राम मंदिर, कांग्रेस में भगदड़ और भाजपा पर क्या बोले जीतू पटवारी, बताया विधानसभा चुनाव में पार्टी क्यों हारी?
Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने विशेष बातचीत में राम मंदिर भाजपा और कांग्रेस के अंदरूनी मामलों पर खुलकर बात की। उन्होंने पिछले साल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार पर भी चर्चा की। इसकी वजह भी बताई। इसके अलावा कई मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना भी साधा। पढ़ें बातचीत के प्रमुख अंश...
जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने विशेष साक्षात्कार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा अन्य दलों के नेताओं को सीबीआई-ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों से डरा धमका रही है।
किसानों को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है। बेरोजगारी और महंगाई से सब जूझ रहे हैं। भाजपा ने महिलाओं से किए अपने वादों को पूरा नहीं किया है। हालात ये कि भाजपा धर्म के आधार पर वोट लेना चाहती है। आज हकीकत क्या है, मगर माहौल ऐसा बनाया जा रहा कि देश विकसित हो रहा है। पढ़ें साक्षात्कार के प्रमुख अंश...
राम मंदिर पर भाजपा घेरने में जुटी, इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: भाजपा धार्मिक आधार पर वोट हासिल करना चाहती है। मैं यह बात शुरू से कहता आ रहा हूं। राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है। इसका सभी ने स्वागत किया। मंदिर का ताला राजीव गांधी ने खुलवाया था। मैं ओरछा गया था। यहां भगवान श्रीराम दिन में रहते हैं। अयोध्या में रात में रहते हैं। अगर बात प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की है तो शिवराज सिंह चौहान और सीएम मोहन यादव भी नहीं गए थे।चुनाव से जुड़ी और हर छोटी-बड़ी अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं, पार्टी के बिखराव पर क्या कहेंगे?
जवाब: टीम के बिखरने पर दुख होता है। पार्टी छोड़कर जाने वाले सभी नेताओं से मैंने बात की। इन नेताओं को पार्टी ने सबकुछ दिया। मगर उनका छोड़कर जाना यह बताता है कि दाल में कुछ काला जरूर है। उन्होंने कहा कि पहले 65 नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की। इनमें ज्यादातर की राजनीतिक मौत हो चुकी है।कई बड़े चेहरे चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते थे?
जवाब: इसके पीछे की रणनीति युवाओं को मौका देना है। टिकट बंटवारे में यह झलक दिखी। 50 फीसदी से अधिक सीटों पर युवा चेहरों को मौका दिया गया है। वहीं कांतिलाल भूरिया और दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता भी चुनावी समर में हैं। ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग को भी मौका दिया है। प्रत्याशियों का चयन सामाजिक समीकरण और सहमति के आधार पर किया गया है।