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Lok Sabha Election 2024: '...केकरो वोट देब, काहें बताउब', मतदान के बाद बोलीं चाची; पढ़िए झारखंड में कैसा रहा मतदान

Lok Sabha Election 2024 लोकतंत्र के महायज्ञ में मतदाता बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और अपने मतदान की आहूति दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी मतदान को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। बच्चे बुजुर्ग युवा महिलाएं सभी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। झारखंड के गांवों में भी कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला। पढ़िए खास ग्राउंड रिपोर्ट...

By sanjay krishna Edited By: Sachin Pandey Updated: Tue, 14 May 2024 04:19 PM (IST)
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Lok Sabha Election: सोमवार को चौथे चरण का मतदान संपन्न हुआ है। (सांकेतिक तस्वीर)
संजय कृष्ण, रांची। सुबह के ठीक सात बजे हैं और मांडर के राजकीय मध्य विद्यालय में कतारें लग गई हैं। यहां 900 के करीब मतदाता हैं। बूथ मुस्लिम बहुल था। इसलिए, इनकी संख्या भी यहां दिख रही थी। 1875 के इस विद्यालय में पहली बार मतदान करने आईं रुखसार परवीन काफी उत्साहित दिखीं। कहा, 'पहली बार मतदान करने आई हूं। मेरे सामने रोजगार का सवाल है।'

लुकमान अंसारी भी कतार में लगे हैं। कहते हैं, 'रफ्तार धीमी है। सुबह छह बजे से लाइन में लगे हैं।' विनोद सिंह अपनी पत्नी संग मतदान कर निकले तो बोले, 'देखिए, यहां आप समझ ही रहे हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा दो दल हैं।' वोट देकर स्कूटी से निकल रहे बाशिद अंसारी दो टूक कहते हैं, 'हवा हवा है। हमने पंजे पर मुहर लगाई है।'

'केकरो देब, काहे बताउब'

मांडर रांची जिले में है और इसका लोकसभा क्षेत्र लोहरदगा है। चान्हो के टांगर में भी लाइन लगी थी। यहां भी उत्साह कम नहीं था। विराज देवी 70 साल की हैं। वोट देने के सवाल पर कहती हैं, 'केकरो देब, काहे बताउब।' बहुत मनुहार के बाद धीरे से फुसफसाती हैं- 'फूल'।

गदरू उरांव कहते हैं, 'इधर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है।' कुडू प्रखंड का राजकीयकृत बालिका मध्य विद्यालय, टाकू में झारखंडी संस्कृति की झलक दिखी। स्कूल चमक रहा था। दीवारों बोल रही थीं। कुडुख में लिखा था - 'प्रकृति परब खाद्दी नु निमहय बुथ नु स्वागत ननदम।' यानी, सरहुल थीम पर आधारित बूथ पर स्वागत है।

अमर बलिदानी के गांव में दिखा उत्साह

1857 के अमर बलिदानी पांडेय गणपत राय के गांव भैरों में उत्साह था। भैरों नदी पार कर गांव पहुंचे। यहां कई बूथे थे। पंचायत भवन के बूथ पर 773 मतदाता थे। यहां चार सौ मत पड़ चुके थे। उमेश प्रजापति कहते हैं, यहां लिंडा और फूल है। इसी गांव में 89, 90, 91 व 92 नंबर बूथ थे। सभी पर काफी संख्या में मतदान हुआ।

यहां कभी चलता था फरमान

खरता आदिवासी बहुल इलाका है। यहां करीब 1169 मतदाता हैं। यहां तीस के करीब घर टाना भगतों के घर हैं। गांव के अमर साहू रांची में व्यवसाय करते हैं। मतदान करने गांव आए थे। बोले, दस साल पहले यहां माओवादियों की तूती बोलती थी। 2004 में एमसीसी ने फरमान जारी कर दिया था कि जो पहला वोट देगा, उसकी उंगली काट दी जाएगी।

रीमा देवी कहती हैं, आठ बजे से आए हैं, 11 बज गए हैं। सावित्री टानाभगत कहती हैं, यहां पानी की बड़ी समस्या है। नल जल योजना से टंकी बन गई है, लेकिन तीन महीने से चालू नहीं हुआ। किसी तरह कुएं का पानी हम लोग पीते हैं।

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बेड़ो में किसका बेड़ा पार

लोहरदगा से फिर हम रांची जिले में चले आए। मांडर से होते हुए बेड़ो की ओर से लौटना हुआ। चार बज गए थे। यहां इक्का-दुक्का लोग आ रहे थे। यहां एक ही जगह तीन बूथ थे। कुछ पर लाइन लगी थी। कुछ पर दो-चार लोग खड़े थे। यहां 231, 232, 233 बूथ संख्या थी। यहां साठ प्रतिशत से ऊपर मतदान हो चुका था।

बेड़ो में किसी बेड़ा पार होगा, कहना मुश्किल है। पर, दबी जुबान फूल की बात कर रहे हैं। सड़कों और बूथों की खाक छानने के बाद लगा कि मुकाबला तो कड़ा है। मतदाता इशारों-इशारों में बात करते हैं। फूल वालों में मुखरता है, लेकिन पंजा और लिंडा के मतदाता बोलने से परहेज कर रहे थे।

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