने सीट पर प्रत्याशी को लेकर काफी समय से सस्पेंस बनाकर रखा था और नामांकन के अंतिम दिन ऐन मौके पर केएल शर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया। ऐसे में 25 साल बाद फिर अमेठी में बिना गांधी परिवार से सदस्य के चुनाव होने जा रहा है।

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