Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Lok Sabha Election 2024: चुनावी रंग में रंगा ‘मिनी इंडिया’, साढ़े सात हजार फीट की ऊंचाई पर ऐसे हो रहा है प्रचार

Lok Sabha Election 2024 मिनी इंडिया कहे जाने वाले उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र में चुनाव का पर्व उत्साह से मनाया जा रहा है। यहां सबसे सुखद है चुनाव आयोग की मेहनत जो वोट से राष्ट्र निर्माण का संदेश दे रहा है। जहां पूरा देश कम मतदान को लेकर चिंतित है वहीं पिछले चुनावों में यहां 80% औसत मतदान रहा।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 25 Apr 2024 11:38 AM (IST)
Hero Image
Lok Sabha Election 2024: दार्जिलिंग सीट में मतदान औसत 80 प्रतिशत के आसपास है।

भारतीय बसंत कुमार, कलिम्पोंग। यह दार्जिलिंग, तिस्ता, घूम, लेपचू और कलिम्पोंग जैसे दुरूह पहाड़ी क्षेत्र का चुनाव है, जहां ‘मिनी इंडिया’ बसता है। यानी सिक्किमी, नेपाली, बिहारी, बंगाली, मारवाड़ी, जैन, पंजाबी, गुजराती, आदिवासी और अन्य बिरादरी की मिश्रित आबादी।

अमित शाह चाहकर भी खराब मौसम की वजह से पहाड़ पर आ नहीं सके। मोबाइल से संबोधन हुआ। पीएम नरेन्द्र मोदी की भी पहाड़ पर कोई सभा नहीं हुई पर उनके प्रचार का पहाड़ ‘फेरि मोदी फेरि राजू’ के पोस्टर से अटा पड़ा है। सबसे सुखद है चुनाव आयोग की मेहनत। जगह-जगह बड़े होर्डिंग्स लगे हैं- ‘मेरो छ भोटशक्ति भोट दिन्छु देश बनाऊंछु’ यानी वोट शक्ति से राष्ट्र निर्माण का यह संदेश ही लोकतंत्र में आमजन की प्रतिबद्धता है।

मतदान के लिए लोगों का उत्साह

साढ़े सात हजार फीट की ऊंचाई पर हर जगह लगा निर्वाचन आयोग का यह पोस्टर गौरव बोध से भर देता है। शायद यही वजह है कि जहां कम मतदान को लेकर पूरा देश चिंतित है, वहीं वर्ष 2009, 2014 या 2019 के मतदान का आंकड़ा इस पहाड़ी क्षेत्र वाली दार्जिलिंग सीट में देखें तो औसत 80 प्रतिशत के आसपास है।

पहाड़ पर प्रचार का रूप-रंग निराला है। किसी के लिए संभव नहीं कि वह डोर-टू-डोर प्रचार कर सके। यहां भाजपा, तृणमूल और कांग्रेस के बीच की लड़ाई में प्रचार का बोझ स्थानीय गोरखा पार्टियां और उनके युवा वर्कर उठा रहे हैं। सीधे इन राष्ट्रीय पार्टियों का नेटवर्क कम है।

पोस्टर से प्रचार

गोरखा नेता बिमल गुरुंग के वर्कर भाजपा के साथ, अनित थापा के तृणमूल के साथ और विनय तामांग के कांग्रेस के साथ होकर प्रचार में डटे हैं। कहीं बांग्ला में, कहीं हिंदी में या कहीं नेपाली या अन्य भाषा में सभी दलों के पोस्टर सजे हैं। ‘फेरि जनता को चाहना सुख शान्ति र समृद्धि, यह चिन्हमा भोट दिनुहोस’ यह अपील अगर तृणमूल के उम्मीदवार गोपाल लामा की है तो भाजपा के राजू बिष्ट का नारा है- ‘फेरि राजू फेरि मोदी’ या ‘युवा अनि किसान सबैको छे यही पुकार केरि एकवोटि मोदी सरकार।’

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: चुनाव से पहले बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा, बांग्लादेश और नेपाल की सीमा सील, बाहरी लोगों पर रहेगी कड़ी नजर

वहीं कांग्रेस के मुनीष तामांग की अपील है- ‘हात को चिन्हमा तपाईको बहुमूल्यभोट खसालेर गोर्खा को स्वाभिमानलाई बचाउनुहोस्।’ उतर-उतरकर रोज पहाड़ पर चढ़ना सैलानियों को जरूर हंफा दे, पर यहां के लोगों की तो आदत में है। कुछ अलग तरीके हैं दार्जिलिंग के पहाड़ पर प्रचार के भी और यहां के वोटरों के सोच के भी। देश के दूसरे हिस्से में भले ही दीवार लेखन कम या थम सा गया हो पर पहाड़ की दीवार पर चुनावी प्रचार का प्रचलन जारी है।

उत्तर बंगाल में भाजपा का दबदबा

कलिम्पोंग के देवकुमार कहते हैं कि देश में मजबूत इच्छाशक्ति वाली सरकार बननी जरूरी है। पेसोक गांव के सदन तामांग का भी ख्याल है कि उनका पूरा गांव वोट के दिन स्वत:स्फूर्त मतदान करता है, छुट्टियां नहीं मनाता। दार्जिलिंग सीट से बंगाल में भाजपा का संसदीय चुनाव में जीत का श्रीगणेश हुआ है और 2009 से अब तक लगातार यह सीट भाजपा के कब्जे में रही। उत्तर बंगाल की आठ सीटों में सात पर भाजपा ने 2019 में जीत दर्ज की थी।

मालदा दक्षिण पर कांग्रेस का कब्जा बना रहा है। 2021 में विधानसभा चुनाव में उत्तर बंगाल की 54 में तीस सीटों पर भाजपा विधायक काबिज हो गए। बाद में भाजपा के चार विधायकों ने तृणमूल का दामन थाम लिया। वामदल और कांग्रेस की झोली शून्य हो गई। प्रचार में भी वाम दल का रंग फीका दिखता है।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: भाजपा को क्यों याद आए मुस्लिम? बदले हालातों में कितनी सफल होगी रणनीति?