आप के साथ गठबंधन, दिल्ली के विकास और उम्मीदवारों के एलान पर क्या बोले अरविंदर सिंह लवली; पढ़िए खास बातचीत
दिल्ली में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की तैयारी और आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन पर खुलकर बात की। उम्मीदवारों की घोषणा में हो रही देरी पर भी पार्टी का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी। पढ़ें संजीव गुप्ता के साथ अरविंदर सिंह लवली से विस्तृत बातचीत के अंश...
जेएनएन, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच दिल्ली का सियासी माहौल अब दिलचस्प होने लगा है। राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। भाजपा ने सातों सीटों और कांग्रेस से गठबंधन में आम आदमी पार्टी ने अपने हिस्से की चार सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं।
दोनों ही राजनीतकि दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जोर शोर से जुटे हैं, जबकि कांग्रेस अपने हिस्से की तीन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर सकी हैं। आखिर क्यों कांग्रेस अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है और इस लोकसभा चुनाव में जागरण की ओर उठाए जा रहे मुद्दों पर पार्टी की सोच क्या है, इसे लेकर संजीव गुप्ता ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश...
क्या कारण हैं कि कांग्रेस के प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं हुए? इस तरह पार्टी चुनाव प्रचार में पिछड़ तो नहीं जाएगी?
जवाब: कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों के नाम बहुत ही जल्द शायद एक दो दिन में ही घोषित कर दिए जाएंगे। मेरे हिसाब से इनकी घोषणा में कोई देर नहीं हुई है। दिल्ली में मतदान 25 मई को है, जिसमें अभी बहुत समय है। रही बात प्रचार में पिछड़ने की तो हम संगठन के तौर पर अभी भी कहीं आगे चल रहे हैं।
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हम सातों लोकसभा क्षेत्रों में रैली कर चुके हैं। दो बार हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी संबोधित कर चुके हैं। इसलिए प्रत्याशी घोषित किए बगैर भी कांग्रेस प्रचार में आगे ही है, पीछे नहीं। l
आम आदमी पार्टी के अनेक बड़े नेता इन दिनों जिस तरह कठघरे में हैं, क्या आप के साथ गठबंधन का निर्णय हानिकारक भी हो सकता है?
जवाब: देखिए, यह चुनाव लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए लड़ा जा रहा है। इसीलिए आईएनडीआई गठबंधन के रूप में सारा विपक्ष एकजुट है। इस वक्त मुद्दा किसी पार्टी को फायदा नुकसान नहीं बल्कि भाजपा से देश को बचाना है।
क्या लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी यह गठबंधन बना रह सकता है?
जवाब: इसका निर्णय पार्टी के शीर्ष नेता करेंगे। मैं तो इतना कह सकता हूं कि गठबंधन के तौर पर हम लोग बहुत मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और कोई बड़ी बात नहीं कि हम भाजपा से दिल्ली की सातों सीटें छीन लें। भाजपा सांसदों ने 10 साल में कोई काम नहीं किया, जनता सब कुछ जान रही है, इसीलिए पार्टी ने भी सात में से छह प्रत्याशी बदल दिए।
दिल्ली आज भी विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। चुनाव जीतने पर इस दाग को कैसे धोएंगे?
जवाब: वायु प्रदूषण दिल्ली की ज्वलंत समस्या बन गई है। इसके लिए दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं। हमने इस समस्या के समाधान की दिशा में कुछ महीने पहले एक श्वेत पत्र भी जारी किया था, जिसमें इस समस्या के समाधान का पूरा रोडमैप हैं। उसी के अनुरूप काम किया जाएगा।
दिल्ली में बदहाल यमुना हर चुनाव में मुद्दा बनती है, लेकिन बाद में वैसी ही रह जाती है, आप इसे पुनर्जीवित करने के लिए क्या करेंगे?
जवाब: बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। चाहे दिल्ली सरकार हो या केंद्र सरकार केवल छठ पर ही उन्हें यमुना याद आती है, बाद में सब भूल जाते हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर पहले भी काम कर चुकी है और आगे भी करेगी। यमुना की सबसे बड़ी समस्या इसमें पर्याप्त जल न होना है। इसके लिए हमने सेंट्रल रिजर्व वायर की योजना बनाई थी ताकि इसमें साल भर पानी का न्यूनतम बहाव बना रहे। इसके अतिरिक्त औद्योगिक कचरा भी इसमें जाने से रोकना होगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कनेक्टिविटी की भी बड़ी समस्या है, दिल्ली में निजी वाहनों की भीड़ इसीलिए बढ़ रही है। इसे कैसे सुधारेंगे?
जवाब: इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन बहुत लचर है। मेट्रो का तीसरा चरण 2015 में ही खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। चौथा चरण भी समय से बहुत पीछे चल रहा है। बसों की संख्या अपर्याप्त है। पिछले 10 साल में न नए फ्लाईओवर बनाने पर ध्यान दिया गया और न ही परिवहन के नए साधन शुरू करने पर। कांग्रेस सरकार ने मोनोरेल पर भी काम शुरू कर दिया था। ट्राली बसों और पोड टैक्सी के विकल्प पर भी काम किया जा सकता है।
संतोषजनक हालत तो दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की भी नहीं कही जा सकती है, इसके लिए कोई प्लान?
जवाब: स्वास्थ्य सेवाएं संतोषजनक इसलिए नहीं हैं, क्योंकि पिछले 10 साल में किसी नए अस्पताल का दिल्ली में निर्माण नहीं हो सका है। हैरत की बात यह है कि कोरोना काल में दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों ने ही कई वादे किए थे, लेकिन किसी ने उन वादों को पूरा नहीं किया। हम अगर सत्ता में आते हैं तो अपनी डिस्पेंसरियों को भी अपग्रेड करवाएंगे और अस्पताल की बदहाली भी दूर करेंगे। डॉक्टरों सहित पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी पूरी की जाएगी और नए अस्पताल भी बनाए जाएंगे।
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