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'झामुमो छोड़ना पड़ेगा, कभी सोचा नहीं था', पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा तो... पढ़िए सीता सोरेन से हुई खास बातचीत

Lok Sabha Election 2024 झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को अलविदा कह भाजपा का दामन थामने वालीं सीता सोरेन ने परिवार पार्टी और प्रदेश के मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने झामुमो छोड़ने की वजह भी बताई। उन्हें इस बात का मलाल है कि पति के देहांत के बाद उचित सम्मान नहीं मिला। पढ़ें सीता सोरेन के साथ हुई बातचीत के खास अंश...

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Wed, 01 May 2024 07:22 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव 2024: भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन। (फोटो- @SitaSorenMLA)
जागरण, रांची। क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है। पहली बार झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के परिवार की आपसी कलह सतह पर है। शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। उन्हें शिबू सोरेन की परंपरागत सीट दुमका से घोषित प्रत्याशी को हटाकर भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

झामुमो से तीन बार विधायक रह चुकीं सीता सोरेन ने कभी सोचा नहीं था कि उन्हें पार्टी छोड़ना पड़ेगा। बावजूद इसके चुनौती को स्वीकार करते हुए चुनावी अभियान में खुद को झोंक दिया है। पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहीं सीता के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

दुमका का चुनावी परिणाम उनके आगे की राजनीतिक दशा-दिशा तय करेगा। भाजपा को भी सीता सोरेन के रूप में झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो पर प्रहार करने का ब्रह्मास्त्र मिला है। इस कठोर निर्णय की वजह से लेकर अंदरूनी बातों और आगे के राजनीतिक सफर पर दैनिक जागरण के झारखंड राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रदीप सिंह ने उनसे विस्तार से बातचीत की।

सवाल: जिस पार्टी (झामुमो) से आप आरंभ से जुड़ी रहीं, उसे छोड़ने का निर्णय आपको लेना पड़ा?

जवाब: सब कुछ स्पष्ट दिखने वाली चीज है। ऐसी ढेरों कमियां थीं, जिसके कारण मुझे निर्णय करना पड़ा। मेरे पति दुर्गा सोरेन के देहांत के बाद मुझे सम्मान नहीं दिया गया। बाबा (शिबू सोरेन) तो चेहरा थे झामुमो के, लेकिन दुर्गा सोरेन ने असली लड़ाई लड़ी। लड़कर झारखंड को अलग राज्य बनाया।

अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को दिल्ली तक ले गए। होनी-अनहोनी कभी भी हो सकती है, किसी ने देखा नहीं कि उनके साथ क्या हुआ? मैंने जांच की मांग उठाई है। अलग राज्य बनने के बाद वैसा कुछ नहीं हुआ, जैसा दुर्गा सोरेन चाहते थे।

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सवाल: क्या फैसला इतना आसान था?

जवाब: नहीं, बिल्कुल भी नहीं। बहुत भारी मन से झामुमो को अलविदा कहना पड़ा। मैंने तो कभी सपने में भी सोचा भी नहीं था कि झामुमो छोड़ना पड़ेगा।

सवाल: वह कौन सी वजह हैं कि आपको अलग रास्ता चुनना पड़ा?

जवाब: परिवार के अन्य लोगों को मौका दिया गया, लेकिन मुझे हमेशा दरकिनार कर दिया गया। पहले हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनें। नई सरकार में उनके भाई बसंत सोरेन मंत्री बन गए। हमको तो पूरी तरह से भुला दिया गया। शीर्ष नेतृत्व में बाबा (शिबू सोरेन) और माता (शिबू सोरेन की पत्नी रुपी सोरेन) को छोड़कर कभी किसी ने साथ नहीं दिया।

मेरे साथ क्या हुआ, यह देखने वाली चीज है। मेरे पति दुर्गा सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को आगे बढ़ाया। दिल्ली तक अलग राज्य का आंदोलन लेकर गए। आप ही बताइए, क्या उनके द्वारा किए गए आंदोलनों का कोई मोल नहीं। क्या किसी के पास कोई जवाब है कि मुझे क्यों मेरा हक नहीं दिया गया?

सवाल: आरोप है कि आपके एक कदम से पारिवारिक कलह सार्वजनिक रूप से सामने आ गया। आपका क्या कहना है?

जवाब: मैंने तो हमेशा परिवार का सम्मान रखा। जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा तो मैंने पार्टी से बाहर निकलने का फैसला लिया। पहले से कोई योजना नहीं थी।

सवाल: कहा जा रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन को फंसाया गया है? आपका क्या कहना है?

जवाब: मैंने कई बार कहा कि वे गलत कर रहे हैं, लेकिन उनका दावा था कि उन्हें फंसाया जा रहा है। मेरी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब मामला न्यायिक प्रक्रिया में है। इसमें कुछ कहना सही नहीं है, लेकिन मेरा सवाल है कि सीटिंग सीएम को कौन फंसाएगा?

सवाल: आप बार-बार कहती हैं कि आपको सम्मान नहीं मिला? पार्टी ने आपको विधायक बनाया।

जवाब: पार्टी ने नहीं, पब्लिक ने मुझे विधायक बनाया। मुझे तीन बार जामा के लोगों ने जिताया। पार्टी ने क्या किया, आप बताइए। बाकियों को तुंरत मौका मिल गया। सबको मौका मिला। मुझे तो मौका जनता ने दिया। शिबू सोरेन पार्टी अध्यक्ष और पिता थे। मैंने उनका सम्मान किया। उन्होंने हस्तक्षेप भी किया। हेमंत आगे आए। हमने तो साथ दिया। कभी जगह छोड़ने की बात नहीं की। बसंत सोरेन भी आ गए। देवरानी तो सीएम बनने के लिए तैयार थीं। हमको पूरी तरह भुला दिया गया।

सवाल: जो शिकायत आप कर रही हैं, उसे आपने कभी परिवार के भीतर रखा था?

जवाब: जी, हमेशा बात होती थी। बाबा से भी हमेशा कहती थी। जब तक बाबा की तबीयत ठीक थी, उनकी बातें सुनी जाती थीं। अब बाबा की चलती कहां है? सबकुछ इन लोगों का चलता था। दुर्गा सोरेन के जाने के बाद बहुत सारे दलाल आ गए। स्टाफ से राय लेकर ये काम करने लगे।

मुझे सम्मान कहां मिला? हमने कभी सोचा भी नहीं था कि झामुमो को छोड़कर भाजपा या कांग्रेस में जाएंगे। टिकट नहीं मिलना कारण रहता तो पहले ही अलग हो जाते। हम हमेशा घर-परिवार के साथ रहे, लेकिन आप ही बताइए कि कब तक रहते? ये अपनी मनमर्जी करने लगे तब हमको लगा कि अब बहुत हो गया। मेरी कोई प्लानिंग (योजना) नहीं थी।

सवाल: आपको क्या लगता है कि कल्पना सोरेन राज्य की सीएम बन सकती हैं?

जवाब: चुनाव जीतने के बाद कल्पना सोरेन सीएम बन सकती हैं। मेरी तो कुछ चलती नहीं थी। इन लोगों की मनमर्जी के अनुसार सबकुछ होता था।

सवाल: आपने बड़ी बहू होने के नाते कभी हेमंत सोरेन से उनके विरुद्ध लग रहे आरोपों के संदर्भ में कुछ नहीं कहा?

जवाब: हेमंत सोरेन से कई बार बात की। उन्हें आगाह किया। हमने कहा तो उन्होंने बताया कि उन्हें फंसाया जा रहा है। विरोधियों का यह काम है। समय-समय पर मैं बोलती रही। कभी मुझे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब मामला न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है। मेरे मन में सवाल है कि सीटिंग सीएम को कौन फंसाएगा? राज्य के मुखिया को कौन हटाएगा? जांच का मैटर है। न्यायिक प्रक्रिया में जो होगा, सही होगा। इसका दायित्व न्यायालय पर है।

सवाल: लंबे समय तक झामुमो में रहने के बाद आप अब भाजपा में हैं। झामुमो से यह दल कितना अलग है?

जवाब: देखिए, अंतर तो बहुत है। मुझे कैंडिडेट (प्रत्याशी) बनाया गया। रांची से मैं दुमका आ गई। लोगों से मिल रही हूं। काफी अच्छा माहौल देखने को मिल रहा है। भाजपा का सिस्टम काफी अलग है। यहां नीचे से ऊपर तक अनुशासन है। झामुमो में यह नहीं दिखा। ढेर सारे विंग हैं, जो व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं। काफी सम्मान भी मिल रहा है। शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर काम करेंगे। लोग जहां बुलाएंगे, वहां जाकर काम करेंगे।

सवाल: दुमका झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की परंपरागत सीट है। आप यहां खुद को किस स्थिति में पाती हैं?

जवाब: देखिए, रुझान भी है और समीकरण भी, लेकिन मैं विरोधी को कभी कमजोर नहीं समझती। ज्यादा टफ (कठिन) नहीं है। समय बदलता है और बदलाव का समय आ गया है। सरकार की छवि धूमिल हो गई है। आदिवासी भाई-बहन जग गए हैं। वे जान गए हैं कि मैंने पार्टी क्यों चेंज की?

सवाल: आप झामुमो से अकेले निकलीं। क्या कोई अन्य विधायक या नेता भी आपके संपर्क में हैं?

जवाब: झामुमो में तो सारे वरिष्ठ विधायक मेरे चाचा हैं। जो छोटे हैं, वे मेरे देवर हैं। सबके साथ रिश्ता है, पारिवारिक रिश्ता है। जेएमएम मेरा परिवार है। किसी कारण से मैं दूर हो गई हूं।

सवाल: इसका मतलब यह है कि भविष्य में अगर भाजपा से वापसी की संभावना बने तो आप निर्णय कर सकती हैं?

जवाब: वापसी की तो कोई बात ही नहीं है। ठोस निर्णय लेती हूं मैं। धोखा देना मेरा स्वभाव नहीं है। यहां आए हैं और यहीं रहेंगे। भाजपा में कामकाज का तरीका और अनुशासन अलग है। पार्टी ने भरोसा जताया है। वापसी का तो सवाल ही नहीं उठता।

यह पीएम मोदी की पार्टी है। यहां महिलाओं को सम्मान मिलता है। द्रौपद्री मुर्मू को उन्होंने राष्ट्रपति बनाया। जहां तक लोगों से रिश्ते की बात है तो झामुमो में सभी वरीय नेता उनके अभिभावक हैं और उनसे पारिवारिक रिश्ता है।

सवाल: आपने अलग रास्ता चुनते हुए झामुमो को छोड़ दिया। क्या इसका असर पारिवारिक रिश्ते या संपर्क पर भी पड़ेगा?

जवाब: जी, बिल्कुल नहीं। देखिए इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। मैं अभी भी परिवार से जुड़ी हूं। सभी से मेरा रिश्ता है और यह समाप्त नहीं होता। सासु मां से रिश्ता है। वे हमेशा बात करती हैं। बाबा का भी आशीर्वाद साथ रहता है। कहीं कोई गलत नहीं है। मैं भी किसी को गलत नहीं समझ रही हूं। यही स्थिति दल में भी है।

सवाल: आप दुमका से चुनाव लड़ रही हैं। अन्य क्षेत्रों में भी भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार अभियान में हिस्सा लेंगी?

जवाब: मैंने बताया कि यह तो नेतृत्व की इच्छा पर निर्भर करता है। वे जैसा निर्देश-आदेश देंगे, मैं उसका पालन करुंगी। पहले भी मैं राज्य का भ्रमण करती रहती थी। पब्लिक से जुड़े कामों का निपटारा करती थी। सभी जगह पर लोग हैं। वे बुलाते भी हैं।

कहा जाएगा तो दूसरे जिले में जाकर भी काम करेंगे। सिर्फ एक लोकसभा क्षेत्र की बाध्यता तो नहीं है। भाजपा ने मुझे सम्मान दिया है। यहां महिलाओं का बहुत सम्मान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लोगों की अपार आस्था है। मुझे मौका मिला है तो मैं खुद को साबित कर दिखाऊंगी।

सवाल: आपने राजनीतिक सोच में बदलाव का उल्लेख किया। यह आप किस आधार पर कह रहीं हैं?

जवाब: देखिए, समय तो बदलता रहता है। कोई चीज स्थायी तो नहीं है। राज्य सरकार के कारनामे से इनकी छवि धूमिल हो गई है। चुनाव के परिणामों पर इसका अवश्य असर पड़ेगा। लोग समझ गए हैं। मैंने अलग रास्ता चुना तो इसकी वजह भी लोग जानते और समझते हैं। आप देखिएगा, चुनावों में इसका असर पड़ेगा। इन्होंने (झामुमो) जो वादे किए, वह पूरे करने की दिशा में काम ही नहीं हुए। इससे लोगों में बहुत नाराजगी है।

सवाल: कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के विरुद्ध काफी आक्रोश है। क्या आप ऐसा मानती हैं?

जवाब: ऐसा कुछ नहीं है। भ्रम फैलाया जा रहा है। शुरू में लगा कि अत्याचार हो रहा है। आज सब लोग सबकुछ जानते हैं। लोगों को सच्चाई की जानकारी है। वे रास्ता तलाश रहे हैं कि उन्हें किधर जाना है। लोग चाहते हैं कि हम आगे आकर काम करें। कुछ अलग कर दिखाएं।

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